Neerja bhanot.. 23 साल की एक बेहद ख़ुश मिज़ाज और सुंदर लड़की। नीरजा भनोट (Neerja Bhanot) के जज़्बे, हिम्मत और हौसला की कहानी देश की अन्य लड़कियो के लिय प्रेणणादायक है। नीरजा भनोट (Neerja bhanot) में आम लड़कियों हटकर कुछ अलग करने का जज़्बा था। दुनिया ने नीरजा को ‘हीरोइन ऑफ हाइजेक’ के नाम से भी जाना। आइये आपको बताते हैं कहानी उस नीरजा भनोट की कहानी जिसने अपनी जान देकर आतंकियों से 360 यात्रियों की जान बचा ली थी।
Neerja Bhanot : नीरजा भनोट उस फ़्लाइट में अटेंडेंट थीं
5 सिंतबर 1986 को पैन एएम की फ्लाइट 73 (Pan Am Flight 73) ने मुंबई से अमेरिका के लिय उड़ान भरी। इस फ्लाइट में 360 यात्री और 19 क्रू मेंबर्स थे। पाकिस्तान के कराची एयरपोर्ट पर (Hijacking at Karachi) इस फ्लाइट को 4 हथियारबंद आतंकियों ने हाईजैक कर लिया। नीरजा भनोट ने जब इस हाइजेक की सूचना फ्लाइट के चालक दल के तीनों सदस्य यानी पायलट, को-पायलट और फ्लाइट इंजीनियर को दी तो तीनों भाग निकले।
प्लेन हाईजैक (Aircraft hijacking) होने के बाद आतंकियों ने फ्लाइट में सवार एक अमेरिकी नागरिक को जहाज़ के गेट पर लाकर गोली मार दी। आतंकी प्लेन में सवार सभी यात्रियों की पहचान करना चाहते थे। आतंकियों ने नीरजा भनोट को सभी पैसेंजर्स के पासपोर्ट इकट्ठे करने को कहा। मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि पैन एएम की फ्लाइट 73 को जिन आतंकियों ने हाइजेक किया था, वो अबू निदान ऑर्गेनाइजेशन के थे। चारों आतंकवादी को फ्लाइट को साइप्रस ले जाना चाहते थे। ताकि वो कैद फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करवा सकें।
नीरजा भनोट ने ऐसे बचाई थी 360 यात्रियों की जान
मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि फ्लाइट हाइजेक हुए 17 घंटे से अधिक बीत चुके थे। सरकार चाहकर भी कुछ कर नहीं पा रही थी। आतंकियों ने प्लाइट में पैसेंजर्स को मारना शुरू कर दिया था। तब ही नीरजा भनोट ने हिम्मत दिखाते हुए जहाज़ का इमरजेंसी दरवाज़ा खोलकर यात्रियों को निकालना शुरू कर दिया। यात्रियों को बाहर निकाल रहीं नीरजा भनोट की इस हरकत को देखकर नाराज़ आतंकी ने उनको उसी वक्त गोली मार ली। नीरज की वहीं पर मौत हो गई।
नीरजा भनोट (Neerja bhanot) की इस बहादुरी के कारण उनका नाम दुनियाभर में सुर्खियों में रहा। नीरजा भनोट की बहादुरी को देखते हुए पाकिस्तान सरकार की तरफ से 'तमगा-ए-इंसानियत' और अमेरिकी सरकार की तरफ से 'जस्टिस फॉर क्राइम अवॉर्ड' से भी नवाज़ा गया। भारत सरकार ने उनकी इस बहादुरी के बहादुरी के लिए सर्वोच्च वीरता पुरस्कार 'अशोक चक्र' से सम्मानित किया। नीरजा भनोट अशोक चक्र पाने वाली सबसे कम उम्र की महिला बनीं।
- नीरजा भनोट का जन्म 7 सितंबर 1963 को चंडीगढ़ के एक पंजाबी परिवार में हुआ था। पिता हरीश भनोट पत्रकार और मां रमा भनोट गृहणी थीं।
- नीरजा ने अपनी स्कूली पढ़ाई चंड़ीगढ़ के सैकरेड हार्ट सीनियर सेकेंडरी स्कूल से शुरू की थी, लेकिन बाद में उनका परिवारमुंबई शिफ्ट हो गया। आगे की पढ़ाई की और मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई की।
- नीरजा ने साल 1985 में एक बिजनेसमैन के साथ शादी के बाद अपने पति के साथ खाड़ी देश चली गईं। शादी के दो महीने बाद ही मुंबई वापस आ गईं और फिर वापस ससुराल नहीं गईं।
- मुंबई में नीरजा ने कुछ समय मॉडलिंग की और उसके बाद पैन एम एयरलाइन्स ज्वाइन कर लिया। साल 1985 में उन्होंने पैन एएम के लिए अप्लाई किया और फ्लाइट अटेंडेंट के रूप में ज्वीइन कर लिया।
- नीरजा भनोट ने उस प्लेन हाइजेक में लगभग 360 यात्रियों की जान बचाई थी। नीरजा की बहादुरी ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हीरोइन ऑफ हाईजैक के रूप में मशहूर कर दिया।
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