देश में जनसंख्या को लेकर समय-समय पर बहस छिड़ती रही है। फिर एक बार जनसंख्या को लेकर बयानबाज़ियों का दौर शुरू हो गया। भागवत कर्नाटक के चिक्कबल्लापुर की श्री सत्य साईं यूनिवर्सिटी फॉर ह्यूमन एक्सीलेंस के पहले दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे। इस बीच संघ प्रमुख मोहन भागवत ने देश में जनसंख्या को लेकर बयान दिया है।
मोहन भागवत जनसंख्या पर क्या बोले
भागवत ने कहा- आबादी बढ़ाने और खाने का काम तो जानवर भी करते हैं। ये जंगल में सबसे ताकतवर रहने के लिए ज़रूरी है। ताकतवर ही जिंदा रहेगा, ये जंगल का कानून है। इंसानों में ऐसा नहीं है। इंसानों में जब ताकतवर दूसरे की रक्षा करता है तो ये ही इंसानियत की निशानी है।
योगी ने किसे बताया बढ़ती आबादी का ज़िम्मेदार
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने जनसंख्या को लेकर दिए एक बयान ने बहस को तूल दे दिया। उन्होंने कहा था, ‘ऐसा नहीं होना चाहिए कि किसी एक समुदाय की जनसंख्या बढ़ाने की रफ्तार या पर्सेंट ज्यादा है और हम कानून और जानकारी के जरिए उस इलाके के मूल निवासियों की जनसंख्या को कम कर दें।’
सीएम योगी के इस बयान के बाद बहस शुरू हो गई। योगी के बयान पर पलटवार करते हुए ओवैसी ने कहा कि ‘क्या मुस्लिम भारत के मूल निवासी नहीं है। अगर सच को देखें तो यहां के मूल निवासी केवल आदिवासी और द्रविड़ लोग हैं। उत्तर प्रदेश में बिना किसी कानून के 2026 से 2030 के बीच वो फर्टिलिटी रेट हासिल किया जा सकता है, जिसका लक्ष्य रखा गया है।’
ओवैसी ने योगी के जनसंख्या वाले पर क्या कहा
ओवैसी जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर दिए एक और बयान में कहा कि अगर भारत सरकार दो बच्चों का बिल लाएगी तो मैं उसका बिल्कुल समर्थन नहीं करूंगा, क्योंकि यह भारत के हक में बिल्कुल नहीं होगा। भारत की जनसंख्या अपने आप गिर रही है और 2030 तक यह स्थिर हो जाएगी।
दरअसल यूनाइटेड नेशंस (UN) 11 जुलाई को वर्ल्ड पॉपुलेशन डे के मौके पर ये रिपोर्ट जारी की थी। UN ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारत कुछ दिनों में जनसंख्या के मामले में चीन से आगे निकल जाएगा। इसके बाद भारत में बयानबाज़ियों का दौर शुरू हो गया। सोशल मीडिया पर एक विशेष समुदाए को बढ़ती जनसंख्या का ज़िम्मेदार बताया जाने लगा। नेताओं के बीच जनसंख्या असंतुलन को लेकर बहस शुरू हो गई है।
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