किसान अपने नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत के रूप में लोहड़ी मनाते हैं. लोहड़ी की रात को साल की सबसे लंबी रात माना जाता है. इस त्योहार से कई आस्थाएं भी जुड़ी हुई हैं. माना जाता है कि लोहड़ी पर अग्नि पूजन से दुर्भाग्य दूर होते हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
पंजाब और पंजाबी समुदाय द्वारा मनाए जाने वाला त्योहार लोहड़ी के पीछे कई कहानियां हैं. हमें स्कूलों में बताया जाता रहा है कि रबी की फसल पकने की खुशी में यह त्योहार मनाया जाता है. दुल्ला भट्टी के जिक्र से जुड़ी लोहड़ी की एक कहानी पंजाब और आसपास के क्षेत्र में काफी प्रचलित है.
लोहड़ी पर क्यों प्रचलित है दुल्ला भट्टी की कहानियां
उस दौर में पंजाब में एक ब्राह्मण हुआ करता था. उसकी दो बेटियां थीं - सुंदरी और मुंदरी. इन दोनों की शादी तय हो चुकी थी कि इस बीच मुगलिया सल्तनत के एक अफसर की नजर इन पर पड़ गई. इससे इनका पिता बड़ा परेशान हुआ और उसने लड़कियों की ससुराल पक्ष से दरख्वास्त की कि वे शादी तय तारीख से पहले करने को तैयार हो जाएं.
लेकिन सल्तनत के अफसर का डर उनको भी था, सो उन्होंने इसके लिए न कर दी. कहते हैं कि जब यह बात दुल्ला भट्टी को पता चली तो उसने लोहड़ी के दिन दोनों पक्षों को बुलाकर लड़कियों की शादी करवा दी और तब से लोहड़ी का यह गीत लोकप्रिय हुआ जिसमें दुल्ला भट्टी का जिक्र है.दुल्ला भट्टी भारत के मध्यकाल का एक वीर था, जो मुगल शासक अकबर के समय में पंजाब में रहता था. उसे 'पंजाब के नायक' की उपाधि से सम्मानित किया गया था.
लोकनायक दुल्ला भट्टी की अमरता से जुड़ा यह पर्व उत्तर भारत, खास कर पंजाब में लोहड़ी का त्योहार, जो मकर संक्रांति की पूर्व संध्या का बेहतरीन उत्सव है. पंजाब के लोकप्रिय पर्व लोहड़ी को जलते अलाव के साथ-साथ वहां के बुजुर्ग दुल्ला भट्टी की कहानी बयां करना नहीं भूलते.
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