लंबे समय से चला आ रहा किसान आंदोलन कब समाप्त होगा ? इस सवाल का जवाब अब मिलता नहीं दिख रहा। केंद्र और सरकार के बीच दर्जनों वार्ता के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल सका। सरकार अपने फैसले पर आज भी कायम है और बिल वापसी की बात पर सरकार का खुले तौर पर यही कहना है कि बिल वापस नहीं होने वाला। किसान एक जुट है और किसान महापंचायत कर लगातार सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं।
क्या होती है किसान महापंचायत
किसान आंदोलन के मद्देनज़र, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान लगातार महापंचायत कर रहे हैं। इसके पहले हरियाणा के जींद में महापंचायत हुई थी, जहां राकेश टिकैत भी पहुंचे थे। वहीं, यूपी के शामली में 5 फरवरी को महापंचायत रखी गई थी, लेकिन प्रशासन ने इसके लिए मंजूरी नहीं दी थी। हालांकि, इसके बावजूद बड़ी संख्या में किसान यहां इकट्ठा हुए थे। बीते मंगलवार 9 फरवरी को भी अलीगढ़ के गोंडा में एक महापंचायत हुई है।
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महापंचायत बुलाने के लिय भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष देशभर के किसानों को एकजुट होकर जमा होने को कहा जाता है। महापंचायत देश अलग-अलग राज्यों में भी बुलाई जा सकती है । इस महापंचायत में किसान मिलकर तय करते हैं कि उनको क्या फैसला लेना है। वर्तमान समय में किसानों ने लगातार महापंचायत कर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की है।
महापंचायत से किसान आंदोलन को ऐसे मिली मजबूती
26 जनवरी को जिस प्रकार दिल्ली में हिंसा देखने को मिली थी उसके बाद सभी ये कह रहे थे कि किसान आंदोलन अब सिमट जाएगा। हिंसा में कई लोगों की जान भी गई और दर्जनों लोग घायल भी हुए। लेकिन भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष टिकैत टस से मस नहीं हुए और उसके बाद हुई महापंचायत ने किसान आंदोलन को फिर से मज़बूती से खड़ा कर दिया। कोई हल न निकले के बाल किसान लगातार महापंचायत कर अपनी रणनीति और भविष्य के फैसले पर बात करने और सरकार को झुकाने में लगे हैं।
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