19 अप्रैल को गुवाहाटी हाईकोर्ट (Gauhati High Court) ने असम सरकार को एक आदेश दिया है। इसमें न्यायालय ने असम सरकार को कामरूप जिले में मछलियों में फार्मेल्डिहाइड पाए जाने के विषय में बनी नई एसओपी (Standard Operating Procedure) के क्रियान्वयन से संबंधित डिटेल के साथ एक हलफनामा दायर करने को कहा है।
न्यायालय ने असम सरकार को इस बाबत 3 सप्ताह का समय दिया है। आइये समझते हैं क्या है ये पूरा मामला और क्या है विवाद की वजह?
20 जनवरी को असम सरकार (Assam Government) ने मछलियों के आयात, स्टॉक और बिक्री को सीमित करने के लिए एसओपी के साथ एक अधिसूचना जारी की। यह अधिसूचना और एसओपी उन राज्यों से लाई गई मछलियों के लिए थी जो मत्स्योत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं है। इस एसओपी का उद्देश्य सड़क या नदी द्वारा परिवहन के दौरान मछलियों को लंबे समय तक बिक्री के लायक स्थिति में बनाए रखने के लिए फॉर्मेल्डिहाइड के उपयोग को प्रतिबंधित करना था।
असम सरकार की इस एसओपी के मद्देनजर ही गुवाहाटी हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई। इस याचिका में याचिकाकर्ता अरुण दास ने आरोप लगाया कि जो मछलियाँ असम के बाहर से लाई जा रही उनमें कैडमियम, आर्सेनिक और फॉर्मेलिन के अंश पाए जाते हैं। उनके अनुसार ऐसा नोवगोंग कॉलेज के जीव विज्ञान विभाग के शोधकर्ताओं की टीम द्वारा किए गए एक अध्ययन की एक रिपोर्ट में पाया गया है।
इसके अलावा याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया है कि एसओपी में कई खामियां हैं। इसके अलावा 2023 में राज्य सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशाला, मत्स्य पालन कॉलेज, गौहाटी विश्वविद्यालय, नागांव कॉलेज, डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय और जिला स्तर पर मत्स्य विभागीय अधिकारियों द्वारा किए गए सर्वे में भी विसंगतियां हैं।
याचिकाकर्ता का कहना है की अन्य एजेंसियों ने अन्य राज्यों से आई मछलियों में रासायनिक फॉर्मेल्डिहाइड पाया है। दूसरी ओर मत्स्य विभाग के सर्वेक्षण में सभी नमूने नेगटिव पाए गए हैं। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने राज्य एजेंसी के अलावा एक स्वतंत्र एजेंसी से मामले की जांच करवाने की बात की है।
गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विजय बिश्नोई और न्यायमूर्ति सुमन श्याम की पीठ ने अपने पारित आदेश में राज्य सरकार से एसओपी को लेकर एक हलफनामा तीन सप्ताह के भीतर दायर करने को कहा है।
साथ ही अदालत ने यह निर्देश भी दिया है कि, इसमें 20 जनवरी एसओपी के तहत नामित नोडल एजेंसियों द्वारा किए गए टेस्ट्स के परिणाम शामिल होने चाहिए। इसके अलावा हलफनामे को सभी प्रासंगिक तथ्यों और आंकड़ों के साथ असम में मत्स्य पालन विभाग के आयुक्त और सचिव द्वारा भी शपथ दिलाई जानी चाहिए।
अब मामले को अगली सुनवाई 13 मई, 2024 को होनी है। इस केस की तस्वीर राज्य सरकार के हलफनामे और न्यायालय के फैसले के बाद ही पूरी तरह से साफ हो पाएगी।
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