मध्यप्रदेश के हरदा में पिछले एक सप्ताह से किसान सरकार के खिलाफ धरने पर बैठे हुए थे। ये किसान सरकार की 2024 की मूंग नीति से नाराज चल रहे थे। हालांकि अब सरकार ने किसानों की मांगें मान ली हैं, और किसानों ने अपना धरना खत्म कर दिया है। आइए समझते हैं क्या थी भारत सरकार की मूंग नीति जिसे लेकर ये विवाद हुआ।
कौनसे फैसले किसानों को पसंद नहीं आए
दरअसल सरकार ने सरकारी मूंग खरीद की सीमा 8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तय की थी। इसके अलावा इस नीति में एक दिन में एक खाते से मात्र 25 क्विंटल के खरीद का ही प्रावधान था। और एक खाते से एक सीजन में अधिकतम 100 क्विंटल ही खरीद की सीमा निर्धारित की गई थी।
अब किसानों की मांग थी कि सरकार को कम से कम 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर खरीदी करनी चाहिए, क्यूंकि अगर उन्हें प्रोत्साहन न मिलता तो इतनी उपज न होती। पुरानी नीति में किसानों को 8 क्विंटल के बाद शेष बची मूंग निजी व्यापारियों को बेचनी पड़ती और सीमित रकम में संतोष करना पड़ता।
इसके अलावा एक दिन में एक खाते से सिर्फ 25 क्विंटल की खरीद से किसानों को आपत्ति थी कि उन्हें रोज अपनी उपज लेकर खरीदी केंद्र आना पड़ेगा, जिससे उन पर परिवहन के खर्च का भार आता।
सरकार ने वापस लिया फैसला
दरअसल पिछले कुछ वर्षों से नर्मदापुरम क्षेत्रों में नहरों के विकास से सिंचाई के पर्याप्त साधन उपलब्ध हो गए हैं। इसलिए किसान अब रबी और खरीफ के बीच के समय खेतों को खाली छोड़ने के बजाय मूंग की खेती करते हैं। सिंचाई के साधन उपलब्ध होने के कारण किसानों की उपज भी अच्छी हो जाती है। इससे अतिरक्त आमदनी के साथ पिछली खेती में हुए नुकसानों की भरपाई भी हो जाती है।
Thanks @shreegireesh. The present Agriculture Minister and then CM MP @ChouhanShivraj sat on on all Judicial Enquiry reports like this one and also Judicial Enquiry report on Corruption in Rehabilitation of Land Oustees in Sardar Sarovar Dam on Narmada. @INCIndia @INCMP https://t.co/cwRJ32aXIX
— Digvijaya Singh (@digvijaya_28) July 11, 2024
हालांकि भारतीय किसान संघ ने इस मुद्दे पर लंबा प्रदर्शन किया। कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने भी किसानों का समर्थन कर ट्वीट किया, और भाजपा सरकार को घेरा। इसके बाद मंगलवार को सरकार ने अपनी नीति में संशोधन किया। अब सरकार 8 की बजाय 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की खरीद करेगी। वहीं एक दिन एक कहते से 25 क्विंटल खरीद की सीमा को बढ़ाकर 40 क्विंटल कर दिया गया। इसके बाद मध्यप्रदेश सरकार में परिवहन एवं शिक्षा मंत्री राव उदयप्रताप सिंह किसानों से मिलने गए और उनका धरना ख़त्म करवाया।
आज कृषि उपज मंडी, हरदा में भारतीय किसान संघ के आयोजन में माननीय मुख्यमंत्री @DrMohanYadav51 जी के निर्देश पर सम्मिलित हुआ और चर्चा की।
— Uday Pratap Singh (@udaypratapmp) July 11, 2024
राष्ट्रीय स्तर पर माननीय यशस्वी प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी एवं राज्य स्तर पर माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी pic.twitter.com/3XA37QaIL0
हालांकि सरकार का रुझान लगातार मूंग के प्रति उदासीन होता जा रहा है। मध्यप्रदेश के बरक्स पंजाब में सरकार मूंग की खरीदी नहीं कर रही है, जबकि इस बार पंजाब में भी रिकॉर्ड पैदावार हुई हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पंजाब के व्यापारी न्यूनतम समर्थन मूल्य से 500-700 कम में खरीदी कर रहे हैं।
इसका एक कारण गर्मी के दौरान उगाई गई मूंग औसत गुणवत्ता की भी मानी जा सकती है। इसी कारण से 2022 में NAFED ने पंजाब की सरकारी खरीद के 5000 मीट्रिक टन से 2500 मीट्रिक टन अस्वीकार कर दिया था। इसके अलावा एमएसपी को लेकर सरकार के पास सीमित फंड की समस्या भी एक बड़ा कारण हो सकती है। मूंग की ये समस्या अगले साल फिर किसानों के गले हड्डी बने इससे पहले जरूरी है की सरकार मूंग के किसानों को एक उपयुक्त विकल्प उपलब्ध कराए।
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