लद्दाख (Ladakh) में जलवायु परिवर्तन को लेकर सरकार के खिलाफ बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ था। लोकसभा चुनावों के ठीक पहले क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) ने लद्दाख की समस्याओं के खिलाफ एक लंबा अनशन किया था। उनके प्रदर्शन का असर लोकसभा चुनावों के नतीजों में दिखाई पड़ रहा है। दरअसल लद्दाख से निर्दलीय उम्मीदवार मोहम्मद हनीफा (Mohammad Haneefa) लगभग 28 हजार के अंतर से जीत चुके हैं।
सोनम वांगचुक लद्दाख के पर्यावरणीय संसाधनों की सुरक्षा की बात लंबे समय से उठा रहे थे। सोनम केंद्र सरकार से लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग भी कर रहे थे ताकि लद्दाख के निर्णयों में वहां की जनता की भागीदारी सुनिश्चित हो सके। इसे लेकर Leh Apex Body (ABL) और Kargil Democratic Alliance (KDA) की गृह मंत्री अमित शाह के साथ कई बैठकें भी हुईं थी, जो अंततः बेनतीजा निकलीं।
इन बैठकों के बेअसर रहने के बाद ही 6 मार्च 2024 सोनम वांगचुक ने अपना आमरण अनशन शुरू कर दिया था। अपने अनशन में में सोनम छथि अनुसूची के साथ ही लद्दाख में बढ़ते पर्यटन और औद्योगीकरण के खतरों की भी बात कर रहे थे। सोनम के प्रदर्शन में बड़ी संख्या में युवा और महिलाऐं शरीक रहते थे। आज के नतीजों में सोनम के प्रदर्शन का असर देख जा सकता है।
लद्दाख में तीन उम्मीदवारों के बीच मुकाबला है। यहां भाजपा से ताशी ग्यालसों और कांग्रेस से त्सेरिंग नामग्याल उम्मीदवार हैं। लद्दाख से वर्तमान सांसद भाजपा के के जाम्यांग त्सेरिंग नामग्याल हैं, जिनका टिकट काट भाजपा ने ताशी को मौका दिया था। लेकिन इस चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी मोहम्मद हनीफा भाजपा और कांग्रेस पर भरी पड़ रहे हैं।
मोहम्मद हनीफा की जीत संकेत करती है की लद्दाख की जनता ने पर्यावरणीय मुद्दों को ध्यान में रख कर मौजूदा शाशन को बदलने की कवायद की है।
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