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गढ़वाल लोकसभा सीट पर जोशीमठ नहीं बना पाया मुद्दा, बीजेपी ने जीता चुनाव

उत्तराखंड के जोशीमठ (Joshimath) ने पिछले कुछ सालों के दरमियान बड़ी प्राकृतिक आपदाएं झेलीं हैं। इसके बाद भी गढ़वाल लोकसभा जिसके अंतर्गत जोशीमठ आता है वहां यथास्थिति कायम है। आज के लोकसभा नतीजों में भी गढ़वाल में भाजपा को ही जीत मिली है।

By Chandrapratap Tiwari
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joshimath

Source: X(@down2earthindia)

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लोकसभा चुनावों में उत्तराखंड से बीजेपी ने सभी 5 सीटें जीती ली हैं। उत्तराखंड में हमने पिछले कई वर्षों में पर्यावरणीय समस्याओं को लेकर कई आंदोलन होते देखे हैं, लेकिन लोकसभा नतीजों से यह स्पष्ट होता है कि इन मुद्दों को इन चुनावों में अहमीयत नहीं मिली है या ये मुद्दे चुनावों पर अपना असर डालने में नाकामयाब रहे हैं। उत्तराखंड का जोशीमठ इसका एक उदाहरण हैं जो गढ़वाल लोकसभा के अंतर्गत आता है। यहां ज़मीन खिसकने की वजह से कई घरों में क्रैक आ गए थे जिसके बाद बड़ी संख्या में लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा। लेकिन इन चुनावों में गढ़वाल लोकसभा सीट पर भी मौजूदा सरकार के खिलाफ गुस्सा नज़र नहीं आया। 

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उत्तराखंड के जोशीमठ (Joshimath) ने पिछले कुछ सालों के दरमियान बड़ी प्राकृतिक आपदाएं झेलीं हैं। 6 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित यह क्षेत्र बहुत ही संवेदनशील भौगोलिक अवस्था में है। यह क्षेत्र के भूकंप के जोन V में आता है। इसके बाद भी यह लगातार निर्माण कार्य और विकास परियोजनाओं के चलते इस क्षेत्र को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसके बाद भी गढ़वाल लोकसभा जिसके अंतर्गत जोशीमठ आता है वहां यथास्थिति कायम है। आज के लोकसभा नतीजों में भी गढ़वाल में भाजपा को ही जीत मिली है। 

जोशीमठ में आपदा का हालिया उदाहरण है 2023 में हुई लैंडस्लाइड की घटना। इस घटना के बाद 81 से अधिक परिवार प्रभावित हुईं हैं और 720 से अधिक इमारतों में दरारें आई हैं जो कि दिन-ब-दिन चौड़ी होती जा रहीं हैं। 

जोशीमठ की यह घटना कोई क्षणिक घटना नहीं है बल्कि लंबे समय से चली आ रही प्रकृति के प्रति लापरवाही का नतीजा है। साल 1976 में जोशीमठ की प्राकृतिक वल्नरेबिलिटी को लेकर चेतावनी जारी हुई थी। चमोली में आए 1998 के भूकंप के बाद जोशीमठ क्षेत्र में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया था। 

जोशीमठ के इस हादसे के बाद हुई जांच में CBRI (Central Building Research Institute) ने पाया कि, जोशीमठ के 99 फीसदी मकान नॉन-इंजीनियर्ड हैं। इसके अलावा ये इमारतें नेशनल बिल्डिंग कोड, 2016 के मुताबिक नहीं बनाई गईं थीं। ये तथ्य साफ़-साफ़ प्रशाशनिक लापरवाही की और इंगित करता है। 

इस घटना के बाद प्रभावित परिवारों ने मुआवजे सहित, 11 सूत्रीय मांग रखते हुए प्रदर्शन भी किया था। हालांकि उत्तराखंड की धामी सरकार ने ये मांगे ली थी। लेकिन सवाल अब भी वहीं का वहीं है, की क्या मुआवजा काफी है, और भविष्य में ऐसी घटनाओं को लेकर सरकार की क्या योजना है। इन दोनों प्रश्नों के उत्तर अब तक अस्पष्ट हैं। 

जब यह घटना हुई तब यहां से भाजपा की तीरथ सिंह रावत सांसद थे। इस दौरान जोशीमठ बद्रीनाथ विधानसभा में आता है। घटना के दौरान यहां के विधायक कांग्रेस के राजेंद्र सिंह भंडारी थे। राजेंद्र सिंह भंडारी अब कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो चुके हैं। और भाजपा ने इस लोकसभा चुनाव में तीरथ सिंह राबत्त का टिकट काट अनिल बालूनी को टिकट दिया था। अनिल, गढ़वाल लोकसभा से डेढ़ लाख वोटों के ऊपर की बढ़त बना कर चल रहे हैं।      

गढ़वाल लोकसभा के नतीजे ये संकेत दे रहे हैं की जोशीमठ के जनादेश में आपदाएं और पर्यावरण का मुद्दा केंद्र में नहीं रहा है। इसके अलावा जनप्रतिनिधियों की अदला-बदली ने लोकतंत्र का एक दूसरा स्वरुप ही पेश किया है, जिसके भंवर में जोशीमठ के अहम मुद्दे कहीं खो से गए हैं।  

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