इस साल पूरे देश ने हीटवेव और भीषण गर्मी का प्रकोप सहा है। इस भयानक हीटवेव के चलते इंसानों से लेकर जीव जंतु तक हत-आहत हुए हैं। हम इंसानों के पास चिलचिलाती धूप में छत और ठंडे पानी की बुनियादी सहूलियतें होती हैं, लेकिन सड़कों पर फिरने वाले लावारिस जानवरों के पास यह सुविधाएं नहीं होती। भोपाल में काम करने वाली एनीमल्स विद ह्यूमैनिटी नाम की संस्था बेज़ुबान जानवरों को इस भीषण गर्मी में न सिर्फ पानी मुहैया करवा रही है बल्कि उन्हें हीट स्ट्रोक से भी बचा रही है।
ग्राउंड रिपोर्ट ने एनीमल्स विद ह्यूमैनिटी से इस बारे में विस्तार से बातचीत की।
हीटवेव के दौरान की खास तैयारियां
AWH (एनीमल्स विद ह्यूमैनिटी) टीम ने बताया कि वे गर्मी को लेकर तैयार थे, लेकिन उन्हें अंदाजा नहीं था कि इस वर्ष इतनी भयानक गर्मी पड़ सकती है। हालांकि AWH ने गर्मी के दौरान भोपाल के 35 अलग-अलग स्थानों में वाटरपॉट बनाए थे। ये वाटरपॉट इस उद्देश्य से बनाए गए थे कि जानवर यहां जाकर अपनी प्यास बुझा सकें। इनकी लगातर निगरानी की जाती थी, ताकि इनमें जानवरों के लिए पानी उपलब्ध रह सके।
हमसे बातचीत के दौरान AWH की टीम ने बताया कि उन्हें जैसे ही किसी जानवर को हुए हीटस्ट्रोक की खबर मिलती थी, रेस्क्यू टीम तुरंत पहुंच कर जानवर का इलाज करती थी। इसके अलावा AWH की टीम लगातार लोगों को जागरुक भी करती थी। AWH ने लोगों से आग्रह किया, वे अपने घर के बाहर पानी रखें, जानवरों को दिन के समय पनाह दें, और कम से कम अपने घर के बाहर की जमीन में पानी छिड़क दें ताकि जानवरों को वहां बैठने में ठंडक मिले।
इस दौरान हमारी बात AWH की वाईस प्रेसिडेंट इशिता गोंदली से हुई। इशिता ने हीटवेव की तैयारियों, और कार्यक्रम को लेकर कहा
भीषण गर्मी के दौरान, मैंने जानवरों को हीटस्ट्रोक से बचाने के लिए समुचित कदम उठाए। जब भी कोई जानवर हीटस्ट्रोक से पीड़ित दिखा, मैंने तुरंत पशुचिकित्सक या पैरावेट से संपर्क किया और उनकी मदद से उस जानवर का इलाज कराया।
रोकथाम के उपाय के तौर पर, मैंने पूरे इलाके में पानी के बर्तन रखवाए ताकि जानवरों को हमेशा पानी मिलता रहे। साथ ही, मैंने लोगों को जागरूक करने के लिए शिक्षा अभियान भी चलाया। मैंने उन्हें बताया कि जानवरों में हीटस्ट्रोक के क्या लक्षण होते हैं और उन्हें कैसे उचित इलाज व देखभाल दी जा सकती है।
जानवरों के लिए काम करती है AWH
AWH (एनीमल्स विद ह्यूमैनिटी) भोपाल की एक पंजीकृत संस्था है जो जानवरों के हितों का ध्यान रखती है। इसकी शुरुआत 4 साल पहले 4 दोस्तों ने मिलकर की थी, लेकिन अब इनकी टीम में 150 से भी अधिक लोग काम कर रहे हैं। AWH लावारिस जानवरों के इलाज, बचाव, कुत्तों के स्टरलाईज़ेशन, अडॉप्शन, और उन पर हो रहे अत्याचारों के लिए कानूनी मदद भी सुनिश्चित करती है।
AWH की टीम ने बताया कि कई बार जानवरों के इलाज और स्टर्लाइजेशन के लिए नगर निगम की मदद लगती है। इसके अलावा जानवरों के प्रति अत्याचारों को लेकर पुलिस से सहयोग अपेक्षित रहता है। ऐसे मौकों पर भोपाल पुलिस और नगर निगम दोनों ने ही AWH की मदद की है।
A few clips from the Day-1 of “सह-अस्तित्व जागरूकता अभियान” (#Coexistence #Awareness Campaign) conducted in January in collaboration with @BMCBhopal.
— Animals With Humanity (@TeamAWH) February 21, 2024
Main Accomplishments:
Anti Rabies Vaccines - 53
Pet Dog Registration - 14 pic.twitter.com/HcEAm2cOF5
इसके अलावा AWH भोपाल पुलिस, और पेटा (PETA) जैसी संस्थाओं के साथ मिलकर कई पब्लिक अवेयरनेस इवेंट भी आयोजित करती है। इन इवेंट में लोगों को बेसहारा जानवरों के प्रति व्यवहार, जिम्मेदारियों, और उनसे संबंधित कानूनों को लेकर जागरुक किया जाता है।
AWH ने बताया कि वो जानवरों के अडॉप्शन के पहले अडॉप्ट करने वाले व्यक्ति की पूरी प्रोफाइल चेक करते हैं, और कॉउंसलिंग करते हैं। हालंकि AWH मुफ्त में अडॉप्शन कराता है, लेकिन अडॉप्शन के बाद जानवर की स्थिति को लगातार मॉनिटर करता रहता है।
दरअसल हम गर्मी, सर्दी, बरसात, आदि पर काबू नहीं पा सकते हैं, लेकिन कई छोटी-छोटी पहल से हम अपने इर्द गिर्द कई जानवरों की जान बचा सकते हैं। इसके लिए हमें सिर्फ महसूस करना पड़ेगा की घर के बाहर बैठा लावारिस जानवर सिर्फ नगर निगम की ही नहीं, बल्कि हमारी भी जिम्मेदारी है।
यह भी पढ़ें
- पर्यावरण बचाने वाले उत्तराखंड के शंकर सिंह से मिलिए
- दुर्लभ देसी पौधों की प्रजातियों को बचा रहे पुणे के यह युवा
- मिलिए हज़ारों मोरों की जान बचाने वाले झाबुआ के इस किसान से
- देसी बीजों को बचाने वाली पुणे की वैष्णवी पाटिल
- जवाई लेपर्ड सेंचुरी के आस-पास होते निर्माण कार्य पर लगते प्रश्नचिन्ह
पर्यावरण से जुड़ी खबरों के लिए आप ग्राउंड रिपोर्ट को फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सएप पर फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हमारा साप्ताहिक न्यूज़लेटर अपने ईमेल पर पाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।