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वित्तवर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में कृषि क्षेत्र की वार्षिक वृद्धि दर 3.5 प्रतिशत ही मापी गई
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी को आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया। इस दौरान उन्होंने चालु वित्तवर्ष के दौरान देश में घटी आर्थिक घटनाओं के आंकड़े पेश किए। इसी में उन्होंने कृषि क्षेत्र में हुई वृद्धि के बारे में भी बताया।
सर्वे में कृषि क्षेत्र में वित्तवर्ष 2016-17 और 2022-23 के बीच औसत विकास दर 5 प्रतिशत आंकी गयी है। जबकि वित्तवर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में कृषि क्षेत्र की वार्षिक वृद्धि दर 3.5 प्रतिशत ही मापी गई है। पिछले दशक की तुलना में भारत में कृषि आय में 5.2 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि देखी गई है। जबकि तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो गैर- कृषि क्षेत्र वाले लोगों की आय में 6.2 प्रतिशत की देखी गई।
सरकार ने सर्वे की रिपोर्ट में बताया कि कृषि क्षेत्र में हो रहे विकास में सही कीमतें, संस्थागत ऋण तक किसानों की पहुंच, उत्पादकता में वृद्धि और भिन्न-भिन्न फसलों के उत्पादन ने सबसे अधिक प्रभाव डाला है।
कृषि से जुड़े पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों में भी विविधीकरण पर जोर दिया गया है। इससे किसानों की पारंपरिक खेती पर निर्भरता घटेगी और अतिरिक्त आय हो सकेगी। जो कृषि क्षेत्र में स्थिरता लाने में भी सहायक होगा। इस सब के अलावा कृषि क्षेत्र जलवायु परिवर्तन और जल संकट से भी प्रभावित होता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सदन में अपना अभिभाषण देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के माध्यम से भारत सरकार ने 41 हजार करोड़ की राशि को करोड़ों किसानों तक पहुंचाया है। इसके साथ ही भारत सरकार ने किसानों के लिए रबी और खरीफ की फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाया है। बीते दशक में चावल, गेहूं, दालों, तिलहन और मोटे अनाजों की खरीद को तीन गुना कर दिया गया है।
भारत ने पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में खाद्यान्न के उत्पादन में 332 मिलियन टन के रिकाॅर्ड को छुआ है। भारत इसके साथ दूध, दालों और मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है। कृषि से जुड़ी आधारभूत संरचनाओं के लिए कृषि आधारभूत संरचना निधि (Agriculture Infrastructure Fund) योजना का विस्तार किया गया है। साथ ही तिलहन उत्पादन को बढ़ाने और खाद्य तेलों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए राष्ट्रीय तिलहन मिशन को भी मंजूरी दी गई है।
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