हिंजेवाड़ी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (HIA) ने दावा किया है कि इलाके में बुनियादी ढांचे की बिगड़ती स्थिति और यातायात की भीड़ के कारण पिछले दस वर्षों में 37 आईटी कंपनियां हिंजेवाड़ी राजीव गांधी इन्फोटेक पार्क से बाहर चली गई हैं। हालाँकि, महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (MIDC) के पास इस प्रवासन पर सटीक डेटा नहीं है।
25 साल पहले स्थापित हिंजेवाड़ी आईटी पार्क ((Hinjawadi Rajiv Gandhi Infotech Park)) अब सड़कों, अधिक किराया, जल आपूर्ति की समस्या, अपशिष्ट प्रबंधन और बिजली सहित अपर्याप्त बुनियादी ढांचे का सामना कर रहा है। 139 कंपनियों को समायोजित करने के लिए हाल ही के विस्तार के बावजूद, बुनियादी ढांचे में तेजी नहीं आई है। सड़कें संकरी और ख़राब स्थिति में हैं, जिससे अक्सर ट्रैफ़िक जाम होता है। एचआईए के दावे के अनुसार, कई कंपनियां राज्य के अन्य हिस्सों या राज्य के बाहर भी स्थानांतरित हो रही हैं।
इस घटना पर उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने संज्ञान लिया है और सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर शिंदे सरकार की नीति की आलोचना की है। उद्धव ने अपने ट्वीट में लिखा है कि, “जबकि संविधानेतर शिंदे सरकार दिल्ली को खुश करने में व्यस्त है, महाराष्ट्र के हिंजेवाड़ी आईटी पार्क से लगभग 37 आईटी कंपनियां विदेश चली गई हैं। यहां तक कि जब एक के बाद एक उद्योग महाराष्ट्र से बाहर जा रहे हैं, तब भी शिंदे सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। यह सरकार की सरासर निष्क्रियता है। उद्धव ने ट्वीट में कहा कि, ''महाराष्ट्र के युवाओं के भविष्य को दांव पर लगाकर सरकार केवल सत्ता का फल खाने में व्यस्त है।''
घटनाबाह्य मिंधे सरकार दिल्लीची हुजरेगिरी करण्यात व्यस्त असताना, महाराष्ट्रातील हिंजवडी आयटी पार्कमधून तब्बल ३७ आयटी कंपन्या परराज्यात स्थलांतरित झाल्या आहेत. एका पाठोपाठ एक उद्योग महाराष्ट्राबाहेर जात असतानाही मिंधे सरकार हाताची घडी घालून स्वस्थ बसलंय. हा सरकारचा निव्वळ… pic.twitter.com/nkSiFXDDce
— ShivSena - शिवसेना Uddhav Balasaheb Thackeray (@ShivSenaUBT_) May 30, 2024
पुणे (Pune) में ट्रैफिक जाम एक बड़ी समस्या है, जिसका सामना पुणे के लोग आए दिन करते हैं। लेकिन शहर में चल रहे मेट्रो के निर्माण कार्य ने इस मुसीबत को और भी बढ़ा दिया है। पुणे के हिंजेवाड़ी में अनगिनत कर्मचारी काम करते हैं। ट्रैफ़िक की भीड़ के कारण कई कर्मचारी समय पर कंपनी नहीं पहुँच पाते हैं। कई कंपनियों ने वर्क फ्रॉम होम के विकल्प को बंद क्र वर्क फ्रॉम ऑफिस अनिवार्य कर दिया है। इससे कर्मचारियों की मशक्क्त बढ़ गई है, और कंपनियों का काम भी प्रभावित हो रहा है।
हिंजेवाड़ी आईटी पार्क में इंफोसिस, विप्रो, टाटा, और महिंद्रा जैसी बड़ी कंपनियां हैं। यहां हजारों युवा काम करते हैं। मॉनसून के दौरान ट्रैफिक जाम की समस्या और भी गंभीर हो जाती है। इस जाम से परेशान होकर 37 कंपनियां राज्य से बाहर पलायन कर गयी हैं। इस मामले को सरकार की लापरवाही बताते हुए लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले ने एक ट्वीट भी किया है।
एक्स पर अपने ट्वीट में, सुप्रिया सुले (Supriya Sule) ने कहा, “जैसा कि महाराष्ट्र में रोजगार के अवसर एक के बाद एक खत्म होते जा रहे हैं, राज्य सरकार केवल देख रही है। पहले, महत्वपूर्ण उद्योग भी चले गए, जिससे युवा अपनी उचित नौकरियों से वंचित हो गए। हालाँकि, सरकार के पास इस मुद्दे को सुलझाने का समय नहीं दिख रहा है। अब यह बात सामने आई है कि 37 कंपनियां पुणे के हिंजेवाड़ी आईटी पार्क को छोड़ चुकी हैं। जब कोई उद्योग चला जाता है, तो यह नौकरियों और युवाओं के भविष्य को खतरे में डाल देता है। महाराष्ट्र में युवा रोजगार खोजने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और उद्योगों को बनाए रखने में सरकार की लापरवाही इस स्थिति के लिए जिम्मेदार है।
महाराष्ट्राच्या हक्काचे रोजगार एकामागून एक बाहेर जात असताना राज्य सरकार केवळ बघ्याची भूमिका घेत आहे. यापुर्वीही महत्वाचे उद्योग बाहेर गेले, तरुणांच्या हक्काचा रोजगार हिरावून घेतला गेला. परंतु सरकारला याबाबतीत लक्ष घालायला वेळ नाही. आता पुण्यातील हिंजवडी आयटी पार्कमधून ३७ कंपन्या… pic.twitter.com/RlRkRp6jqw
— Supriya Sule (@supriya_sule) May 30, 2024
पुणे के हिंजेवाड़ी क्षेत्र में करीब 150 कंपनियां हैं और तकरीबन 5 लाख लोग यहां काम करते हैं। हिंजेवाड़ी क्षेत्र में 1 लाख से अधिक कारें और अन्य वाहन आते-जाते हैं। ये गाड़ियां ट्रैफिक जाम में फंस जाती हैं और कभी-कभी 1 किमी की दूरी तय करने में एक घंटा लग जाता है।
भुजबल चौक और भूमकर चौक हिंजवडी तक पहुंचने का एकमात्र रास्ता है। इन इलाकों में मेट्रो (Pune Metro) का निर्माण कार्य चल रहा है। अगर यह मेट्रो लाइन शुरू हो जाएगी तो ट्रैफिक पर दबाव कम हो जाएगा। लेकिन मेट्रो का कार्य पूरा होने में अभी भी समय है, और पुणे के लोग ट्रैफिक जाम में फंसने को विवश हैं।
यह भी पढ़ें
- पर्यावरण बचाने वाले उत्तराखंड के शंकर सिंह से मिलिए
- मिलिए हज़ारों मोरों की जान बचाने वाले झाबुआ के इस किसान से
- देसी बीजों को बचाने वाली पुणे की वैष्णवी पाटिल
- जवाई लेपर्ड सेंचुरी के आस-पास होते निर्माण कार्य पर लगते प्रश्नचिन्ह
पर्यावरण से जुड़ी खबरों के लिए आप ग्राउंड रिपोर्ट को फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सएप पर फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हमारा साप्ताहिक न्यूज़लेटर अपने ईमेल पर पाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।