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Source: X(@siddtalks)
देवरी स्थित घड़ियाल संरक्षण केंद्र से 32 घड़ियालों को रविवार को चंबल नदी के सरसैनी घाट पर छोड़ा गया। इनमें दो मादा घड़ियाल और एक बचाया गया मगरमच्छ शामिल है। वन विभाग की इस पहल से राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभ्यारण्य में घड़ियालों की संख्या अब 2,512 से अधिक हो गई है।
2022 से संरक्षण केंद्र में पाले जा रहे 98 घड़ियालों में से 25 को पहले ही 13 जनवरी को छोड़ा जा चुका है। वन विभाग की योजना जल्द ही 41 और घड़ियालों को अभ्यारण्य में छोड़ने की है। ये सभी घड़ियाल 2022 में चंबल नदी के विभिन्न घाटों से एकत्र किए गए अंडों से विकसित हुए हैं।
वन विभाग के अनुसार, कृत्रिम वातावरण में घड़ियालों की जीवन प्रत्याशा 50 प्रतिशत होती है, जबकि प्राकृतिक वातावरण में यह मात्र 2 प्रतिशत है। संरक्षण केंद्र में इन्हें तब तक रखा जाता है जब तक इनकी लंबाई 1.20 मीटर नहीं हो जाती। नदी में छोड़ने के बाद एक वर्ष तक इनकी पूंछ पर लगे टैग के माध्यम से इनकी गतिविधियों की निगरानी की जाती है।
1975-77 के दौरान किए गए एक सर्वेक्षण में पता चला था कि विश्व के कुल 200 घड़ियालों में से 45 चंबल में थे। इसके बाद चंबल के 435 किलोमीटर क्षेत्र को घड़ियाल अभ्यारण्य घोषित किया गया और इनके संरक्षण के लिए रेत व मिट्टी का खनन प्रतिबंधित कर दिया गया। यह अभ्यारण्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में फैला हुआ है। 1980 से वन विभाग ने देवरी स्थित संरक्षण केंद्र में 200 घड़ियाल के अंडे संरक्षित किए हैं, जो इस संरक्षण कार्यक्रम की सफलता का प्रमाण है।
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