कोरोना के समय प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किया गया थाली बजाने का आहवान तो आपको याद ही होगा। पूरा देश जनता कर्फ्यू के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के थाली बजाओ के आहवान के साथ ऐसे जुड़ गया था कि मानों इसके बाद कोरोना खत्म हो जाएगा। कई शहरों में तो लोग इतने उत्साहित हो गए थे की पूरा जुलूस ही निकाल डाला था। इसके बाद कैसे कोरोना देश में फैला आपतो जानते है ही हैं।
पीएम मोदी आज साल की आखिरी मन की बात कर रहे थे। देश में किसान आंदोलन को 32 दिन हो चुके हैं किसानों की आवाज़ मानो सत्ता के सिंहांसन तक पहुंच ही नहीं रही थी। तो फिर क्या था किसानों ने भी थाली बजाने वाला आईडिया निकाला। मन की बात कार्यक्रम का विरोध किसानों ने थाली बजाकर किया। इस उम्मीद में की शायद जैसे कोरोना भागा वैसे ही नया कृषि कानून भी भाग जाएगा। किसानों का उद्देश्य केवल विरोध जताना है इसके पीछे कोई अंधविश्वास या टोटके वाली कहानी नहीं है न ही कोई वीयर्ड सा सांईंटिफिक रीज़न।
सिंघू, टिकरी, रेवारी और अन्य बॉर्डर जहां देश के किसान धरना दे रहे हैं वहां यह थाली बजाओ प्रोटेस्ट देखा गया। कुछ ट्वीट किए वीडियो पर नज़र डालते हैं।
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किसानों ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी केवल अपने मन की बात करते हैं दूसरों की आवाज़ उनको नहीं सुनाई देती। देश का किसान, मज़दूर और गरीब वर्ग रोज़ी रोटी के संकट से जूझ रहा है। नया कानून खेती किसानी को बर्बाद कर रहा है। किसान अपना खेत और घर छोड़कर दिल्ली की कड़ाके की सर्दी में सड़क पर बैठे हैं लेकिन पीएम मोदी किसानों के मन की बात सुनने को तैयार ही नहीं है।
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