सीहोर शहर की सीवन नदी (Sehore Siwan River) के महिला घाट पर संतोषी, नदी में मौजूद गंदगी को हाथ से हटाती हैं और बाल्टी में पानी भरती हैं, और फिर रोज़ाना की तरह अपने कपड़े धोना शुरु करती है। संतोषी हमें बताती हैं कि वो 60 बरस की हो गई हैं उनका बचपन भी इसी घाट पर गुज़रा, लेकिन उन्होंने कभी भी सीवन नदी को साफ नहीं देखा।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 35 किलोमीटर दूर स्थित सीहोर शहर वर्षों से जल संकट से जूझ रहा है, यहां विधानसभा चुनावों के दौरान विधायक प्रत्याशी शहर की एकमात्र नदी सीवन के जीर्णोद्धार का संकल्प करते आए हैं। लेकिन जीतने के बाद कोई भी विधायक या नगर पालिका अध्यक्ष इस नदी की दशा बदल पाने में कामयाब नहीं हुआ। अभी तक सीवन नदी (Sehore Siwan River) को साफ करने के लिए कई योजनाएं बनाई गई लेकिन दिन बीतते गए और नदी गंदे नाले में तब्दील होती गई। ग्राउंड रिपोर्ट की टीम ने जब इस नदी की हालत को देखा तो जाना की यह न सिर्फ प्रदूषित है बल्कि इसके आसपास अतिक्रमण की वजह से इसका कैचमेंट भी छोटा हो गया है।
सीहोर नगर सीवन नदी के किनारे पर समतल भूमि पर विकसित हुआ है। यह नदी जो एक बरसाती नदी है और पार्वती नदी की सहायक है, शहर को दो भागों में विभक्त करती है। शहर के सीवेज को एकत्रित करने वाला लोटिया नाला भी इसी नदी में मिलता है। सीहोर शहर का जल-मल, गटर एवं नालियों का गंदा पानी तथा वर्षा जल लोटिया नाले के माध्यम से अंत: सीवन नदी में मिलता है।
Sehore Siwan River योजनाओं में सिमटी
अटल मिशन फॉर रीजुवनेशन एंड अर्बन ट्रांस्फॉर्मेशन (AMRUT) जो प्रधानमंत्री मोदी द्वारा वर्ष 2015 में शहरों में मूलभूत ज़रुरतों की पूर्ती के लिए शुरु किया गया था उसके तहत सीहोर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट शुरु किया गया। इसकी क्षमता 12 एमएलडी सीवेज ट्रीट करने की है। हालांकि शहर का केवल 65 फीसदी सीवेज ट्रीटमेंट ही इसमें अभी हो रहा है। बताया गया कि AMRUT 2.0 के तहत शहर में एक और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जायगा जिसमें बाकी शहर का सीवेज ट्रीट होगा। कहने का अर्थ है कि अभी भी सीहोर शहर का 40 फीसदी सीवेज अनट्रीटेड ही यहां के जलाशयों में मिल रहा है और शहर को गंदा कर रहा है। सीवन नदी भी इसी का खामियाज़ा भुगत रही है।
संतोषी बताती हैं कि नगरपालिका के लोग कभी भी नदी की सफाई करने नहीं आते, यहां तक की घांटों पर भी झाडू लगाने कोई नहीं आता। जब बारिश का पानी आता है तो सारी गंदगी बहा ले जाता है।
जब हम सीवन के घाट (Sehore Siwan River) पर पहुंचे तो देखा कि हर तरफ पूजन सामग्री नदी में तैर रही थी, लोगों ने भंडारे की सब्ज़ी भी नदी के किनारे डाल रखी थी। कुछ छोटे बच्चे इसी गंदे पानी में डूबकी लगा रहे थो और व्यस्क इसी नदी के पानी से नहा रहे थे। हमने जब नदी में डूबकी लगाकर आए एक व्यक्ति से पूछा की क्या वो रोज़ इसी पानी में नहाते हैं तो उन्होंने कहा कि हां वो इसी पानी से नहाते हैं।
सीवन नदी से महज़ 1 किलोमीटर दूर ही नगरपालिका का दफ्तर है, ज़ाहिर है कि यहां बैठने वाले नेता और अधिकारी हर रोज़ इस नदी को मरते देखते होंगे। लेकिन इसके बावजूद वो कुछ नहीं करते यह सोचकर थोड़ा अचरज ज़रुर होता है। लेकिन शायद वो इस बात से संतोष करते होंगे की सीहोर शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए जो मास्टरप्लान 2031 बना है उसमें नदी के उद्धार के लिए बड़ी बड़ी बातें कहीं गई हैं। जैसे सीवन नदी और इसकी शाखाओं के किनारे नगर वन, उद्यान, अम्यूज़मेंट पार्क बनाया और वृक्षारोपण किया जाएगा। और इसके सौंदर्यीकरण के लिए कई काम किये जाएंगे। लेकिन मज़े की बात यह है कि यह मास्टरप्लान यह नहीं बताता कि नदी की सफाई (Sehore Siwan River) करने और इसे साफ रखने के लिए क्या किया जाएगा।
सीहोर शहर का अस्तित्व शायद इसी नदी की वजह से है क्योंकि इंसानी सभ्यता का विकास नदियों के आसपास ही होता आया है। लेकिन आज नदी अपने अस्तित्व की लड़ाई इस शहर में लड़ रही है और उसे बचाने के लिए कोई खड़ा नहीं है।
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