न्यूज़ डेस्क।। जम्मू कश्मीर गवर्नर सत्यपाल मालिक ने विधानसभा भंग करने पर उठे सवालों का जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने राज्य की बेहतरी के लिए यह फैसला लिया।
उनका कहना है कि राजनीतिक पार्टियां जिनकी विचारधारा एक दूसरे से अलग है वो साथ आकर सरकार बनाना चाहती थी, जो स्थिर सरकार नहीं दे सकती थी। विधायकों की खरीद फ़रोख़्त की आशंका के बीच विधानसभा भंग करना ही एक मात्र विकल्प था। भाजपा के कहने पर विधानसभा भंग के आरोप को नकारते हुए गवर्नर साहब ने कहा कि यह फैसला उन्होंने खुद लिया। महबूबा मुफ्ती और भाजपा दोनों ही सरकार बनाने का दावा पेश कर रही थी। मैंने किसी का पक्ष नहीं लिया। यह फैसला राज्य के हित में लिया गया।
सत्यपाल मालिक ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि राजनीतिक हितों के लिए राज्य की सुरक्षा और शांति से समझौता नहीं किया जा सकता। फैक्स मशीन खराब होने के सवाल पर सत्यपाल मालिक ने कहा कि कल ईद-ए -मिलाद की वजह से छुट्टी का दिन था, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती दोनों ही मुस्लिम है उन्हें इस बात का पता होना चाहिए। छुट्टी के दिन फैक्स काम नहीं करता।
उमर अब्दुल्ला ने उठाये सवाल
उधर उमर अब्दुल्ला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गवर्नर के कार्य पर सवाल खड़े किए, अब्दुल्ला ने कहा कि गवर्नर साहब 2 विरोधी विचारधारा के साथ सरकार बनाने को आधार बनाकर विधानसभा भंग कर देते हैं, वो तब कहाँ थे जब भाजपा और पीडीपी दो धुर विरोधी विचारों की पार्टी ने सरकार बनाई थी।
राज्यपाल अगर खरीद फरोख्त के आरोप लगा रहे हैं तो इसकी जांच होनी चाहिए क्योंकि यह गंभीर विषय है। पीडीपी-नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के पास तो अपने विधायक थे, इसका मतलब है कि गवर्नर साहब भाजपा पर खरीद फ़रोख़्त का आरोप लगा रहे थे। फैक्स मशीन का मुद्दा मज़ाक का विषय नहीं है, इसे गंभीरता से लिया जाए। भाजपा द्वारा पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस पर पाकिस्तान के आदेश पर काम करने के आरोप पर तिलमिलाए अब्दुल्ला ने राम माधव से सबूत पेश करने को कहा। उन्होंने भाजपा पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि हमने इस मुल्क के लिए अपना खून बहाया है, अपनी पुश्तें इसके लिए खपाई हैं। कल के आये लोग हमारी कुर्बानी पर सवाल न उठाएं तो बेहतर है।
GROUND REPORT’s VIEW
इस पूरे घटनाक्रम को देखकर एक बात साफ नजर आती है। सत्यपाल मालिक अपनी कही बात पर फंस गए हैं। खरीद फरोख्त का आरोप अगर गवर्नर लगा रहे हैं तो उनके पास इसकी पुख्ता रिपोर्ट होगी। जिसकी जांच होनी चाहिए। राष्ट्रपति शासन लगने के बाद से विधानसभा भंग करने की मांग कर रही पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अब राहत की सांस ली होगी क्योंकि उन्हें पार्टी टूटने का डर सता रहा था। अगर इस पूरे घटनाक्रम में किसी की हार हुई है तो वो सज्जाद लोन हैं, जो भाजपा के सहारे मुख्यमंत्री की कुर्सी पाने का ख्वाब सजाए हुए थे। गवर्नर द्वारा एक बार फिर सरकार के दिशानिर्देश पर काम करने के संकेत यहां मिलते हैं। विधानसभा भंग होने से अब पीडीपी को नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ काम करने को मजबूर नहीं होना पड़ेगा। महागठबंधन की आहट से भाजपा में आये भूचाल को अगर विपक्षी पार्टियां समझे तो कूटनीतिक फायदा महागठबंधन से हो सकता है। भाजपा अगले चुनावों तक कश्मीर में अपनी ज़मीन तैयार कर पाएगी।