Ramzan 2022 : भारत में 3 अप्रैल 2022 से रमज़ान का पाक महीना शुरू हो चुका है। देशभर में आज पहला रोज़ा है। रमज़ान इस्लामिक कैलेंडर का नवां महीना होता है।
अबसे 30 दिन तक मुस्लिम समुदाय के लोग सूर्य उदय होने के बाद और सूर्य अस्त होने तक न अनाज ग्रहण करते हैं, न पानी पीते हैं। रोज़ा रखने के साथ-साथ लोग अपने दिल और दिमाग को साफ रखते हैं, विचार शुद्ध रखते हैं। आइए जानते हैं इस पाक महीने में रोज़े की शुरुआत कैसे हुई।
रोज़े को अरबी भाषा में ‘सौम’ कहा जाता है। सौम का अर्थ है रुकना या ठहरना। इसी के साथ खुद पर नियंत्रण या काबू करना। वहीं, फारसी में उपवास को रोजा कहा जाता है। भारत में मुस्लिम समुदाय पर फारसी प्रभाव ज्यादा है, जिस वजह से यहां सौम के लिए रोज़ा शब्द का प्रयोग ही किया जाता है।
यूं शुरू हुई रोज़ा रखने की परंपरा
बताया जाता है कि रोजे की शुरुआत दूसरी हिजरी में हुई। कुरआन की दूसरी आयत सूरह अल बकरा में लिखा है कि ‘रोजा तुमपर उसी तरह से फर्ज किया जाता है, जैसे तुमसे पहले की उम्मत पर फर्ज था।’ बताया जाता है कि मुहम्मद साहब मक्के से हिजरत कर मदीना पहुंचे, उसके एख साल बाद मुसलमानों को रोज़ा रखने का हुक्म आया।
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कहा जाता है कि इस्लाम धर्म में हर बालिग पर रोजा फर्ज़ है इसके लिए सिर्फ उन्हें छूट मिली है, जो बीमार हैं या किसी यात्रा पर निकले हैं। इसके अलावा, गर्भवती महिलाएं और वह महिलाएं जिनके पीरियड्स चल रहे हैं, उनके रोजे से छूट दी गई है। वहीं, बच्चों का भी रोजा रखना ज़रूरी नहीं है। हालांकि, कहा जाता है कि लड़कियों के पीरियड्स के दौरान जितने भी रोजे छूटे हैं, वह उन्हें बाद में पूरे करने होते हैं।
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