बंगाल चुनाव में सरगर्मी तेज़ होती जा रही है। कल अमित शाह ने पश्चिम बंगाल में रोड शो किया तो पूरे मीडिया की नज़र उसी पर टिक गई। कल दिन भर न्यूज़ चैनलों पर भाजपा के रोड शो में उमड़ा जनसैलाब ही सुर्खियों में रहा। पश्चिम बंगाल का चुनाव इस बार किसी युद्ध से कम नहीं होगा क्योंकि भाजपा ने बंगाल में इस बार सरकार बनाने के लिए अपनी पूरी ताकत झौंक दी है। तो वहीं ममता बैनर्जी का किला ढहाना इतना आसान नहीं है। ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के प्रचार की कमान चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर संभाल रहे हैं। उन्होंने ट्वीट कर दावा किया है कि भाजपा को बंगाल में डबल डिजिट का आंकड़ा छूने के लिए भी संघर्ष करना पड़ेगा।
प्रशांत किशोर के ट्वीट के क्या हैं मायने?
प्रशांत किशोर ने अपने ट्वीट में लिखा है कि ‘मीडिया के एक सेक्शन ने भाजपा को लेकर जरूरत से ज्यादा ही प्रचार प्रसार किया हुआ है। मगर वास्तविकता यह है कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी को दहाई के आंकड़ा पार करने में ही संघर्ष करना पड़ेगा।’
यह ट्वीट इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि भाजपा ने बंगाल में 200 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए भाजपा सारे हथकंडे अपना रही है। टीएमसी के कई बड़े नेता अब बीजेपी का दामन थाम चुके हैं जिनका प्रभाव बंगाल के कई सीटों पर है। वहीं लेफ्ट पार्टी से भी नेताओं को तोड़ कर भाजपा में लाया जा रहा है। ममता के राईट हैंड रहे शुभेंदु अधिकारी का भाजपा में आना टीएमसी के लिए झटका बताया जा रहा है।
वहीं भाजपा जिस तरह से आक्रामक प्रचार बंगाल में कर रही है उससे मीडिया का फोकस भी भाजपा पर है। ऐसे में अबतक तेज़ी से बदल रहे चुनावी समीकरणों में टीएमसी कहां खड़ी है इसका कोई अंदाज़ा नहीं लगाया जा सका है। ऐसे में प्रशांत किशोर का ट्वीट बंगाल में टीएमसी की तैयारियों और आत्मविश्वास की झलक दिखाता है।
आपको बता दें कि प्रशांत किशोर देश के सफलतम चुनावी रणनीतिकार माने जाते हैं। बंगाल में ममता बैनर्जी का चुनाव प्रबंधन का काम प्रशांत किशोर की टीम काफी समय पहले से शुरु कर चुकी है। बताया जा रहा है कि प्रशांत किशोर की टीएमसी में इतनी पैठ हो चुकी हैं कि पार्टी के पुराने नेताओं को वो नागवार गुज़रने लगे हैं। शुभेंदु अधिकारी का पार्टी छोड़ने का एक कारण प्रशांत किशोर की दखलअंदाज़ी भी रही है।
बंगाल की लड़ाई आसान नहीं है यह हर कोई जानता है लेकिन भाजपा की चुनावी रणनीति और माईक्रो लेवल का चुनावी प्रबंधन कई बार साबित हो चुका है। ऐसे में ममता के लिए अपना गढ़ बचाने की चुनौती है और उसकी ज़िम्मेदारी प्रशांत किशोर के कंधों पर है।
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