प्रज्ञा ठाकुर जब भी मुंह खोलती हैं कुछ न कुछ विवादित कह ही जाती हैं। उनके कहे हुए शब्दों को चोरी छिपे स्वीकारने वाली उनकी पार्टी सार्वजनिक तौर पर तो पल्ला झाड़ लेती है, लेकिन हर बयान पर कहीं न कहीं पार्टी की मौन स्वीकृति होती है। इस बार प्रज्ञा ठाकुर ने जातिवाद को कहीं न कहीं सही ठहराने की कोशिश अपने बयान में की है।
मालेगांव बम धमाकों में आरोपी और बीजेपी की भोपाल से सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने धर्मशास्त्र का हवाला देते हुए कहा, “जब हम किसी क्षत्रिय को क्षत्रिय कहते हैं तो उसे बुरा नहीं लगता है। यदि हम किसी ब्राह्मण को ब्राह्मण कहते हैं तो उसे बुरा नहीं लगता है। यदि हम किसी वैश्य को वैश्य कहते हैं तो उसे बुरा नहीं लगता है। लेकिन यदि हम किसी शुद्र को शुद्र कहते हैं तो वह बुरा मान जाता है। कारण क्या है? क्योंकि वे बात को समझते नहीं हैं।”
क्षत्रीय महासभा को संबोधित करते हुए साध्वी प्रज्ञा ने यह बयान दिया है, प्रज्ञा ने कहा कि धर्मशास्त्र में समाज को चार जातियों में विभाजित किया गया था। अब इस बयान के कई मायने हो सकते हैं। पहला तो यह कि साध्वी जातीय व्यवस्था को सही ठहराना चाहती हैं और दूसरा यह कि वो चाहती हैं कि समाज उसी पुराने ढर्रे पर वापस लौट जाए जहां उंची जाती के लोग नीची जाती का शोषण सहते रहें और अपनी जाती को सहर्ष स्वीकार करने लगें।
आरक्षण पर भी प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि यह आर्थिक आधार पर दिया जाना चाहिए न कि जातीय आधार पर। क्षत्रीय समाज को संबोधित करते हुए साध्वी ने कहा कि आपको अपनी ज़िम्मेदारी समझना चाहिए आपको ज़्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करना चाहिए ताकि आपके बच्चे देश की सेना में जा सकें और देश की रक्षा कर सकें।
किसान आंदोलन पर प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि किसानों के नाम पर जो लोग प्रदर्शन कर रहे हैं वे सभी एंटी नेशनल हैं, कांग्रेसी और लेफ्टिस्ट हैं। इन्होंने शाहीन बाग आंदोलन के दौरान भी यही किया था।
इसी दौरान एक और बेतुका बयान मालेगांव बम ब्लास्ट आरोपी और बीजेपी सांसद प्रज्ञा ने दिया जिसमें कहा कि देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून केवल देशद्रोहियों के लिए लाया जाना चाहिए बाकि जो लोग देश भक्त हैं उनको इससे छूट दे देनी चाहिए।
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