Skip to content
Home » HOME » मैने ओला-उबर लेना बंद कर दिया है, अब देश की माली हालत ठीक हो जाएगी

मैने ओला-उबर लेना बंद कर दिया है, अब देश की माली हालत ठीक हो जाएगी

व्यंग्य | कार्तिक सागर समाधिया

हिंदी दिवस की शुभकामनाएं। शुभकामनाएं तो मैंने 15 अगस्त की भी दी। बादलों के सिवा सूरज नहीं। चन्दा मामा ने विक्रम को अपने पास रख लिया है और धरती से ब्रेकअप कर लिया। बहुत कुछ घट रहा है। थ्योरी ऑफ रेलेटीविटी यही है कि थ्योरी ऑफ ग्रैविटी हमें नहीं पता। कैसे पता होगी जब सर पर कश्मीर के एप्पल की जगह दिल्ली के संसदीय बयानों में सड़ान्ध मारते टिंडे युवा पीढ़ी के दिमागों पर मारे जाएंगे। अब मैंने ओला उबर लेना बंद कर दिया है। इससे मेरी माली हालत ठीक हो गयी है। जल्द देश की भी हो जाने की गुंजाइश है। आर्थिक ज्ञान की धज्जियां उड़ाकर लोगों को चड्डी बनियान की खरीदी की तरफ ध्यान दिलाया गया है। चमपुओं के बयानों से ऐसा लगता है, जैसे लोग स्वाबलंबी हो गये हैं। गांधी बहुत याद आ रहे हैं, वो होते तो शायद इस बार बारिश और सूरज की दुआ मांगते हुए, अनशन करते।

Also Read:  5 countries that have emitted most carbon dioxide in the world

खैर धारा 370 हटने से अबतक क्या फायदा हुआ इसका पता नहीं लेकिन कश्मीर की हालत उस बच्चे की तरह है जिसे ज्यादा मस्ती करने पर कमरे में बिना दाना पानी दिए बंद कर दिया जाता है।

दिल्ली में चुनाव है। चाचा कह रहे हैं इस बार दिल्ली में फटाखे नहीं फूटेंगे। लाइट की रासलीला दिखाई जाएगी। बहस के मुद्दों से कश्मीर गायब है। अन्ना के आंदोलन से निकली पार्टी सियासी कुर्सी के आसपास मूंग दल रही है। हिंदी के एक पत्रकार को इसी बीच मैग्सेसे मिल गया। सरकार ने अब तक एक बधाई मैसेज नहीं डाला । यह कोई सियासी फायदे की चीज नहीं है। विस्तार से नजर डाले तो हम उस बंद पोटली की तरह हो गए, जिसको राष्ट्रावाद के सूजे से सिल दिया है।

Also Read:  Maihar Maa Sharda Lok, amidst hopes and fears

फिलहाल हाल बस यही है, की सब अपनी अपनी मोटर व्हीकल एक्ट सम्भालने में लगे हैं। हम बयानों में इतना खो गए हैं, कि जल्द ही तानाशाही की तरफ बढ़ चले। अब बात हुई है हिंदी पूरे देश की भाषा होनी चाहिए। बंटवारें की आग लगा दो एक बार फिर …मजहबी न सही तो भाषाई सही। अफसोस ये लोग अपने आप को पटेल का हमदर्द बताते हैं। जाते जाते सिर्फ अदम बाबा की कविता पढ़े, और चुपचाप सो जाएं क्योंकि मैं मेरा लिखा पढ़ने के लिए सर्विस टैक्स लग जाता है।

जो डलहौज़ी न कर पाया वो ये हुक़्क़ाम कर देंगे, कमीशन दो तो हिन्दोस्तान को नीलाम कर देंगे


ये बन्दे-मातरम का गीत गाते हैं सुबह उठकर मगर बाज़ार में चीज़ों का दुगुना दाम कर देंगे


सदन में घूस देकर बच गई कुर्सी तो देखोगे,
वो अगली योजना में घू्सखोरी आम कर देंगे।

अदम गौंडवी

इस लेख में व्यक्त किये गए विचार पूरी तरह लेखक के निजी विचार हैं। इस लेख में Groundreport.in ने किसी प्रकार का कोई संपादन नहीं किया है।

Author

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.