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People Dying Due To Hunger: दुनिया भर में हर मिनट 11 लोगों की हो रही भूख से मौत

People Dying Due To Hunger: सामाजिक और राजनीतिक संघर्ष, COVID-19 और जलवायु संकट के संयोजन के कारण अत्यधिक भूख से हर मिनट औसतन 11 लोगों की मौत

By Jaya Bajpai
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Every minute 11 people are dying

People Dying Due To Hunger: सामाजिक और राजनीतिक संघर्ष, COVID-19 और जलवायु संकट के संयोजन के कारण अत्यधिक भूख (People Dying Due To Hunger) से हर मिनट औसतन 11 लोगों की मौत हो रही है। अपको बता दें कि यदि ऐसे ही लोगों की मौत होती रहेगी तो वो दिन दूर नहीं जब यह दर महामारी की वर्तमान मृत्यु दर से अधिक होगी जो प्रति मिनट सात व्यक्ति है।

क्या है ऑक्सफैम की ताजा रिपोर्ट

भूखमरी के कारण हो रही लोगों की मौत को देखते हुए ऑक्सफैम की ताजा रिपोर्ट के अनुसार- द हंगर वायरस कई गुना बढ़ रहा है। इसके साथ ही वर्तमान में दुनिया में 155 मिलियन लोग खाद्य संकट की स्थिति से भी जूझ रहे हैं। जो की पिछले साल की तुलना में 20 मिलियन अधिक लोग हैं। वहीं इस रिपोर्ट में हाइलाइट किए गए भूख के हॉटस्पॉट में अफगानिस्तान, यमन, पश्चिम अफ्रीका के सहेलियन हिस्से, दक्षिण सूडान और वेनेजुएला है। आपको बता दें कि इन जगहों पर, खाद्य संकट पहले से ही खराब हो रहा था। इसके साथ ही महामारी, संघर्ष और जलवायु संकट के आर्थिक परिणामों के संयोजन ने 48 मिलियन से अधिक लोगों को भूख के गंभीर स्तर पर पहुंचा दिया है।

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ऑक्सफैम इंटरनेशनल के कार्यकारी निदेशक गैब्रिएला बुचर ने क्या कहा

ऑक्सफैम इंटरनेशनल के कार्यकारी निदेशक गैब्रिएला बुचर ने क्या कहा कि “लगातार संघर्ष, महामारी के आर्थिक परिणाम और बिगड़ते जलवायु संकट ने 520,000 से अधिक लोगों को अकाल के कगार पर धकेल दिया है। महामारी से मुकाबला करने के बजाय, युद्धरत दलों ने एक-दूसरे से लड़ना जारी रखा है। उन्होंने कहा कि अक्सर उन लाखों लोगों को घातक झटका लगा है, जो पहले से ही चरम मौसम की घटनाओं और आर्थिक व्यवधान के परिणाम भुगत रहे हैं। " वहीं उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि सेंट्रल अमेरिकन ड्राई कॉरिडोर, अटलांटिक में तूफान के मौसम से प्रभावित हुआ है। जो 2019 में 18 की तुलना में 2020 में 30 तूफानों के साथ एक अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया है। इस स्थिति को कारावास और आंतरिक संघर्षों में जोड़ा गया है। जिससे दुनिया के इस हिस्से में भूख तेज हो गई है।

यह अनुमान है कि मध्य अमेरिका में 2021 में लगभग 8 मिलियन लोग तीव्र खाद्य असुरक्षा की स्थिति में हैं, जो 2018 की तुलना में 2.2 मिलियन लोगों की वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है। इसके अलावा, अनुमानों के अनुसार, 2020 में, महामारी के दौरान 8.3 मिलियन नौकरिया खत्म हो गईं थी।

भारत की स्थिति भी ठीक नहीं

वहीं अगर हम भारत की बात करें तो लाखों लोग भोजन की भारी कमी का सामना कर रहे हैं। यही वजह है कि इस रिपोर्ट में भारत को भूख के हॉटस्पॉट के तौर पर दिखाया गया है। 2020 के आंकड़ों पर नजर डालें तो भारत में करीब 19 करोड़ लोग कुपोषण से पीड़ित (People Dying Due To Hunger) हैं। वहीं, पांच साल से कम उम्र के करीब एक तिहाई बच्चों का विकास ठीक से नहीं हो पा रहा है।जहां इस वायरस की चपेट में आने के बाद भारत में लोगों की दाल जैसे जरूरी खाद्य पदार्थों की खपत में 64 फीसदी की गिरावट आई है। वहीं, हरी सब्जियों की खपत में 73 फीसदी की गिरावट आई है। देश में 70 प्रतिशत से अधिक लोग मानते हैं कि महामारी से पहले की तुलना में उनके भोजन का सेवन कम हो गया है।

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आय में कमी है इसकी जिम्मेदार

आय में कमी इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार है। देश में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के समुचित क्रियान्वयन का अभाव भी इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार है। वहीं, स्कूलों के बंद होने का भी कहीं हाथ है। देश के 15 राज्यों में 47,000 परिवारों के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि बड़े पैमाने पर नौकरी छूटने के कारण परिवारों ने अपनी आय का 60 प्रतिशत से अधिक खो दिया है, खासकर अनौपचारिक क्षेत्र में।

अकेले अप्रैल 2021 में ही करीब 80 लाख लोगों की नौकरी चली गई।

इतना ही नहीं, रिपोर्ट का मानना है कि देश की सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था उन लोगों को मदद मुहैया कराने में नाकाम रही है, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। सरकार अभी भी अपनी सार्वजनिक वितरण योजना के लिए 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर निर्भर है, लगभग 10 करोड़ लोग जो राशन के हकदार थे। इस मदद से वंचित रह गए। अनुमान है कि इस योजना का लाभ पाने वाली 57 प्रतिशत आबादी को ही इसका लाभ मिल रहा है। वहीं स्कूलों के बंद होने को भी देश में भुखमरी का एक कारण माना गया है। देश में कार्बी 12 करोड़ बच्चे स्कूलों में दिए जाने वाले मध्याह्न भोजन पर निर्भर थे, स्कूल बंद होने और कई भोजन कार्यक्रमों के कारण बच्चों को पौष्टिक भोजन नहीं मिल रहा था।

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