ग्राउंड रिपोर्ट। न्यूज़ डेस्क
दिल्ली सरकार ने आठवी तक नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म करने का मन बना लिया है। इसके तहत आठवी तक बच्चों को परीक्षा में कम नंबर आने पर भी पास कर अगली कक्षा में भेज दिया जाता था। लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में अभिनव प्रयास के लिए जानी जाने वाली केजरीवाल सरकार का कहना है कि इस नियम की वजह से नौवी कक्षा के परिणाम पर असर देखने को मिल रहा है। नो डिटेंशन पॉलिसी की वजह से परीक्षा परिणाम खराब हो रहे हैं। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में केवल 58 फीसदी बच्चे ही पिछले वर्ष सफल हो पाए थे।
क्या है नो डिटेंशन पॉलिसी?
नो डिटेंशन पॉलिसी को शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 का अहम हिस्सा माना जाता है। इस अधिनियम के अंतर्गत सरकार ने 6-14 वर्ष की आयु वाले बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के प्रावधान किए हैं। और साथ ही आठवी तक बच्चों को फेल न करने का नियम भी बनाया गया क्योंकि यह देखने में आया था कि फेल होने के बाद कई बच्चे स्कूल छोड़ देते थे। इस नियम के तहत अगर बच्चे के वार्षिक परीक्षा में कम अंक प्राप्त करता है तो उसे पासिंग ग्रेड देकर अगली कक्षा में भेज दिया जाएगा। जबकी पहले परीक्षा में फेल होने पर छात्रों को उसी कक्षा में दोबार बैठना होता था। सरकार फिर से इसी नियम को लागू करेगी।
क्या होगा नया नियम?
नए नियम के तहत सफल न होने पर छात्रों को दोबार परीक्षा देनी होगी। छात्रों को 40 फीसदी अंक प्राप्त करने होंगे 15 फीसदी अंक कक्षा में 80 फीसदी उपस्थिती के लिए दिए जाएंगे। अगर छात्र 40 फीसदी अंक प्राप्त नहीं कर पाता तो उसे दोबार परीक्षा देनी होगी और अगर दोबारा भी वह सफल नहीं होता तो अगले वर्ष उसे उसी कक्षा में बैठना होगा।
दिल्ली सरकार की सलाहकार समिति की सिफारिशों को मंजूरी देते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है। यह नियम कक्षा 5 वी और 8वी के बच्चों पर लागू होगा। 2009 में संसद में हुए शिक्षा के अधिकार अधिनियम में संशोधन के बाद राज्य सरकारों को इस मामले में फैसला लेने का अधिकार दे दिया गया था। दिल्ली सरकार ने इसी के तहत यह फैसला लिया है।
यह आमूमन देखा गया है कि जब बच्चों में फेल होने का डर नहीं रहता तो वे कम मेहनत करते हैं। नो डिटेंशन पॉलिसी का कई शिक्षाविद विरोध करते रहे हैं। क्योंकि इस व्यवस्था से शिक्षा की गुणवत्ता और छात्रों के परिणामों पर भी असर पड़ा है। लगातार पास कर दिए जाने की वजह से कम अंक लाने वाले छात्रों को दसवी की बोर्ड परीक्षा में मुश्किल का सामना भी करना पड़ता है।