छात्र और मज़दूरों के बाद के देश के किसान भी मोदी सरकार के खिलाफ खड़े हो गए हैं। संसद में तीन नए कृषि विधेयक पारित करवा कर सरकार बुरी तरह घिरी हुई नज़र आ रही है।
लोकसभा में कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य, संवर्द्धन और सुविधा विधेयक-2020; कृषक सशक्तिकरण एवं संरक्षण, कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 साढ़े पांच घंटे की चर्चा के बाद पारित हो गया। इन तीनों विधेयक पर विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया तो वहीं सरकार के सहयोगी दल भी सरकार के खिलाफ खड़े हो गए। शिरोमणी अकाली दल से मोदी सरकार में शामिल मंत्री हरसिमरत कौर ने विधेयक को किसान विरोधी बताते हुए मोदी सरकार से इस्तीफा दे दिया और साथ ही गठबंधन का हिस्सा बने रहने पर विचार की बात कही है।
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क्या हैं नए कृषि विधेयक?
कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक
उपज कहीं भी बेच सकेंगे। बेहतर दाम मिलेंगे। ऑनलाइन बिक्री होगी। इसमें एक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण का प्रावधान किया गया है। इसमें किसान और व्यापारी विभिन्न राज्य कृषि उपज विपणन विधानों के तहत अधिसूचित बाजारों के भौतिक परिसरों या सम-बाजारों से बाहर पारदर्शी और बाधारहित प्रतिस्पर्धी वैकल्पिक व्यापार चैनलों के माध्यम से किसानों की उपज की खरीद और बिक्री लाभदायक मूल्यों पर करने से संबंधित चयन की सुविधा का लाभ उठा सकेंगे। सरकार का तर्क है कि इस बिल से किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी
मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता
किसानों की आय बढ़ेगी। बिचौलिए खत्म होंगे। आपूर्ति चेन तैयार होगा। इसमें कृषि समझौतों पर राष्ट्रीय ढांचे के लिए प्रावधान है, जो किसानों को कृषि व्यापार फर्मों, प्रोसेसरों, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों या बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथ कृषि सेवाओं और एक उचित तथा पारदर्शी तरीके से आपसी सहमति वाला लाभदायक मूल्य ढांचा उपलब्ध कराता है।
आवश्यक वस्तु (संशोधन)
करीब 65 साल पुराने वस्तु अधिनियम कानून में संशोधन के लिए लाया गया है। इस बिल में अनाज, दलहन, आलू, प्याज समेत कुछ खाद्य वस्तुओं (तेल) आदि कोआवश्यक वस्तु की लिस्ट से बाहर करने का प्रावधान है। सरकार का तर्क है कि इससे प्राइवेट इन्वेस्टर्स को व्यापार करने में आसानी होगी और सरकारी हस्तक्षेप से मुक्ति मिलेगी। सरकार का ये भी दावा है कि इससे कृषि क्षेत्र में विदेशी निवेश को बढ़ावा मिल सकेगा।
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किसान क्यों कर रहे हैं विरोध?
अकाली दल को क्या है डर?
सरकार का क्या है तर्क?
किसानों से जुड़े तीनों विधेयक क्रांतिकारी साबित होंगे। इससे किसानों को उपज के लिए लाभकारी मूल्य दिलाना तय होगा। इस विधेयक से राज्य के कानूनों का अधिग्रहण नहीं होता।
–कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर
कृषि सुधार विधेयकों का पारित होना देश के किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। ये विधेयक सही मायने में किसानों को बिचौलियों और तमाम अवरोधों से मुख्त करेगा। किसानों को भ्रमित करने में बहुत सारी शक्तियां लगी हुई हैं। मैं अपने किसान भाईयों और बहनों को आश्वस्त करता हूं कि एमएसपी और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी। ये विधेयक वास्तव में किसानों को कई और विकल्प प्रदान कर उन्हें सही मायने में सशक्त करने वाले हैं। इस कृषि सुधार से किसानों को अपनी उपच बेचने के लिए नए-नए अवसर मिलेंगे, जिससे उनका मुनाफा बढ़ेगा। इससे हमारे कृषि क्षेत्र को जहां आधुनिक टेक्नोलॉजी का लाभ मिलेगा, वहीं अन्नदाता सशक्त होंगे।
–प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
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