अमेरिकी संसद की स्पीकर नैन्सी पेलोसी (Nancy Pelosi) ताइवान (Taiwan Visit) के दौरे पर हैं। चीन की धमकी के बाद भी नैन्सी पेलोसी (Nancy Pelosi) ने अपनी यात्रा जारी रखी। चीन अमेरिका की इस हरकत के बुरी तरह से बौखला उठा है।
लगातार चेतावनी के बाद भी नैन्सी पेलोसी (Nancy Pelosi) के ताइवान पहुंचते ही चीन भड़क उठा है। चीन ने अमेरिकी राजदूत को तलब कर नाराज़गी जताई है। आख़िर चीन नैन्सी पेलोसी (Nancy Pelosi) की इस यात्रा से इतना क्यों नाराज़ है कि जंग की नौबत आ गई। आइये समझते हैं।
चीन-ताइवान का क्या है विवाद ?
अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी (Nancy Pelosi) मंगलवार को ताइवान यात्रा पर पहुंची। चीन को ये बात इतनी नागवार गुज़री की जंग की नौबत आ गई। चीन ने इसे उकसाने वाली कार्रवाई बताया है। चीन ने अमेरिका को धमकी देते हुए कहा कि इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
अब सबसे बड़ा सवाल जो अधिकतर लोगों के ज़हन में है कि आख़िर चीन-ताइवान का विवाद है क्या ? दरअसल चीन और ताइवान के बीच 73 साल से विवाद चला आ रहा है। चीन वन चाइना पॉलिसी के तहत ताइवान को अपने देश का हिस्सा मानता है।
ताइवान खुद को संप्रभु देश मानता है। उसका अपना संविधान है। ताइवान में लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार है। ताइवान दक्षिण पूर्वी चीन के तट से लगभग 100 मील दूर स्थिति 35,980 वर्ग किमी में फैला एक द्वीप है।
चीन पिछले कई दशकों से ताइवान को अपने देश का हिस्सा बताता है। जानकारी के मुताबिक ऐतिहासिक रूप से से देखें तो ताइवान कभी चीन का ही हिस्सा हुआ करता था। चीन के मौजूदा राष्ट्रपति शी जिनपिंग ताइवान को चीन से मिलाने में ज़ोरदार वकालत करते आए हैं। चीन इस द्वीप को फिर से अपने नियंत्रण में लेने की हर कोशिश करता रहता है। अमेरिकी संसद की स्पीकर की इस यात्रा से चीन इसी कारण बौखला उठा है।
Nancy Pelosi के दौरे से क्यों बौखलाया चीन?
चीन लगातार इस बाद को कहता आया है कि ताइवान में किसी दूसरे मुल्क का दखल वो किसी भी रूप में स्वीकार नहीं करेगा। अब सामने अमेरिका आ खड़ा हुआ है। दरअसल, अमेरिका पिछले कई वर्षों से ताइवान को सैन्य क्षेत्र में मज़बूत करने के लिय उसे हथियार बेच रहा है।
हालांकि अमेरिका के साथ ताइवान के बीच टकराव 1996 से चला आ रहा है। लेकिन अमेरिकी स्पीकर Nancy Pelosi के रिश्तों में सुधार दिखता नज़र आ रहा है। यही, कारण है कि अमेरिकी संसद की स्पीकर Nancy Pelosi के दौरे से चीन बौखला उठा है।
वहीं चीन-ताइवान के बीच युद्ध जैसे हालात पैदा हो गए हैं। लेकिन क्या चीन के सामने ताइवान सैन्य क्षेत्र में कहां खड़ा है। युद्ध की स्थिति में चीन के सामने ताइवान की सैन्य ताकत बहुत कम है। हालांकि, अमेरिका का समर्थन मिलता है तो इससे चीन को परेशानी हो सकती है। लेकिन दूसरी तरफ सवाल यही खड़ा होता है कि जैसे यूक्रेन को अमेरिका ने छोड़ दिया तो ताइवान को भी छोड़ देगा।
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