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क्यों एमपी की नागलवाड़ी माइक्रो लिफ्ट सिंचाई परियोजना है सवालों के घेरे में?

बीते शनिवार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बड़वानी में जनता को संबोधित कर रहे थे. यहाँ उन्होंने नागलवाड़ी और पाटी माइक्रो लिफ्ट सिंचाई परियोजना का उद्घाटन किया.

By Shishir Agrawal
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nagalwadi irrigation project inauguration controversy

बीते शनिवार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बड़वानी में जनता को संबोधित कर रहे थे. यहाँ उन्होंने नागलवाड़ी और पाटी माइक्रो लिफ्ट सिंचाई परियोजना का उद्घाटन किया. नागलवाड़ी माइक्रो लिफ्ट सिंचाई परियोजना के अंतर्गत खरगोन और बड़वानी ज़िले की कुल 38412 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो पाएगी. सरकारी आंकड़ों में इसका ख़र्च 1173.03 करोड़ रुपए है. वहीँ पाटी माइक्रो लिफ्ट सिंचाई परियोजना के अंतर्गत बड़वानी ज़िले की 5500 हेक्टेयर भूमि पर 128.85 करोड़ रूपए की लागत से सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी.

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उद्घाटन के दौरान बोलते हुए उन्होंने कहा कि 2018 में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मांग आज पूरी की गई है. उन्होंने आगे कहा कि मध्यप्रदेश शासन ने असंभव क्षेत्रों में भी पानी पहुँचाने का काम किया है. अब खेतों में पानी लिफ्ट करके पहुँचाया जा रहा है. करोड़ों की लागत वाली इस योजना को लेकर सरकारी दावा यही है कि इससे सूखे की मार झेलने वाले निमाड़ के किसानों को राहत मिलेगी. मगर अधूरी परियोजना और इससे पहले की परियोजनाओं के परिणाम इस दावे पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं. 

nagalwadi irrigation project location map

नागलवाड़ी माइक्रो लिफ्ट सिंचाई परियोजना   

साल 2018 में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के दौरान इस योजना का शिलान्यास किया गया था. अब बीजेपी सरकार में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसका उद्घाटन किया है. नागलवाड़ी परियोजना के कार्यपालन यंत्री सीबी टटवाल के अनुसार

“मध्यप्रदेश के खरगोन और बड़वानी ज़िले को लाभ देने वाली यह योजना 2 हज़ार किलोमीटर तक लम्बी है”.

सरकार के लिए यह एक महत्वकांक्षी योजना है. मगर बीते दिनों इसकी टेस्टिंग के दौरान पाईपलाइन फूटने की घटनाओं के चलते यह सवाल उठाया गया कि यह योजना अभी अधूरी है. 

बीते महीने 23 जून को बड़वानी के ब्राम्हण गाँव में टेस्टिंग के दौरान पाइपलाइन फूट गई. इसके चलते किसानों के खेतों में पानी भर जाने से उनको नुकसान हुआ. इसके अलावा उद्घाटन के एक हफ्ते पहले भी गोलानिया गाँव में इसी तरह की एक घटना हुई. इन घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए टटवाल कहते हैं, “किसी भी परियोजना की शुरुआत के पहले टेस्टिंग होती है. पूरी परियोजना में 4 हज़ार 2 सौ ज्वाइंट हैं. इनमें से एक ज्वाइंट खुल जाने से पूरी परियोजना फेल नहीं हो जाती.” 

टटवाल कहते हैं कि इस योजना के कारण 42 हज़ार किसान लाभान्वित होंगे. पूरी परियोजना के बारे में बताते हुए वह कहते हैं, “हमने 20-20 हेक्टेयर के सेक्शन बनाए हैं जिनको ढाई-ढाई हेक्टेयर में बाँटा है. एक बार में हम केवल 2 चक में पानी देंगे.”

पाटी माइक्रो लिफ्ट सिंचाई परियोजना      

नर्मदा नियंत्रण मंडल की 58वीं बैठक में 3 अक्टूबर 2017 को इस परियोजना को स्वीकृति प्रदान की गई थी. योजना के अंतर्गत बड़वानी ज़िले की पाटी और बड़वानी तहसील के कुल 23 गाँव लाभान्वित होंगे. इसका एक पम्प हाउस बड़वानी के डूब प्रभावित गाँव बिजासन में बना हुआ है. यह पम्प हाउस जिस ज़मीन पर बना है वह ज़मीन मोहन सिंह की है. मोहन पेशे से किसान हैं. सरकारी दावे के अनुसार इस परियोजना से किसान खुश होंगे. मगर मोहन उन किसानों में शामिल नही हैं.

“मेरी आधी ज़मीन जो डूब की है वो तो सरकार ने ले ही ली है मगर उसके अलावा जो सूखी ज़मीन थी वह भी बिना गाँववालों की अनुमति के ले ली है.”

मोहन कहते हैं कि उनकी 25 प्रतिशत से ज़्यादा ज़मीन इस परियोजना के लिए ली गई है जिसके लिए उन्हें 4 से 5 लाख रूपए मुआवज़े के दिए जा रहे हैं जो बेहद कम हैं. 

बड़वानी के वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र जोशी भी इस परियोजना की आवश्यकता पर सवाल उठाते हैं. “जिस क्षेत्र में इस परियोजना के अंतर्गत लिफ्ट इरिगेशन का प्लान है उसके एक ओर गोई नदी है वहीँ दूसरी ओर नर्मदा नदी है. जिस पहाड़ी क्षेत्र के लिए लिफ्ट माइक्रो इरिगेशन किए जाने का दावा किया जा रहा है उनमें से केवल 1-2 ही पहाड़ी क्षेत्र के गाँव हैं.” जोशी हमें बताते हैं कि इस योजना के तहत जो पानी लाया जाना है नल-जल परियोजना के तहत आवश्यक पानी की आपूर्ति भी उसी से की जाएगी. वह आश्चर्य जताते हुए पूछते हैं कि सरकार को ऐसा क्यों लगता है कि इस योजना के तहत सिंचाई और पीने के पानी की आपूर्ति दोनों ही हो जाएँगे? 

आनन-फानन में हुआ उद्घाटन

राजेन्द्र जोशी के अनुसार पाटी की परियोजना अभी पूरी तरह तैयार नहीं हुई है और इसका आनन-फानन में उद्घाटन किया गया है. वह परियोजना के भविष्य की चुनौतियों को लेकर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करते हैं.

“पाटी क्षेत्र में किसानों के पास 1 से 2 एकड़ ही ज़मीन है. ये लोग भी फाल्यों में बंटे हुए हैं ऐसे में पाइपलाइन कैसे खींची जाएगी यह समझ के परे है.” 

नागलवाड़ी परियोजना के तहत हुई टेस्टिंग के दौरान पाइप फटने की घटना का ज़िक्र करते हुए वह कहते हैं,

“बीते 15 दिन में 2 बार पाइप फटा है. आनन-फानन में ऊपर से पाइप लगाकर परियोजना का उद्घाटन किया गया है.” 

परियोजना की वर्तमान स्थिति और आगे की कार्ययोजना के बारे में आधिकारिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने पाटी माइक्रो लिफ्ट इरिगेशन परियोजना के कार्यपालन यंत्री से फ़ोन पर संपर्क करने की कोशिश की मगर उनसे संपर्क नहीं हो पाया है. उनका बयान प्राप्त होने पर खबर को अपडेट किया जाएगा.   

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