ग्राउंड रिपोर्ट। न्यूज़ डेस्क
विधानसभा के बजट सत्र के आखिरी दिन भाजपा के 2 विधायक शरद कोल और नारायण त्रिपाठी ने विधि संशोधन विधेयक पर हुए मतदान में भाजपा का साथ छोड़ कांग्रेस के पक्ष में मतदान कर दिया। फिर क्या था..प्रदेश की राजनीति में मानो भूचाल आ गया हो। जहां एक तरफ कांग्रेस में लोग कमलनाथ की पीठ थपथपा रहे हैं, तो इधर भाजपा के नेताओं को शीर्ष नेतृत्व की तरफ से चेतावनी जारी कर दी गई है। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव को अपने बयानों पर लगाम लगाने को कहा गया है, वार्ना उन्हें अपने पद से हाथ धोना पड़ सकता है। सुनने में आया है की अमित शाह भी इस घटना के लिए प्रदेश भाजपा के कमज़ोर नेतृत्व को ज़िम्मेदार मान रहे हैं। शिवराज सिंह चौहान संसदीय दल की बैठक के लिए दिल्ली रवाना हो गए हैं। उम्मीद है वे अमित शाह को इस घटना पर सफाई देंगे।
कर्नाटक में पैदा हुए संकट के बाद भाजपा के कई नेता मध्यप्रदेश में भी जल्द मौसम बदलने की बात कर रहे थे। मौसम तो बदल गया लेकिन ओले भाजपा के ही सर पर पड़ते दिखाई दिए। उम्मीद जताई जा रही है कि अब तक शांत बैठी भाजपा इस झटके के बाद कमलनाथ सरकार पर पलटवार ज़रूर करेगी। फिलहाल कमलनाथ सरकार मज़बूत स्थिति में दिखाई दे रही है। निर्दलीय और सपा बसपा के विधायकों को मिलाकर सरकार के पास ज़रूरी बहुमत का आंकड़ा फिलहाल मौजूद है। लेकिन थोड़े भी विधायक कांग्रेस का पाला छोड़ कर जाते हैं तो कमलनाथ सरकार के लिए संकट के बादल दूर नहीं है।