मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने लव जिहाद के खिलाफ प्रस्तावित अध्यादेश को मंजूरी प्रदान कर दी है। राज्यपाल आनंदी बेन द्वारा अध्यादेश की स्वीकृति मिलते ही मध्य प्रदेश सरकार ने 48 घंटे बाद ही इस कानून को प्रदेशभर में लागू कर दिया है। लव जिहाद को लेकर कानून बनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपनी कैबिनेट मीटिंग में प्रस्तुत हुए अध्यादेश को लखनऊ भेजा था। यहाँ राज्यपाल द्वारा गुरुवार को अध्यादेश के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए गए। इसके बाद मध्य प्रदेश सरकार को शनिवार के दिन लव जिहाद के नये अध्यादेश ‘धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश 2020’ को स्वीकृति मिली।
बता दें कि लव जिहाद के खिलाफ नए आदेश के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति का जबरन या जोर जबरदस्ती करके धर्मांतरण करवाता है तो ऐसे मामले में उस व्यक्ति को अधिकतम 10 साल की कैद और 50 हजार रुपए तक का जुर्माना देय होगा।
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लव जिहाद के खिलाफ नए प्रावधान लाने के कारण –
सरकार ने देखा कि देश और प्रदेश के अंदर धर्म परिवर्तन को लेकर आए दिन मामले बढ़ते जा रहे हैं। जिसे नजरअंदाज करना सही नहीं था। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने लव जिहाद के खिलाफ नए कानून लाने की ठानी। इसके लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने 28 दिसंबर से शुरू होने वाले प्रदेश के विधानसभा तीन दिवसीय शीतकालीन सत्र में लव जिहाद के खिलाफ विधेयक पेश करने वाले थे परंतु इस सत्र के स्थगित हो जाने सदन में इसे पेश ना किया जा सका। इसके बाद 29 दिसंबर को हुई राज्य मंत्रिमंडल के बैठक में इस संबंध में दिए गए अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई थी।
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पारित किए गए नए अध्यादेश के नियम –
नए अध्यादेश को कानून के तौर पर प्रदेशभर में लागू कर दिया गया है। लव जिहाद के खिलाफ पारित नये नियमानुसार के तहत यदि अब कोई जोर-जबरन,बहला-फुसलाकर,डरा- धमका कर,भयपूर्वक, प्रलोभन आदि देकर, धर्म परिवर्तन करवा के शादी करने वाले व्यक्ति या करवाने वाले व्यक्ति की शिकायत मिलती हैं तो तत्काल ही उस व्यक्ति नए अध्यादेश में किए गए प्रावधानों के अनुसार सख्त कार्यवाही की जाएगी।
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नये कानून के प्रावधान –
1) धर्म परिवर्तन करवा कर विवाह करने पर 3 से 10 साल की सजा एवं 50,000 रुपए जुर्माने के प्रावधान है।
2) नाबालिगों के साथ और अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति से जुड़े धर्मांतरण के मामलों में दो से 10 साल की सजा और 50,000 रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
3) धर्मगुरु, मौलवी ,पादरी या काजी द्वारा बिना आवेदन दिए ही धर्मांतरण करवाने पर 5 साल तक की सजा का दिया जाने का प्रावधान है।
4) मुख्य आरोपी की तरह ही सहयोग करने वाले व्यक्ति को भी मुख्य आरोपी मानकर, मुख्य आरोपी वाली सजा ही दी जायेगी।
5) पैसे लेकर धर्मांतरण कराने वाले संस्थाओ पर भी कार्यवाही होगी साथ ही उनका संस्था का रजिस्ट्रेशन भी रद्द होगा।
6) धर्मांतरण के प्रति इच्छुक व्यक्ति को 60 दिन पहले जिला प्रशासन को आवेदन करके सूचित करना होगा।
7) धर्मांतरण को लेकर पीड़िता के माता-पिता, परिजन, भाई-बहन,कानूनी अभिभावक या संरक्षक शिकायत दर्ज करा सकते।
8) इस कानून के तहत पीड़ित महिला और पैदा हुए बच्चे के रखरखाव एवं भरण-पोषण को लेकर भत्ता पाने हकदार होगी।
क्या भारत में ‘लव-जिहाद’ के ख़िलाफ क़ानून संभव है, क्या कहता है संविधान?
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