मध्य प्रदेश उपचुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया की साख ही नहीं बल्की राजनीतिक करियर भी दांव पर लगा है। कांग्रेस से भाजपा में शामिल होलने के बाद भले ही सिंधिया राज्यसभा सासंद बना दिए गए हों लेकिन रास्ता अभी लंबा है। कहा ये भी जा रहा है कि ये चुनाव न सिर्फ सिंधिया की साख का है बल्की इससे उनका राजनीतिक भविष्य भी तय होगा। कांग्रेस छोडने के बाद सिंधिया पहले ही अपने इलाके में जनता का भारी विरोध झे लरे हैं। लोगों का कहना है कि हमने बीजेपी से तंग आकर ही कांग्रेस को चुना था लेकिन महाराजा की ये गद्दारी बर्दाश्त नहीं। अब तो सब एक ही है क्या बीजेपी क्या कांग्रेस। समझ नहीं आता कौन कब किस पार्टी में शामिल हो जाए।
कट्टर विरोधियों से भी बड़ी विनम्रता से मिल रहे हैं सिंधिया
चर्चा तो ये भी है कि कदम-कदम पर अपने गुरूर, अंहकार और मान-सम्मान की बात करने वाले सिंधिया इस चुनाव अपने कट्टर विरोधियों से भी बड़ी ही विनम्रता से मिलकर उनका मनमुटाव दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। मामला इंदौर का है जहां उनके सबसे करीबी और विश्वसनीय माने जाने वाले कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट सांवेर सीट से उपचुनाव लड़ रहे हैं और सिंधिया सिलावट के लिए जीत का रोडमेप तैयार कर रहे हैं।
पहली बार संघ के आगे नतमस्तक हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया
सिंधिया-बागी विधायकों के खिलाफ जनता में आक्रोश
सिंधिया के बाद कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामने वाले सिलावट सबसे पहले सिटिंग एमएलए थे। सिलावट अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रीमंडल में कैबिनेट मंत्री हैं। बागियों के खिलाफ न सिर्फ कांग्रेस में नाराजगी है बल्की जनता में भारी आक्रोश है। चुनाव आयोग ने भी तारीखों की घोषणा करते हुए कहा है कि, सभी 27 सीटों पर 29 नवंबर से पहले चुनाव हो जाएंगे। तारीखों का ऐलान हुआ तो राजनीतिक पार्टियां पहले से ज्यादा एक्टिव हो गए। सिंधिया भी पीछे नहीं। ग्वालियर राजघराने के वारिस इस चुनाव बहुत कुछ दांव लग गया है, यही कारण है कि सिंधिया इस चुनाव में दिन दुगुनी, रात चौगुनी मेहनत कर रहे हैं।
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अपने विश्वसनीय तुलसी सिलावट के लिए तैयार कर रहे जीत का रोड मेप
सिंधिया के बाद कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामने वाले सिलावट सबसे पहले सिटिंग एमएलए थे। सिलावट अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रीमंडल में कैबिनेट मंत्री हैं। बागियों के खिलाफ न सिर्फ कांग्रेस में नाराजगी है बल्की जनता में भारी आक्रोश है। चुनाव आयोग ने भी तारीखों की घोषणा करते हुए कहा है कि, सभी 27 सीटों पर 29 नवंबर से पहले चुनाव हो जाएंगे। तारीखों का ऐलान हुआ तो राजनीतिक पार्टियां पहले से ज्यादा एक्टिव हो गए। सिंधिया भी पीछे नहीं। ग्वालियर राजघराने के वारिस इस चुनाव बहुत कुछ दांव लग गया है, यही कारण है कि सिंधिया इस चुनाव में दिन दुगुनी, रात चौगुनी मेहनत कर रहे हैं। लेकिन देखना होगा कि ये मेहनत कितनी रंग लाती है।
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आरएसएस के आगे भी नतमस्तक हुए सिंधिया
इतना ही नहीं राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया बीते दिनों नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय भी गए थे। जहां उन्होंने आरएसएस के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों से मुलाकात की। इस दौरान सिंधिया ने सबसे पहले आरएसएस के संस्थापक के बी हेडगेवार के आवास का दौरा किया और हेडगेवार स्मृति भवन पहुंच श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान सिंधिया ने कहा, यह जगह सिर्फ एक निवास नहीं है। यह एक प्रेरणादायक जगह है जो देश की सेवा करने के लिए मुझे उर्जा प्रदान करती है। यह लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्थान है। चर्चा तो ये भी है कि इस उपचुनाव को जीतने लिए सिंधिया हर उस शख्स से मिल रहे हैं जिनके वे कट्टर विरोधी रहे हैं या जो उनका कट्टर विरोधी है।
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29 नवंबर के पहले वोटिंग तय
मध्य प्रदेश उपचुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने कहा है कि सभी 27 सीटों पर 29 नवंबर से पहले वोटिंग हो जाएगी। इलेक्शन कमीशन ने शुक्रवार को बड़ी घोषणा करते हुए कहा है कि, बिहार विधानसभा चुनाव के साथ ही उपचुनाव भी करवाए जाएंगे। चुनाव आयोग ने कहा कि, देश भर में 64 ऐसी विधानसभा सीट है जहां उपचुनाव होने हैं इसमें मध्य प्रदेश की 27 विधानसभा सीटें भी शामिल हैं।
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कोरोना के चलते चुनाव आयोग ने अतिरिक्त 2225 बूथों की संख्या बढ़ाई
मध्य प्रदेश में उपनुचाव वाले सभी जिलों के कलेक्टरों ने निर्वाचन आयोग को चुनाव कराने के लिए अपनी सहमति दे दी है। निर्वाचन आयोग की तैयारियों को देखते हुए संभावना जताई जा रही है कि 15 अक्टूबर के बाद चुनाव हो सकते हैं। कोरोना वायरस के खतरे को भांपते हुए इन चुनाव में अतिरिक्त 2225 बूथों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया गया है।
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मतदान केंद्रो पर रखा जाएगा सोशल डिस्टेंसिंग ध्यान
बता दें कि मतदान केंद्रों पर भीड़ न इकट्ठी हो इस बात का भी विशेष ध्यान रखा जाएगा। सोशल डिस्टेंसिंग और सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए चुनाव अधिकारियों को मतदाताओं से कोरोना गाइडलाइंस का पालन कराने की भी ट्रेनिंग दी गई है। बता दें कि चुनाव आयोग ने उपचुनाव वाले सभी 18 जिलों के कलेक्टरों से उनकी तैयारियों के बारे में जानकारी हासिल की थी।
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