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प्रवासी मजदूर की आपबीती सुन पिघला लुटेरों का दिल, लूट के 5,000 रुपये देकर कहा- पैदल मत जाना, बच्चों को खाना खिला देना

प्रवासी मजदूर : लॉकडाउन के चलते पैदल ही घर लौट रहे हर मजदूर की कहानी बेहद दर्दनाक है वहीं इस दौरान लूट की खबरें सामने आ रही है।

By Ground report
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प्रवासी मजदूर की आपबीती सुन पिघला लुटेरों का दिल, लूट के 5,000 रुपये देकर कहा- पैदल मत जाना, बच्चों को खाना खिला देना

प्रवासी मजदूर : लॉकडाउन के चलते पैदल ही घर लौट रहे हर मजदूर की कहानी बेहद दर्दनाक है वहीं इस दौरान लूट की खबरें सामने आ रही है। ताजा मामला आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे का है जहां अपने तीन बच्चों और पत्नी के साथ घर लौट रहे मुन्ना नाम के एक मजदूर को लुटेरों ने घेर लिया लेकिन चौकाने वाली बात ये है कि भूखे बेबस मजदूर की आपबीती सुन लुटेरों का भी दिल पसीज गया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लखनऊ के रहने वाले मजदूर मुन्ना हरियाणा के रोहतक स्थित एक फैक्ट्री में मजदूरी करते थे लेकिन लॉकडाउन के बाद खाने के लाले पड़ गए। अन्य प्रवासी मजदूरों की तरह मुन्ना भी अपने परिवार के साथ पैदल ही जा रहे थे। लेकिन अचानक एक्सप्रेस वे पर कुछ लूटेरे आ धमके लूटपाट करने लगे लेकिन लाचारी और बेबसी के अलावा मुन्ना के पास लुटेरों को एक तिनका तक नसीब न हुआ।

इस दौरान मुन्ना फफककर रो पड़ा और अपनी आपबीती सुनाने लगा। तपती धूप में नंगे पैर जा रहे मुन्ना की आपबीती सुन लुटेरों का दिल पसीज गया और उन्होंने किसी और राहगीर से लूटे हुए पांच हजार रुपये मुन्ना को थमा चलता कर दिया।

मुन्ना की आपबीती-
एबीपी बिहार.कॉम ने न्यूज 18 के हवाले से मुन्ना की आपबीती बताते हुए लिखा है- रास्ते में केले और बिस्किट बांटने वालों के सहारे सफर कट रहा था लेकिन बिस्कि से कहां भूख मिटती है साहब। ऊपर से बेरहम पुलिस बुरी तरह धुतकारती और डंडा मारती है। दूर से आ रहे लड़के चिल्लाते हुए हमारी ओर आए और तेज आवाज़ में चीखते हुए मुझसे पूछा- कौन हो और कहां जा रहे हो। क्या है तुम्हारे पास। मैं समझ गया कि यह सामान लूटने आए हैं। मैंने रोते हुए बटन वाला पुराना मोबाइल उन्हें दे दिया और फफककर रोते हुए कहा- मजदूर आदमी हूं, बस यही है मेरे पास।

मुझे रोता देख उसमें से बड़े वाले लड़के ने मुझसे पूरी बात पूछी। मैंने उसे बताया कि कैसे मैं रोहतक से चला और लखनऊ के पास तक जाना है। पत्नी बीमार है और हम भूखे हैं। बात सुनने के बाद उसमें से एक लड़के ने मेरे हाथ में 500-500 के कई नोट रख दिए। मैंने गिने तो वह पूरे 5 हजार रुपए थे। बोला रास्ते में कुछ खा-पी लेना।बच्चों को खाना खिला देना और अब पैदल नहीं जाना। किसी ट्रक वाले को दो-चार सौ रुपए दे देना।

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