AIMIM के सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने बंगाल चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। इसी सिलसिले में वो रविवार को हुगली जिले में मशहूर धार्मिक स्थल फुरफुरा शरीफ पहुंचे। यहां उन्होंने ममता बनर्जी के धुर विरोधी माने जाने वाले मुस्लिम युवा नेता अब्बास सिद्दीकी से मुलाकात की।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख रविवार को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता पहुंचे। यहां से वह जंगीपाड़ा स्थित फुरफुरा दरबार शरीफ गये और अब्बास सिद्दीकी से मुलाकात की। बंगाली मुस्लिमों की आस्था के केंद्र फुरफरा में ओवैसी के जाते ही पश्चिम बंगाल की राजनीति में हलचल शुरू हो गयी है। चुनाव से पहले ओवैसी की इस यात्रा को तृणमूल कांग्रेस महत्व नहीं दे रहा है, लेकिन इसकी चर्चा चारों ओर है।
अब्बास सिद्दीकी और ओवैसी की मुलाकात से बंगाल की राजनीति में हलचल दिखाई दी। बीजेपी ने इस मुलाकात पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर ममता बनर्जी ने मुस्लिमों के लिए काम किया है तो उनको डरने की क्या ज़रुरत है। ममता बनर्जी मुस्लिम वोटों को अपनी जागीर समझती आई हैं।
फुरफुरा शरीफ और उसकी राजनीतिक अहमियत
दरअसल, फुरफुरा शरीफ बंगाल की राजनीति को प्रभावित करता रहा है। माना जाता है जिस दल को फुरफुरा शरीफ का समर्थन मिल गया, चुनाव में उसकी जीत तय है, क्योंकि बंगाल में इनके अनुयायियों की भारी तादाद है। मुर्शिदाबाद, मालदा, उत्तर दिनाजपुर, बीरभूम, दक्षिण 24 परगना और कूचबिहार में मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। इसलिए सभी राजनीतिक दल खुद को फुरफुरा शरीफ से बेहतर तालमेल बनाने की जुगत में रहते हैं।
बंगाल में मुस्लिम वोटों का गणित
बंगाल की मुस्लिम आबादी 2011 की जनगणना के दौरान 27.01% थी और अब बढ़कर लगभग 30% होने का अनुमान है। मुस्लिम आबादी मुख्य रूप से मुर्शिदाबाद (66.28%), मालदा (51.27%), उत्तर दिनाजपुर (49.92%), दक्षिण 24 परगना (35.57%), और बीरभूम (37.06%) जिलों में केंद्रित है। दार्जिलिंग, पुरुलिया और बांकुरा में, जहां भाजपा ने पिछले साल लोकसभा सीटें जीती थीं, मुसलमानों की आबादी 10% से भी कम है।
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