दिल्ली में चल रहा किसान आंदोलन सरकार के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। छह राज्यों के 500 संगठनों से जुड़े किसान दिल्ली के सिंघु और टिकरी सीमा पर डटे हुए हैं तो वहीं, यूपी सीमा पर भी किसान हजारों की संख्या में डेरा डाले हुए हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों से अपील की थी कि किसान बॉर्डर से हटकर बुराड़ी ग्राउंड चले जाएं।
आंदोलन कर रहे किसानों ने केन्द्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। किसान नेता हरमीत सिंह कादियां ने कहा कि हमने फैसला लिया कि सभी बॉर्डर और रोड ऐसे ही ब्लॉक रहेंगे। गृह मंत्री ने शर्त रखी थी कि अगर हम मैदान में धरना देते हैं तो वो तुरंत मीटिंग के लिए बुला लेंगे। हमने शर्त खारिज़ कर दी है। अगर वो बिना शर्त के मीटिंग के लिए बुलाएंगे तो ही हम जाएंगे।
क्या होगा अब आगे?
किसानों ने कहा कि वो दिल्ली बॉर्डर पर ही प्रदर्शन करते रहेंगे। बातचीत के लिए रखी गई शर्त से किसान अपमानित महसूस कर रहे हैं। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान दिल्ली में बुराड़ी ग्राउंड पर नहीं जाएंगे। दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन की वजह से आम जतना की परेशानी को देखते हुए सरकार ने बुराड़ी ग्राउंड पर शिफ्ट होने की अपील की थी लेकिन किसानों ने इस शर्त को मानने से इंकार कर दिया है।
दिल्ली में किसानों का जमावड़ा बढ़ता ही जा रहा है। एक तरफ जहां दिल्ली के सिंघु और टिकरी सीमा पर हरियाणा और पंजाब के किसान डटे हुए हैं तो वहीं, यूपी सीमा पर भी हजारों की संख्या में किसान डेरा डाले हुए हैं। आने वाले दिनों में और भी किसानों के दिल्ली आने की संभवना जताई जा रही है।
अगर सरकार ने जल्द किसानों को बिना शर्त बातचीत के लिए नहीं बुलाया तो यह आंदोलन देश का सबसे बड़ा किसान आंदोलन बन जाएगा। देश के अन्य राज्यों में भी किसान अब मंडी और एमएसपी खत्म होने जैसी समस्या को लेकर आवाज़ उठाने लगे हैं।
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