रिपोर्ट, राजीव पांडेय
तमिलनाडु की सियासत में भीष्म पितामह कहे जाने वाले द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सुप्रीमो करुणानिधि का मंगलवार (7अगस्त) शाम 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया। दक्षिण के कद्दावर नेता के रूप में करुणानिधि की राजनीति में एक विशेष पहचान थी।
जयललिता और करुणानिधि को तमिलनाडु की राजनीति में धुरी माना जाता था। जयललिता जहां फिल्म इंडस्ट्री से होते हुए राजनीति में आई थी तो वहीं करुणानिधि भी पटकथा लेखक के साथ साथ एक कवि भी थे।
1991 में राजीव गांधी के मौत का आरोप करुणानिधि पर लगा था । ये गम्भीर आरोप केन्द्र में मंत्री रहे अर्जुन सिंह ने लगाया था। परिणामस्वरुप डीएमके लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पायी।
जब पिछले वर्ष जयललिता की चेन्नई के अपोलो अस्पताल में मौत हुई थी तो करुणानिधि ने जयललिता को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा था कि अपने समर्थकों के बीच में वह अमर रहेंगी। जो लोग तमिलनाडु की राजनीति में समझ रखते हैं उन्हें अच्छी तरह पता होगा कि जयललिता तथा करुणानिधि में किस कदर की राजनीतिक दुश्मनी थी। उनके जाने से समर्थकों में शोक की लहर है। समर्थक जमकर विलाप कर रहे हैं।
करुणानिधि के समर्थक उन्हें प्यार और सम्मान से ‘कलैनर ‘नाम से भी बुलाते थे। तमिल फिल्म जगत में उन्होंने कई नामी फिल्में भी लिखी। पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रह चुके करुणानिधि ने अधिकतर समय अपना व्हीलचेयर पर ही बिताया। सात दशक पहले पेरियार से प्रभावित होकर ब्राह्मण विरोधी आंदोलन के साथ अपना राजनीतिक करियर शुरु करने वाले करुणानिधि बहुत तेजी से राजनीति के शिखर पर पहुंचकर अन्ना दुर्रै जैसे नेताओं के उत्तराधिकारी के रूप में उभरे थे।
करुणानिधि कभी भी विधानसभा चुनाव नहीं हारे।उन्होंने 1957 से चुनाव लड़ने के बाद उन्होंने सभी 13 चुनाव जीते थे। वहीं एकमात्र ऐसे नेता है जिन्होंने 50 साल से अधिक तक पार्टी नेता के तौर पर सीट पर काम किया।
एमजीआर के युग के बाद जयललिता और करुणानिधि राज्य में दो मुख्य प्रतिद्वंदी थे। 1949 में डीएमके की स्थापना हुई थी और 1972 में जब पार्टी में विभाजन हुआ तो अभिनेता से नेता बने एमजीआर रामचंद्रन को पार्टी से निकाल दिया गया। एमजीआर के करुणानिधि के साथ मतभेद हो गए थे। बाद में एमजीआर ने अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एडीएमके) का गठन किया। एमजीआर की मृत्यु के बाद एडीएमके में भी दोफाड़ हो गए, एक का नेतृत्व एमजीआर की पत्नी जानकी रामचंद्रन ने किया तो दूसरी का नेतृत्व जयललिता ने किया, हालांकि 1989 में दोनों एक हो गये।
करुणानिधि का विवादों से गहरा नाता रहा था । उन्होने भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाया था , जिसपर खूब सियासी हंगामा हुआ था।
धन्यबाद राजीव जी जानकारी देने के लिए