भारतीय संविधान(Indian Constitution) 26 जनवरी को लागू हुआ था, लेकिन 26 नवंबर भी हमारे देश के लिए बराबर का महत्त्व रखती है। 26 नवंबर को पूरा भारत संविधान दिवस मनाता है, क्योंकि 1949 में आज ही दिन हमारी संविधान सभा(Constituent Assembly) ने भारत के संविधान को अपनाया था। हालांकि भारतीय संविधान पूरी तरह से 26 जनवरी 1950 को ही लागू हुआ था। जब बाबा साहब डा. भीम राव अम्बेडकर की अगुवाई में संविधान का निर्माण शुरु हुआ तब हमारे संविधान निर्माताओं को नागरिकों के अधिकारों की ज़रुरत महसूस हुई। ज़रूरत इसलिए थी क्योंकि संविधान निर्माताओं ने स्वतंत्रता से पहले देश के नागरिकों पर अंग्रेज़ी हूकूमत के जुल्मों को अपनी आँखों से देखा था। इस बात के मद्देनज़र उन्होंने मौलिक अधिकार(Fundamental Rights) भारतीय संविधान में जोड़ दिए। इससे पहले मौलिक अधिकार केवल अमरीकी संविधान में थे।
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आपको बता दें कि भारतीय संविधान के भाग-3 में अनुच्छेद 12 से 35 में नागरिकों के मौलिक अधिकारों हैं। इसका मतलब इतना था कि संविधान प्रत्येक नागरिक को बिना किसी भेदभाव के उनके मौलिक अधिकार देता है। संविधान निर्माताओं ने हमें 7 मौलिक अधिकार(Fundamental Rights) दिए थे लेकिन 44वें संविधान संशोधन 1979 से संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार(Fundamental Rights) से सिर्फ़ कानूनी अधिकार बना दिए गया।
नागरिकों के मौलिक अधिकार
• समता का अधिकार (अनुच्छेद 14 -18 )
• स्वतंत्रता का अधिकार ( अनुच्छेद 19 -22 )
• शोषण के विरुद्ध अधिकार ( अनुच्छेद 23 -24 )
• धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 -28 )
• संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार ( अनुच्छेद 29 -30)
• संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32 )
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समता का अधिकार
अनुच्छेद 14: विधि के समक्ष समता अर्थात प्रत्येक नागरिक कानून के सामने बराबर होगा और सब पर एक समान कानून लागू होगा
अनुच्छेद 15: धर्म जाति लिंग और जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव निषेध अर्थात राज्य नागरिक के जीवन के किसी भी क्षेत्र में जाति लिंग जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नही कर सकता है ।
अनुच्छेद 16: लोक नियोजन में समता अर्थात नौकरी में सभी नागरिकों को समान अवसर राज्य प्रदान करें ।
अनुच्छेद 17: छू-अछूत दंडनीय अपराध
अनुच्छेद 18: उपाधियों का अंत
स्वतंत्रता का अधिकार ( 19- 22 )
अनुच्छेद 19: बोलने, सभा करने ,भ्रमण, व्यापार
अनुच्छेद 20: अपराधो के लिए दोषसिद्धि में संरक्षण
अनुच्छेद 21: जीवन और शरीर की रक्षा
अनुच्छेद 21(क): नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा
अनुच्छेद 22: कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध में संऱक्षण
अनुच्छेद (23 – 24): शोषण के विरुद्ध
अनुच्छेद 23: मानव की बिक्री और खरीद अपराध
अनुच्छेद 24: बालश्रम अपराध है
अनुच्छेद (25 -28):धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
भारत का प्रत्येक नागरिक अपने पसंद का धर्म अपना सकता है
अनुच्छेद(29 -30): संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार
अनुच्छेद(32): संवैधानिक उपचारों का अधिकार
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डा. भीमराव अम्बेडकर ने संवैधानिक उपचारों के अधिकार को संविधान की आत्मा कहा था। संवैधानिक उपचारों के अधिकार देश के नागरिक को यह अधिकार देता है कि यदि उनके मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है तो वह अपनी दलील सीधे सुप्रीम कोर्ट में दे सकता है। और अदालतों को भी यह अधिकार है कि वो नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करें।
मौलिक अधिकार का महत्व लोकतंत्र में बढ़ जाता है। देश में विधि का शासन स्थापित करना ,सामाजिक न्याय ,समाज के कमज़ोर और अल्पसंख्यक तबके के हितों की रक्षा होती है मौलिक अधिकारों से ।
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