लोहड़ी का यह त्योहार मुख्य रूप से पंजाब में मनाया जाता है लेकिन पंजाब के अलावा इसे दिल्ली, हरियाणा और कश्मीर में भी मनाया जाता है . लोहड़ी का त्योहार पौष मास की अंतिम रात और मकर संक्रांति की सुबह तक मनाया जाता है. तो चलिए जानते हैं लोहड़ी का इतिहास.
लोहड़ी के पीछे के इतिहास की बात करें तो इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है. जिसे दुल्ला भट्टी के नाम से जाना जाता है. यह कथा अकबर के शासन काल की है. उन दिनो दुल्ला भट्ट्र पंजाब प्रांत का सरदार था. जिसे पंजाब का नायक भी माना जाता था.
दुल्ला भट्टी उस जमाने के रॉबिनहुड थे. अकबर उन्हें डकैत मानता था. वो अमीरों से, अकबर के जमीदारों से, सिपाहियों से सामान लूटते. गरीबों में बांटते. अकबर की आंख की किरकिरी थे. इतना सताया कि अकबर को आगरे से राजधानी लाहौर शिफ्ट करनी पड़ी. लाहौर तब से पनपा है, तो आज तक बढ़ता गया. पर सच तो ये रहा कि हिंदुस्तान का शहंशाह दहलता था दुल्ला भट्टी से.
पाकिस्तान के पंजाब में कहानियां चलती हैं कि पकड़ा तो दुल्ला ने अकबर को भी था. जब पकड़ा गया तो अकबर ने कहा ‘भईया मैं तो शहंशाह हूं ही नहीं, मैं तो भांड हूं जी भांड.’ दुल्ला भट्टी ने उसे भी छोड़ दिया ये कहकर कि भांड को क्या मारूं, और अगर अकबर होकर खुद को भांड बता रहा है, तो मारने का क्या फायदा?
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