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क्या है हिंडनबर्ग की रिसर्च रिपोर्ट, जिसने अडानी समूह को हिला कर रख दिया है?

यूएस के एक प्रसिद्ध शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने अपनी एक रीसर्च रिपोर्ट में अडानी समूह द्वारा किए जा रहे स्टॉक मैन्यूपुलेशन का खुलासा किया है।

By Pallav Jain
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Meet six members of committee to investigate Adani-Hindenburg case

यूएस के एक प्रसिद्ध शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने अपनी एक रीसर्च रिपोर्ट में भारत के अड़ानी समूह पर देश के बाहर स्थित टैक्स हैवन कंपनियों के अनुचित उपयोग और दशकों से किए जा रहे स्टॉक मैन्यूपुलेशन का खुलासा किया है। साथ ही अत्यधिक ऋण स्तरों पर चिंता ज़ाहिर की। इसके बाद से ही अड़ानी समूह के शेयर्स में गिरावट दर्ज की जा रही है।

क्या कहती है हिंडनबर्ग रिपोर्ट

फर्म ने 'अडानी ग्रुप: हाउ द वर्ल्ड्स थर्ड रिचेस्ट मैन इज पुलिंग द बिगेस्ट कॉन इन कॉरपोरेट हिस्ट्री' शीर्षक से एक शोध पत्र प्रकाशित किया और अपनी दो साल की जांच के निष्कर्षों का खुलासा करते हुए सबूत पेश किया कि अडानी समूह, जिसकी कीमत 17.8 ट्रिलियन रुपये है, यह दशकों से स्टॉक हेरफेर और लेखांकन धोखाधड़ी का काम कर रहा है। 

रिपोर्ट के अनुसार, अडानी समूह के प्रमुख गौतम अडानी की कुल संपत्ति लगभग 120 अरब डॉलर है, जिसमें पिछले 3 वर्षों में 100 बिलियन डॉलर की  वृद्ध हुई है। समूह की शीर्ष सात सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनियों का इसमें योगदान है। 

हिंडनबर्ग का कहना है कि उसने 38 शेल कंपनियों की पहचान की है, जो गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी द्वारा नियंत्रित हैं, ये कंपनियाँ मॉरिशस, साइप्रस, संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर और विभिन्न कैरेबियाई द्वीपों में स्थित हैं। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि इन शेल कंपनियों का इस्तेमाल "स्टॉक हेरफेर" और "मनी लॉन्ड्रिंग" के लिए किया जाता है।

हिंडनबर्रिग पोर्ट निवेशकों, पत्रकारों, नागरिकों और यहां तक कि राजनेताओं की भी आलोचना करती है, यह कहते हुए कि वे अडानी समूह के डर से ज़बरदस्त धोखाधड़ी को छिपाए बैठें हैं वो भी दिन के उजाले में। भारतीय मीडिया तो इतना डरा हुआ है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को कवरेज भी नहीं दे रहा।

हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि अडानी समूह की कंपनियां जटिल और स्पष्ट रूप से एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं। कोई भी सूचीबद्ध संस्था समूह की अन्य कंपनियों के प्रदर्शन, या विफलता से प्रभावित हो सकती है। यानी किसी एक कंपनी में कुछ ग़लत होगा तो पूरा अड़ानी ग्रुप ढह जाएगा।

अडानी की सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली चार कंपनियां उच्च डेवलपर स्वामित्व के कारण डीलिस्टिंग सीमा के करीब पहुंच चुकी है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि समूह की पांच कंपनियों (अडानी पोर्ट्स और अदानी विल्मर को छोड़कर सभी) का वर्तमान अनुपात 1.0 से नीचे है, जो निकट अवधि के लिक्वीडिटी जोखिम में वृद्धि की ओर इशारा करता है। 

इसके अलावा, 87.94% के मौजूदा इनसाइडर स्वामित्व वाली एक नई कंपनी अडानी विल्मार को इन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 2025 की शुरुआत तक अपनी इनसाइडर होल्डिंग को 75% तक कम करना होगा - एक महत्वपूर्ण उपलब्धि जिसके लिए अपने मौजूदा इनसाइडर इक्विटी के 12.94% की बिक्री की आवश्यकता है।

भारत में सूचीबद्ध कंपनियाँ उन नियमों के अधीन हैं जिनके लिए सभी प्रमोटर होल्डिंग्स का खुलासा करना आवश्यक है। नियमों में सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनियों को हेरफेर और अंदरूनी व्यापार को कम करने के लिए गैर-प्रवर्तकों द्वारा आयोजित फ्री फ्लोट का कम से कम 25 प्रतिशत होना आवश्यक है।

अदानी एंटरप्राइजेज, अदानी ट्रांसमिशन, अदानी पावर और अदानी टोटल गैस की रिपोर्ट है कि उनके 72 प्रतिशत से अधिक शेयर अंदरूनी लोगों के पास हैं। इसके अलावा, मौजूदा 87.94 प्रतिशत इनसाइडर ओनरशिप वाली एक नई कंपनी अदानी विल्मर को अपनी इनसाइडर होल्डिंग को 75 प्रतिशत तक कम करना चाहिए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कई अडानी-सूचीबद्ध कंपनियों के लिए, उनके "सार्वजनिक" शेयरधारकों का एक बड़ा हिस्सा मॉरीशस के अपारदर्शी अधिकार क्षेत्र में स्थित फंड हैं। “महत्वपूर्ण रूप से, इस खंड में पहचाने गए फंड, जिन्हें हम मानते हैं कि ‘प्रमोटिंग’ (आंतरिक) संस्थाओं के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए, उनमें से चार को 75% सीमा से ऊपर रखने के लिए अडानी-सूचीबद्ध कंपनियों के पर्याप्त शेयर हैं, जो डीलिस्टिंग का कारण बनता है।

अडानी के खिलाफ हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए कई आरोप पहले ही सामने आ चुके थे, जिसमें उनकी कंपनियों में मॉरीशस-आधारित निवेशकों के ओवरवैल्यूएशन और केंद्रित होल्डिंग्स शामिल थे, मॉरीशस की रजिस्ट्री से एकत्र किए गए कुछ विवरण पहली बार सार्वजनिक किए गए हैं, ब्रायन फ्रीटास के अनुसार ऑकलैंड स्थित विश्लेषक जो स्मार्टकर्मा वेबसाइट पर स्वतंत्र शोध प्रकाशित करता है।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद से गौतम अडानी दुनिया के टॉप 10 अमीर व्यक्तियों की लिस्ट से बाहर हो चुके हैं। उनकी 76 फीसदी संपत्ती वाईप आउट हो चुकी है। अडानी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के भारत पर हमला बताया और कहा कि यह सब बेबुनियाद आरोप है।

मार्केट में गिर रही शेयर्स की वैल्यू के बाद अडानी समूह ने जारी किया अपना 2000 करोड़ का एफपीओ वापस ले लिया है। यह कहते हुए कि वो अपने इंवेस्टर्स के इंट्रेस्ट का ख्याल कर ऐसा कर रहे हैं।

भारत में अडानी पर हुए खुलासे के बाद विपक्ष जांच की मांग कर रहा है। फिल्हाल सेबी द्वारा हिंडनबर्ग द्वारा किए गए खुलासों की जांच की जा रही है, जिसकी रिपोर्ट का इंतेज़ार विपक्ष और सरकार कर रहे हैं।

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