कोमल बड़ोदेकर
एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि भारत विश्वगुरू बने वहीं दसरी ओर उच्च शिक्षा के छात्रों से उनकी बेरुखी सरकार का दोहरा रवैया दर्शाती। बात ये है कि देश के सभी उच्च शिक्षा संस्थानों में रिसर्च फेलो फेलोशिप में बढ़ोत्तरी न होने से नाराज़ है। बीते कई महीनों से अपने रिसर्च का काम छोड़ सरकारी दफ्तरों और मानव संसाधन विकास मंत्रालय से गुहार लगा रहे हैं। अब ये छात्र आंदोलन करने को मजबूर है।
यही कारण है कि देश के तमाम संस्थानों के रिसर्च फेलो ने अपने-अपने संस्थानों के बाहर फेलोशिप में वृद्धि नहीं होने के चलते सरकार के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन किया। शुक्रवार 20 दिसंबर को हुए इस देशव्यापी आंदोलन में देश भर के आईआईटी में छात्रों ने ‘हल्ला-बोल’ किया।
क्या कहते हैं रिसर्च स्कॉलर्स के प्रतिनिधि निखिल गुप्ता
आईआईटी मद्रास के पूर्व छात्र और सेंट्रल बायोमेडिकल रिसर्च SGPGIM कैंपस लखनऊ के रिसर्च फेलो और भारत के अनुसंधान विद्वानों के राष्ट्रीय प्रतिनिधि और समन्वयक निखिल गुप्ता ने बताया कि बीते कई दिनों से हम सरकार से फेलोशिप नियमानुसार बढ़ाने की मांग कर रहे हैं लेकिन अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं मिले हैं। यही कारण है कि अब हम आंदोलन करने को मजबूर हैं।
आंदोलन से सरकार पर कितना दबाव
ये आंदोलन IIT के दिल्ली, मद्रास, खड़गपुर और IIT रुढ़की सहित अन्य कैंपस में हुआ। वहीं IISER कोलकाता, ACTREC, IISER पुणे, बीएचयू में भी छात्रों ने मार्च निकालकर सरकार के खिलाफ विरोध दर्ज करवाया। हांलाकि इस आंदोलन ने सरकार पर कितना दबाव बनेगा यह तो समय ही बताएगा, लेकिन रिसर्च स्कॉर्स के रिप्रजेंटेटिव ने भविष्य में इस तरह के और आंदलन होने के सवाल पर साफ तौर पर कुछ भी नहीं कहा है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली के वादों की निकली हवा
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने साल 2016 में अपने एक भाषण के दौरान उच्च शिक्षण संस्थानों की बेहतरी और वैश्विक पटल पर स्थापित करने को संकल्पित होना बताया था, लेकिन इस क्षेत्र में जीडीपी का एक प्रतिशत से भी कम खर्च हो रहा है।
रिसर्च फेलो की प्रमुख मांग-
1) जेआरएफ, एसआरएफ, पीएचडी कर रहे लोगों की फेलोशिप की रकम 15 फीसदी प्रतिवर्ष के हिसाब से 60 फीसदी बढ़ाई जाए। क्योंकि यह हर चार वर्ष में एक बार बढ़ती है।
2) फेलोशिप के तहत मिलने वाली यह रकम हर महीने समय पर आए, क्योंकि अब तक यह रकम कभी तीन महीने, छह महीने या कभी 8 महीने गुजर जाने के बाद मिलती है।
3) सरकार वेतन आयोग के तहत ऐसी गाइडलाइन बनाए जिससे यह तय हो कि फेलोशिप के तहत करने वाले रिसर्चर्स को हर महीने समय पर फेलोशिप की रकम मिले।
साल 2014 में बढ़ी थी 55 फीसदी फेलोशिप
नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (NET), ग्रेजुएट एप्टीट्यूट टेस्ट इन इंजीनियरिंग (गेट) उत्तीर्ण युवाओं को यूजीसी की ओर से दिए जाने वाली फेलोशिप में पिछली बार करीब 55 फीसदी वृद्धी की गई थी। यूजीसी ने उच्च शिक्षा के लिए मिलने वाली करीब 15 फेलोशिप और स्कॉलरशिप की राशि को 55 प्रतिशत तक बढ़ाया और इसे 1 दिसंबर 2014 से लागू किया था।
2014 में लागू किए गए नए नियम के मुताबिक जहां जेआरएफ और एसआरएफ छात्रों को क्रमश: 16 हजार और 18000 रुपये प्रतिमाह मिलते थे वहीं अब इन्हें क्रमश: 25000 और 28000 रुपये मिल रहे हैं। इसके साथ ही 20 फीसदी आवास भत्ता इसके अतिरिक्त सुनिश्चित है।
बीएसआर के लिए फेलोशिप –
बेसिक साइंटिफिक रिसर्च (बीएसआर) के लिए पहले और दूसरे साल में 16,000 रुपये को बढ़ाकर 24,800 रुपए प्रतिमाह किया गया है। जबकी तीसरे, चौथे और पांचवे साल में मिलने वाली 18,000 रुपये प्रतिमाह फेलोशिप की जगह 27,900 रुपए प्रति माह सुनिश्चित है।
समय पर नहीं मिलती फेलोशिप
इसी तरह एमई, एमटेक और एमफार्मा के लिए गेट या जीपेट उत्तीर्ण छात्रों को 8000 रुपये की जगह 12,400 रुपए प्रतिमाह फेलोशिप मिल रही है। लेकिन छात्रों का आरोप है कि यह फेलोशिप समय के साथ बढ़नी चाहिए और जो फेलोशिप मिल रही है वह भी समय से नहीं मिल रही है।
इन फेलोशिप की राशि में हुई थी वृद्धि
साल 2014 में सरकार ने एमेरिट्स फेलोशिप, पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप (पीडीएफ) फॉर अन्एम्प्लायड वूमेन, एस. राधाकृष्णन पीडीएफ इन ह्यूमिनिटीज एंड सोशल साइंसेज,स्वामी विवेकानंद और इंदिरा गांधी एकल बालिका छात्रवृत्ति, जेआरएफ, एसआरएफ, जेआरएफ, पीडीएफ फॉर एससी/एसटी, पीजी स्कॉलरशिप फॉर प्रोफेशनल स्टडीज एसटी/एससी, गेट, जीमेट उत्तीर्ण, बेसिक रिसर्च फेलोशिप, डॉ.डीएस कोठारी पीडीएफ और बीएसआर फैकल्टी फेलोशिप के तहत मिलने वाली धनराशि में बढ़ोत्तरी की थी।