Hansraj Meena: आदिवासी, दलित वंचितों की उभरती हुई आवाज़ हंसराज मीणा (Hansraj Meena) मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले हैं। सम-सामयिक, सामाजिक मुद्दों को प्रकाश में लाकर चर्चा में रहने वाले हंसराज मीणा (Hansraj Meena) ट्राइबल आर्मी (Tribal Army) के फाउंडर हैं और आरक्षण जैसे मुद्दे पर तर्कपूर्ण तरीके से बेबाकी से अपनी राय रखते हैं। कोरोना पीड़ितों, मजदूरों, पीएम केयर फंड के लिए बीसीसीआई से पैसा निकलवाने के लिए या आरक्षण के समर्थन में कई हैशटेग हंसराज ट्रेंड करवा चुके हैं। आज हम आपको हंसराज मीणा के बारे में कुछ खास बाते रहे हैं।
1) राजस्थान में जन्म, ट्राइबल आर्मी के फाउंडर
हंसराज मीणा (Hansraj Meena) राजस्थान के रहने वाले हैं और उनकी फेसबुक प्रोफाइल के मुताबिक, हंसराज मीणा का जन्म 15 मई को हुआ है। मीणा ने राजस्थान के भरतपुर स्थित मारुति सीनियर सैकेंडरी स्कूल से 12 वीं पास की है। वहीं हंसराज मीणा (Hansraj Meena) आदिवासियों, शोषितों और वचितों की ट्राइबल आर्मी (Tribal Army) के फाउंडर हैं। ट्राइबल आर्मी (Tribal Army) समय-समय पर अपने हितों और अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों के लिए आवाज उठाती रही है।
2) सोशल मीडिया पर मजबूत पकड़
बात हंसराज मीणा (Hansraj Meena) के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की जाए तो, ट्विटर पर मीणा के एक लाख 34 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हैं जबकी मीणा खुद 82 हजार लोगों को फॉलो कर रहे हैं। वहीं ट्राइबल आर्मी (Tribal Army) के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर 37 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हैं जबकि 1,898 ट्राइबल आर्मी फॉलो कर रही है। हंसराज मीणा के ट्विटर इंफो के मुताबिक, एक लेखक, ब्लॉगर, सामाजिक-धर्मनिरपेक्षता, समानता, मानवता और न्याय के सिद्धांत के साथ एक राजनीतिक कार्यकर्ता, एक आदिवासी और एक किसान का बेटा के साथ ही ट्राइबल आर्मी के संस्थापक हैं।
3) फोटोग्राफी का शौक, फेसबुक का रोचक बायो
वहीं बात अगर फेसबुक की जाए तो फेसबुक पर हंसराज मीणा (Hansraj Meena) को 26 हजार से ज्यादा लोग फॉलो कर रहे हैं। फेसबुक बायो में हंसराज मीणा (Hansraj Meena) ने अपने बारे में लिखा है, "मेरे बारे में कोई राय कायम मत करना, मेरा वक्त बदलेगा तुम्हारी राय बदलेगी" अपनी राय में दो टके का आदमी हूँ..तीन टके की बात करता हूँ।" वहीं हंसराज मोबाइल फोटोग्राफी का भी शौक रखते हैं। आमतौर पर मोबाइल से खींची गई कुछ रोचक फोटो को उन्होंने अपने इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर अपलोड किया है। इसमें कुछ नेचर, कुछ खेती-किसानी की फोटो हैं तो वहीं कुछ सेल्फी भी हैं।
4) लेखक और ब्लॉगिंग पसंद
हंसराज मीणा (Hansraj Meena) ब्लॉग भी लिखते हैं। उन्होंने अपने एक ब्लॉग में लिखा है, हम देहात के निकले बच्चे थे ! पांचवी तक घर से तख्ती लेकर स्कूल गए थे ! स्लेट को जीभ से चाटकर अक्षर मिटाने की हमारी स्थाई आदत थी ! कक्षा के तनाव में स्लेटी खाकर हमनें तनाव मिटाया था ! स्कूल में टाट-पट्टी की अनुपलब्धता में घर से खाद या बोरी का कट्टा बैठने के लिए बगल में दबा कर भी ले जातें थे ! कक्षा छः में पहली दफा हमनें अंग्रेजी का कायदा पढ़ा और पहली बार एबीसीडी देखी ! स्मॉल लेटर में बढ़िया f बनाना हमें दसवीं तक भी न आया था ! करसीव राइटिंग तो आज तक न सीख पाए ! इसे और ज्यादा पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
5) हंसराज मीणा के कुछ पॉप्युलर ट्विट-
हंसराज मीणा न सिर्फ अपने समाज बल्कि सामाजिक और राजनैतिक मुद्दों पर भी ट्विट कर कई मामले सामने ला रहे हैं। उन्होंने हाल ही में एक ट्विट कर राजस्थान सरकार से अपील करते हुए कहा है, राजस्थान सरकार ने अलवर में चंबल का पानी लाने के लिए वर्ष 2019-20 बजट में 4 हजार 718 करोड़ रुपये की सौगात दी थी। लेकिन अभी तक इस पेयजलापूर्ति के लिए कुछ खास नहीं हुआ। अब जरूरत है सरकार बिना किसी देरी के अलवर जिलें के किसानों के हित में इस कार्य की शुरुआत करें। #चंबलपानीअलवर_लाओ
वहीं बीते दिनों आरक्षण के मुद्दे पर बीजेपी के दलित नेताओं पर निशाना साधते हुए उन्होंने ट्विट कर कहा था, भाजपा में विराजमान तमाम दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग के सांसद इन वर्गों के दुश्मन है। आखिर ये आरक्षण पर बार बार हमला देखते हुए भी मासूम क्यों बने बैठे है? लानत हैं। #आरक्षणविरोधीमोदी_सरकार , इतना ही नहीं, हंसराज मीणा का हमला यहीं नहीं रुका, उन्होंने कहा कि भाजपा में विराजमान तमाम दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के सांसद इन वर्गों के दुश्मन हैं। एक अन्य ट्विट में हंसराज मीणा ने कहा, भाजपा में विराजमान तमाम दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग के सांसद इन वर्गों के दुश्मन है। आखिर ये आरक्षण पर बार बार हमला देखते हुए भी मासूम क्यों बने बैठे है? लानत हैं। #आरक्षणविरोधीमोदी_सरकार
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इससे पहले बीती 11 जून को सुप्रीम कोर्ट की एक ट्विप्पणी के बाद #SaveReservation Twitter पर नंबर 1 ट्रेंड हो रहा था। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण पर एक टिप्पणी की थी। जिसके बाद आरक्षण समर्थक और आरक्षण विरोधी आमने सामने थे। सुप्रीम कोर्ट ने बीते गुरुवार को कहा था कि आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है। अदालत ने यह टिप्पणी तमिलनाडु के मेडिकल कॉलेजों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) उम्मीदवारों के लिए कोटा को लेकर दाखिल कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए की।
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हंसराज मीणा ने एक साथ कई ट्विट कर आरक्षण के समर्थन में अपनी बात रखी। हंसराज में एक ट्विट में कहा, मैं उन वर्गों की एक छोटी सी आवाज हूँ जिनकी आवाजें सदियों से गलियों, कुचों और जंगल, पहाड़ों में दबा दी गयी। #SaveReservation…. वहीं एक अन्य ट्विट में उन्होंने कहा, अगर आज आप जागे नहीं तो कल को आरक्षण खत्म मानो। तुम्हें वो धूल समझते है, तुम आंधी बनकर उठो। #SaveReservation…