Loksabha Election: रीवा के वर्तमान सांसद जनार्दन मिश्रा, दूसरी बार रीवा (Rewa) से लोकसभा के लिए अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। उनकी दावेदारी का फैसला अब जनता के हाथों है। आइये देखते हैं वर्तमान कार्यकाल में सदन में वे कितने सक्रिय थे, और उन्होंने पर्यावरण और रीवा की जनता के कितने बुनियादी मुद्दे उठाये हैं।
जनार्दन मिश्रा (Janardan Mishra) ने बीते 5 सालों में, देश, विदेश, अंतरिक्ष, रक्षा आदि से जुड़े सभी प्रश्न पूंछे हैं। उन्होंने एआई (AI) और डीपफेक (DeepFake) पर भी प्रश्न पूछे हैं। जनार्दन मिश्रा ने राजमार्गों के किनारे ग्रीन कॉरिडोर की स्थिति पर प्रश्न पूछा है। उन्होंने नदियों की सफाई और पर्यवरण संरक्षण के प्रयासों पर प्रश्न किये हैं। उन्होंने इलेक्ट्रिक व्हीकल पर सब्सिडी, उसके कचरे के निपटारे और आम वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर प्रश्न किया है।
इन सब के अलावा जनार्दन मिश्रा ने 41 चर्चाओं में भाग लिया। उन्होंने वन्यजीव संरक्षण संशोधन विधेयक, कृषि कानून, एनडीपीएस संशोधन विधेयक में सरकार के पक्ष में दलीलें दी। इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पे बैन की मांग की। उन्होंने रीवा में एयरपोर्ट और रेल्वे सुविधाओं के विस्तार के लिए चर्चा की। अपने पूरे 5 साल के कार्यकाल में सिर्फ एक बार 2019 में जनार्दन मिश्र ने आवारा पशुओं पर चर्चा की है।
वन्य प्राणी संरक्षण विधेयक पर जनार्दन मिश्र
वन्य प्राणी संरक्षण (संशोधन) विधेयक का समर्थन करते हुए जनार्दन मिश्रा ने कहा की यह बहुत ही जरूरी अधिनियम है जिसमे CITES में वर्णित वन्य प्रजातियों के संरक्षण और संवर्धन संभव हो सकेगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा की इससे वन्यजीवों की तस्करी पर भी रोक लगेगी।
इस विधेयक पर चर्चा करते वक्त जनार्दन मिश्र ने मुकुंदपुर व्हाइट सफारी में लाए गए सफेद बाघों के वंश के आगे न बढ़ पाने पर विशेषज्ञ मदद की भी मांग की। साथ ही जनार्दन मिश्रा ने नीलगाय और जंगली सूअर द्वारा किसान की फसल बर्बाद होने पर उसे अतिरिक्त मुआवजे के प्रावधान की मांग भी रखी। हालांकि विधेयक अधिनियम तो बन गया, लेकिन मुकुंदपुर के सफ़ेद शेर और रीवा के नील गायों से त्रस्त किसानों की स्थिति जस की तस ही है।
कृषि कानूनों का जोर-शोर से समर्थन
2020 में कृषि कानून (Farmers' Produce Trade & Commerce (Promotion & Facilitation) पर चर्चा के दौरान कहा कि जिस तरह हर चीज में पूंजी का दखल है, उसी तरह खेती में होना चाहिए। किसानों को भी पूंजीपति बनने का हक है। इससे देश में भण्डारण की बेहतर क्षमता विकसित होगी और टमाटर और प्याज के स्टॉक्स सुरक्षित होंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस बिल से 2 साल में ही किसान की आय दोगुनी हो जाएगी। लेकिन यह कृषि कानून वापस ले लिए गए।
नशे के खिलाफ बोले पर रीवा की स्थिति न बदली
जनार्दन मिश्रा ने इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के निषेध पर विधेयक (The Prohibition of Electronic Cigarettes Bill) पर चर्चा की और इसे कालिया नाग का फन बताया जो की हमारे बच्चों को निकल सकता है। इस पर जनार्दन मिश्र ने बहुत ही प्रैक्टिकल तरीके से बात की। उन्होंने कहा की वो कॉलेज के समय सिगरेट पीते थे लेकिन उनकी सिगरेट पाने आप ही छूट गई। सिगरेट पीने वाला आदमी में घर वालो से दुर्गंध के कारण छुपता है, लेकिन इलेक्ट्रिक सिगरेट को आसानी से पिया जा सकता है इत्यादि। इसके साथ ही उन्होंने रीवा में कोरेक्स की समस्या पर भी जिक्र किया।
इसके 2 साल बाद ही एनडीपीएस संशोधन विधेयक (Narcotic Drugs & Psychotropic Substances (Amend) Bill) पर बोलते हुए जनार्दन मिश्र ने इसकी खूबियां गिनाईं। उन्होंने इसके कड़े आपराधिक प्रावधानों का समर्थन किया साथ ही, यह भी कहा बंगाल और पंजाब जैसे राज्यों में पुलिस गरीबों पर झूठे मुकदमे कर अत्याचार करती है।
इस चर्चा में जनार्दन मिश्र में नशे की लत का ठीकरा अभिभावकों पर फोड़ा और कहा कि, उनके ध्यान न दे पाने का कारण बच्चे नशे की गिरफ्त में आते हैं।
इस पूरी 5 साल की चर्चा में जनार्दन मिश्र ने सिर्फ एक बार सदन में कोरेक्स का जिक्र किया। उनके किसी भी प्रश्नोत्तर में कोरेक्स से संबंधित कोई प्रश्न नहीं पूछा गया। रीवा के सैकड़ों युवा इसकी गिरफ्त में है, और इस नेक्सस के तार देश के कोने कोने से जुड़े हैं। शायद रीवा के अभिभावक अपने प्रतिनिधियों से थोड़ा गंभीर प्रयास की अपेक्षा रखतें हों।
सरकार बदलते ही समस्या गायब
2019 में जब मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी तब जनार्दन मिश्रा ने रीवा में आवारा पशुओं की समस्या और गौशालाओं की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े किये थे और कांग्रेस सरकार को आड़े हाथों लिया था। इसके साथ ही उन्होंने पंचायतों द्वारा फेंसिंग बना कर इस समस्या का उपाय भी सुझाया था।
2020 में मध्यप्रदेश में तख्तापलट हुआ और भाजपा की सरकार आ गई। इसके बाद बीते 4 सालों में रीवा के सांसद ने आवारा पशु और गौशाला से सम्बंधित न तो कोई चर्चा की न ही प्रश्न पूछा। गोया रीवा के किसानों की यह समस्या ही गायब हो गई हो। हालांकि रीवा का किसान इनसे अभी भी जूझ रहा है।
वैसे तो जनार्दन मिश्रा की चर्चा और प्रश्नों में दुनिया-ब्रम्हांड सब का जिक्र आया है, लेकिन उनके अपने क्षेत्र रीवा की जनता के कुछ जरूरी मुद्दे पीछे छूट गए हैं। जनार्दन मिश्रा ने एनडीपीएस पर चर्चा की लेकिन रीवा की कोरेक्स की समस्या पर बात नहीं की है।
जनार्दन मिश्रा एक रीवा की एक सभा में बोलते बोलते बोल गए चाहे दारू पियो या थिनर सूंघो मुझे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन पानी का बिल देना पड़ेगा। बाद में उन्होंने कहा की मैं चाहता हूँ की रीवा में नशा बंद हो, लेकिन आप सब मेरे कहने से नहीं मानेंगे। इससे रीवा के सांसद इस समस्या के आगे बेबस दिखाई पड़ते हैं।
रीवा में कोरेक्स देश के कोने कोने से आती है, और यह पिछले कई वर्षों से रीवा की समस्या बनी हुई है । स्थानीय पुलिस आए दिन इस पर कार्रवाई करती है लेकिन स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं आ रहा है। जाहिर है इसके लिए एक विशेष इंटीग्रेटेड एक्शन की जरूरत है लेकिन इसके लिए पर्याप्त प्रयास और संवाद नहीं हुआ।
नामांकन भरने के बाद मीडिया चैनलों से जनार्दन मिश्रा ने कहा कि वो मुनगे की खेती करेंगे और इसे अपने क्षेत्र की एनीमिया की शिकार महिलाओं को बाटेंगे। एनीमिया आज एक राष्ट्रीय और पूरे प्रदेश की समस्या है, लेकिन सांसद महोदय ने इस पर कोई प्रश्न नहीं पूछा और चर्चा नहीं की, लेकिन निजी प्रयास से मुनगा बांटने की बात कर रहे हैं।
इसके अलावा क्षेत्र में एक बार जनार्दन मिश्रा, एक शौचालय साफ करते दीख पड़े थे। एक बार उन्होंने ठेला ले कर कचरा भी इकट्ठा किया था। स्वच्छता में रीवा की स्थिति अच्छी नहीं है, और इस तथ्य की पुष्टि रीवा के रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड में कदम रखते ही खुद-ब-खुद हो जाती है। लेकिन इस विषय पर सांसद द्वारा सदन में कोई सवाल-जवाब और चर्चा नहीं हुई।
जो रीवा से बाहर के हैं उन्हें ये घटनाएं कॉमिक लग सकतीं हैं, लेकिन रीवा की जनता के लिए सफाई, आवारा पशु, और कोरेक्स की समस्याएं किसी ट्रेजेडी से कम नहीं हैं। इस पर भी रीवा के सांसद का इतना कैजुअल रवैय्या इसे और भी ट्रैजिक बना देता है। अब रीवा की जनता किसे और किन मापदंडों पर मत देती है इसके लिए हमें इन्तजार करना होगा।
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