Uniform Civil Code : चर्चा है कि मोदी सरकार जल्द ही पूरे देश में एक साथ यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने पर विचार कर रही है। लेकिन पूछे जाने पर सरकार साफ तौर पर कहती है कि उनका फिलहाल कोई विचार नहीं है, लेकिन राज्य सरकारें इस क़ानून लाने के लिए परी तरह से स्वतंत्र हैं। केंद्र सरकार का इसमें कोई हस्ताक्षेप नहीं होगा।
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने शुक्रावर को संसद में पूछे गए सावाल का जवाब देते हुए कहा कि केंद्र सरकार फिलहाल देश भर में यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) लाने पर कोई विचार नहीं कर रही है।
उन्होंने बताया कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई मामले लंबित हैं। हम ऐसे में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू (Uniform Civil Code) करने के लिए कोई फैसला नही लिया है। साथ ही उन्होंने बताया कि प्रदेश इस कानून को लागू करने के लिय स्वतंत्र हैं।
उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने वाला है
उत्तराखंड (Uttarakhand) सरकार राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) को लागू करने पर तेज़ी से काम कर रही है। बीते 14 जुलाई को ही उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति की दूसरी बैठक नई दिल्ली में संपन्न हुई।
दिल्ली में हुई इस बैठक के बाद। विशेषज्ञों ने उम्मीद जतायी की समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का मसौदा जल्द तैयार कर राज्य सरकार को सौंप दिया जाएगा। जानकारी के अनुसार, उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में गठित समिति की बैठक में अन्य सदस्यों ने भी हिस्सा लिया ।
बीते 12 फरवरी को उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने कहा था कि सरकार बनते ही प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया जाएगा। सीएम धामी ने राज्य मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही समान नागरिक संहिता के लिए मसौदा तैयार करने हेतु एक विशेषज्ञ समिति गठित करने के निर्णय को मंजूरी दी थी। ऐसी चर्चा है कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य हो सकता है जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) लागू हो जाए।
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड
What is Uniform Civil Code
भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक जैसा कानून-विधान। व्यक्ति चाहे किसी भी जाति या धर्म का क्यों न हो, देश का कानून समान रूप से लागू होगा। शादी, तलाक और ज़मीन जायदाद के मामले में भी सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होने की बात कही गई है।
मौजूदा समय में मुस्लिम, ईसाई और पारसी के लिए अलग पर्सनल लॉ है जबकि हिंदू सिविल कोड के तहत हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध अपने मामलों का निपटारा करते हैं।
यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध क्यों हो रहा ?
देश में यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) को लेकर बहस आज़ादी के ज़माने से ही चल रही है। भारत के संविधान के निर्माताओं ने सुझाव दिया था कि सभी नागरिकों के लिए एक ही तरह का कानून होना चाहिए। यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध करनेवालों का तर्क है कि इसके लागू होने से लोग अपनी धार्मिक मान्यताओं से वंचित हो जाएंगे और इन्हें मानने का उनका अधिकार छिन जाएगा।
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