दुनिया का तापमान बढ़ रहा है. आसन शब्दों में कहें तो धरती गर्म हो रही है. ज़ाहिर है इसका असर हमारे आस-पास के वातावरण और खुद हम पर हो रहा है. इस बढ़ते हुए तापमान (global warming) को 1.5 डिग्री सेल्सियस से कम रखने के लिए दुनिया के छोटे-बड़े देश आर्थिक और राजनैतिक स्तर पर काम कर रहे हैं. मगर जलवायु परिवर्तन को रोकने की लड़ाई में हम कहाँ तक पहुँचे हैं? इस सवाल का जवाब देने के लिए वैश्विक स्तर पर एक असेसमेंट होना था. यह असेसमेंट ही ग्लोबल स्टॉकटेक (global stocktake) या जीएसटी है.
क्या है ग्लोबल स्टॉकटेक (GST)
दिसंबर, 2015 को पैरिस में आयोजित यूएन क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस (COP21) में विश्व के 196 देशों ने पैरिस एग्रीमेंट साइन किया था. यह एक लीगल फ्रेमवर्क है जो इन देशों को ऐसे कदम उठाने के लिए बाध्य करता है जिससे ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस से कम रखा जा सके. ग्लोबल स्टॉकटेक (global stocktake) के ज़रिए विश्व के सभी देशों द्वारा इस बावत उठाए गए कदमों का मूल्यांकन किया जाएगा. इससे न सिर्फ यह पता चलेगा कि अब तक विश्व भर में ग्लोबल वार्मिंग को लेकर कितना काम हुआ है. बल्कि यह भी तय किया जाएगा कि साल 2025 तक स्थिती को सुधारने के लिए और क्या-क्या कदम उठाए जाने हैं.
Global Stocktake के 3 चरण
ग्लोबल स्टॉकटेक साल 2021 में शुरू किया गया था. इसे 3 चरणों में पूरा किया जाना था जिसका अंतिम चरण आगामी सीओपी 28 में पूरा होगा. इसके 3 महत्वपूर्ण चरण इस प्रकार हैं -
- सूचनाओं को इकठ्ठा करना - इस चरण में जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए पैरिस एग्रीमेंट साइन करने करने वाले देशों द्वारा उठाए गए कदमों की एक रिपोर्ट सम्बंधित देशों से ली जाएगी. इसके अलावा ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन की स्थिती और क्लाइमेट एक्शन से जुड़ी हुई कुल 13 सिंथेसिस रिपोर्ट आईपीसीसी, यूनाइटेड नेशन्स और यूएनएफ़सीसीसी (UNFCCC) से ली गई हैं. एक अनुमान के मुताबिक कुल 1600 से भी ज़्यादा दस्तावेज़ इस चरण में इकठ्ठा करने उनका आकलन किया गया है. जून 2021 से शुरू हुए इस चरण को बीती बोन क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस में पूरा किया गया.
- तकनीकि असेसमेंट - यह चरण साल 2022 के मध्य में शुरू हुआ और बीती बोन क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस में इसे पूरा किया गया. पहले चरण के दौरान प्राप्त दस्तावेज़ों को विश्लेषित करते हुए मिटिगेशन, एडाप्टेशन और फाइनेंस पर विश्लेषित संक्षिप्त रिपोर्ट्स (summary reports) और एक व्यापक रिपोर्ट (overarching synthesis report) प्रकाशित की गई हैं. इनमें से एक वैज्ञानिक आकलन की रिपोर्ट (scientific synthesis report) बीते सितम्बर माह में प्रकाशित की गई है. यह असेसमेंट 3 क्लाइमेट टॉक में किया गया था. जिनमें से एक टॉक इजिप्त में हुई COP27 के दौरान आयोजित की गई थी और 2 टॉक बोन क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस में आयोजित की गई थीं.
- आउटपुट - इसके अंतिम चरण में आगामी सीओपी 28 में रिपोर्ट पर चर्चा करते हुए आगे की रणनीति तय की जाएगी.
क्यों ज़रूरी है ग्लोबल स्टॉकटेक
आसान शब्दों में इसकी अहमियत को इस तरह से समझा जा सकता है कि इसके ज़रिए दुनिया के सामने वह गैप स्पष्ट हो जाएँगे जिनको भरकर ही जलवायु परिवर्तन को रोका जा सकता है. आईपीसीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2030 ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को 43 प्रतिशत तक कम करने की ज़रूरत है. ऐसा करके ही हम ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस से कम पर रोक सकते हैं. मगर ऐसा किया कैसे जाएगा? इस सवाल का जवाब ही ग्लोबल स्टॉकटेक (global stocktake) के ज़रिए तलाशा जा सकता है. ऐसे में यह क्लाइमेट एक्शन को लेकर ग्लोबल एक्शन प्लान बनाने के मददगार साबित होगा.
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