हिन्दुस्तानी सभ्यता में गंगा नदी को केवल एक नदी का दर्जा नही दिया गया है बल्कि यह हमारे लिए सांस्कृतिक और आध्यतामिक तौर पर भी महत्व रखती है । भारत की 40% आबादी का जीवन गंगा नदी पर निर्भर है । भारतीय सेना के 3 रिटायर्ड अफसरों की अगुवाई में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज ( इलाहाबाद ) से 5100 किलोमीटर लंबी अतुल्य गंगा जनांदोलन पैदल यात्रा(Ganga Parikrama) का आयोजन किया जा रहा है । यह यात्रा 16 दिसंबर 2020 से शुरु होकर 15 अगस्त 2021 को समाप्त होगी । यह यात्रा 5 राज्य 45 शहर और गांव में से होकर गुजरेगी । इस यात्रा में नेहरु पर्वतारोहण संस्थान (NIM) को शामिल किया गया है और यात्रा के दौरान किचन और कैपिंग की जिम्मेदारी स्नो स्पाइडर ट्रैकिंग और माउंटेनियरिंग एजेंसी को दी गई है यह यात्रा प्रयागराज के उत्तरी किनारे शुरु होकर गंगा सागर और फिर गंगा सागर से गोमुख में सम्पन्न होगी।
What is Ganga Dashehra? timings and story behind it?
परिक्रमा यात्रा में शामिल हो रहे निम के प्रिंसिपल कर्नल अमित विष्ट के मुताबिक इस परिक्रमा यात्रा का उदेश्य गंगा के संरक्षण और गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए स्थानीय निवासियों को जागरुक करना और उनकी भागीदारी तय करना है, और वहां के निवासी पूर्व सैनिकों को गंगा प्रहरी बनाया जाना है जो हर 3 महीने में गंगा जल और मिट्टी की सैंपलिंग करेंगे । आपको बता दें कि करीब ढेड़ साल पहले रिटायर्ड अफसर लेफ्टिनेंट कर्नल हेम लोहुमी ,लेफ्टिनेंट कर्नल गोपाल शर्मा और कर्नल मनोज केश्वर ने गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए अतुल्य गंगा जनांदोलन यात्रा की पहल की थी।
Ganga Parikrama: वैसे तो गंगा को स्वच्छ बनाना पीएम नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है और प्रधानमंत्री कई मौंकों पर चाहे वाराणसी से लोकसभा कैंडिडेट के तौर पर या पीएम बनने के बाद अमेरिका के मैडिसन स्क्वायर गार्डन से भारतीय समुदाय को सम्बोधित करते वक्त गंगा की सफाई का जिक्र कर चुके है । 2014 में केन्द्र की सत्ता पर काबिज होने के बाद गंगा के संरक्षण और सफाई के लिए एक अलग मंत्रालय भी बनाया और नमामि गंगे नाम से 20,000 करोड़ की एक बड़े बजट की योजना शुरु की और योजना के काम को समय के हिसाब से 2 हिस्सों में बांटा गया ।
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Ganga Parikrama: छोटी अवधि वाले प्रोजेक्ट के लिए 5 साल और लंबी अवधि वाले प्रोजेक्ट के लिए 10 साल के समय का लक्ष्य रखा गया था । 2017 में एनजीटी की रिपोर्ट में बताया गया था 7304.64 करोड़ गंगा की सफाई पर खर्च करने के बाद भी गंगा जल में ऑक्सीजन का लेवल लगातार कम हो रहा है और जल में बैक्टीरिया 58% तक बढ़ गए है । 20,000 करोड़ के भारी भरकम बजट के बावजूद जमीनी हकीकत में गंगा की दशा में कोई सुधार हुआ है