Loksabha Election: 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रथम चरण के मतदान में अब कुछ ही दिन शेष। कांग्रेस (congress) ने लगभग एक सप्ताह पहले ही अपना चुनावी घोषणा पत्र जिसका नाम न्याय पत्र है, जारी किया था। भाजपा (BJP) ने भी लंबा समय लेते हुए अपना मैनिफेस्टो (manifesto) जिसका नाम संकल्प पत्र है, जारी कर दिया है। इनमे कुछ दावे हैं और कुछ वादे, कुछ आरोप प्रत्यारोप भी हैं। आइये हम एक-एक करके समझते हैं की, इन घोषणापत्रों में वंचित वर्गों के बुनियादी मुद्दों और पर्यावरणीय चुनौतियों के मद्देनजर क्या वादे किये गए हैं।
क्या कहता है भाजपा का घोषणापत्र
भाजपा के घोषणापत्र में शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के राष्ट्र के नाम संदेश से होती है। इनमे पिछ्ल्व 10 वर्ष के कामों का बखान है। इनमें सुरक्षा से लेकर अंतरराष्ट्रीय संबंधों तक की चर्चा की गई है। इसके साथ पीएम मोदी कहते हैं कि इन दस वर्षों में भारत के अर्थव्यवस्था फ्रैजाइल 5 से निकलकर टॉप 5 अर्थव्यवस्था बन गई है। इसके बाद संकल्प पत्र समिति के अध्यक्ष राजनाथ सिंह का संदेश है। इस घोषणा पत्र में CAA लागू करने से लेकर वन्दे भारत स्लीपर चलाने तक बहुत कुछ है। भाजपा के मैनिफेस्टो में वन नेशन वन इलेक्शन भी है, और पूर्वोत्तर भारत के ऊपर एक पूरा अध्याय है।
क्या हैं कांग्रेस के वादे
कांग्रेस का घोषणापत्र पी. चिदंबरम की अध्यक्षता वाली समिति ने बनाया है। कांग्रेस का मैनिफेस्टो 10 न्याय के सेगमेंट्स में बंटा हुआ है। इसमें हिस्सेदारी, युवा, नारी, किसान, श्रमिक, संवैधानिक, आर्थिक, राज्य, रक्षा, और पर्यावरण न्याय की बात कही है। कांग्रेस के मैनिफेस्टो में भ्रष्टाचार, मीडिया और न्यायपालिका की स्वतंत्रता, बेहतर केंद्र राज्य संबंध, बेरोजगारी और अग्निपथ योजना को खत्म करने की बातें हैं। इसके साथ ही कांग्रेस ने 2025 से केंद्र सरकार की आधी नौकरियां महिलाओं के लिए आरक्षित करने की बात भी की है।
पोषण और स्वास्थ पर विजन
भाजपा ने संकल्प पत्र में मोटे अनाज (millets) के माध्यम से पोषण सुरक्षा की बात की है। साथ ही इसमें भारत को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट हब और न्यूट्रिशन हब बनाने की बात भी है। साथ ही जनजातीय बच्चों में कुपोषण और सिकल सेल रोग के क्षेत्र में प्रयास की भी बात की है।
इसके अलावा स्वास्थ के क्षेत्र में टीबी, कुष्टरोग, काला आजार आदि रोगों के उन्मूलन में तेजी लाने के प्रयास की बात कही गई है। मेडिकल कॉलेजों की सीटें बढ़ाने से लेकर जान औषधि केंद्रों के विस्तार का भी वादा है, जहां दवाइयां सस्ते दामों उपलब्ध कराई जायेंगी।
इन सब के अलावा वैक्सीन अनुसंधान में तेजी और मेन्टल हेल्थ को लेकर मानस और मनोदर्पण जैसी मेंटल हेल्थ की सेवाओं के विस्तार का भी वादा किया गया है। हालांकि के भाजपा के घोषणा पत्र में एनीमिया और अन्य कुपोषण की समस्याओं का जिक्र नहीं है।
कांग्रेस ने भी अपने न्याय पत्र में, स्वस्थ सुविधाओं को बढ़ाने से लेकर हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज खोलने की बात की है। इसके साथ ही कांग्रेस ने राजस्थान सरकार की तर्ज पर चिरंजीवी योजना के तर्ज पर 25 लाख का निशुल्क इलाज और कैशलेस बीमा का भी वादा किया है। कांग्रेस ने स्वास्थ का बजट बढ़ने से लेकर वेस्टिंग स्टंटिंग और कुपोषण की अन्य समस्याओं को तेजी से कम करने का भी वादा किया है।
नदी, पानी, और मछुआरे
संकल्प पत्र ने हर घर नल से जल पहुंचाने के साथ इसकी सुरक्षा और सदुपयोग की बात की है। इसके साथ ही पर्यवरण अनुकूल शहरों के विकास, जलाशयों को पुनर्जीवित करने की भी बात कही है। इसके अलावा घोषणा पात्र में दावा किया गया है कि पीएम कृषि सिंचाई योजना से 25.5 लाख हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र में वृद्धि हुई है, साथ ही कहा है की सरकार कुशल कुशल जल प्रबंधन और सिंचाई के विकास के लिए तकनीकी सहायता से और भी प्रयास करेगी।
मछुआरों के लिए संकल्प पत्र में मत्स्य सम्पदा योजना के विस्तार की बात की गई है। इसके अलावा मोती की खेती, सैटेलाइट इमेजरी, और अन्य तकनीकों से मत्स्यन को बढ़ावा देने की बात भी कही है।
नदियों के मामले में भाजपा ने नमामि गंगे की तर्ज पर अन्य नदियों की दशा सुधारने और नेशनल रिवर कंजर्वेशन प्लान (NRCP), और अर्थ गंगा की बात कही है। इसके साथ ही जल परिवहन के साथ ही जल मेट्रो के विकास भी बात भाजपा के संकल्प पत्र में है। इसके अलावा नदी में आर्सेनिक इत्यादि के प्रदूषण से बचाव के लिए केंद्र सरकार राज्य सरकारों की मदद करेगी ऐसा भी संकल्प पत्र में लिखा है।
शहरी पेयजल के लिए वेस्ट-वाटर ट्रीटमेंट, एक्वीफर रिचार्ज और स्मार्ट मीटर जैसे उपायों के विस्तार की बात की गई है। इसके साथ ही हिमालयी नदियों के उचित जल प्रबंधन के लिए पड़ोसी देशों से साझेदारी, जल विधुत बनाने के प्रयास, और बाढ़ के विनाशकारी प्रभावों को कम करने की बात की गई है।
वहीं कांग्रेस ने जल शक्ति मंत्रालय की दायरे में विस्तार करने के साथ जलीय गतिविधियों को एक प्राधिकरण के अंतर्गत लाने की बात की है। इसके साथ ही कांग्रेस ने कोस्टल एरिया में डिसेलिनेशन प्लांट और औद्योगिक और अपेय जल के पुनर्चक्रण की को अनिवार्य करने की बात की है। इसके अलावा कांग्रेस ने नदी में कचरा और सीवेज छोड़े जाने को लेकर कड़े कानून और जल प्रबंधन को लेकर एक बड़े जान भागीदारी के संचालन की भी बात की है।
कांग्रेस ने मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड की तरह क्रेडिट कार्ड देने की बात की है। इसके अलावा इनकी जनगणना और पहचान पत्र बनाने की भी बात है। समुद्री मछुआरों को डीजल में सब्सिडी देने का भी वादा इस न्याय पत्र में किया गया है। इसके अलावा कांग्रेस ने मछुआरों के लिए सहकारी बैंक बनाने का भी वादा किया है।
पर्यावरण अनुकूलन बनाम पर्यावरण न्याय
भाजपा के संकल्प पत्र में ये दावा किया है भारत वर्तमान में बिजली की 44 फीसदी जरूरत, नॉन-फॉसिल स्त्रोतों से पूरा करता है और अब भारत 2070 तक नेट जीरो के लक्ष्य को हासिल करने के लिए काम करेगा।
वायु की गुणवत्ता में सुधर के लिए भाजपा ने एनएसीपी (Natinoal Clean Air Programme) का जिक्र किया है जिसके अंतर्गत 2029 तक 60 जिलों में एयर क्वालिटी स्टैंडर्ड को प्राप्त करने की बात कही है। इसके अलावा भाजपा ने वनीकरण, कार्बन सिंक बढ़ाने, हिमालयी राज्यों की आपदा, तटीय क्षेत्र, इंसान-जानवर टकराव, और आपदा सम्बन्धी विषयों पर अपना विजन 'प्रयास' के साथ बस एक लाइन में लिख दिया है।
इसके अलावा भाजपा के संकल्प पत्र में कार्बन क्रेडिट कार्यक्रम का विस्तार, नेशनल ई-वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम, और रीसाइक्लिंग को प्रोत्साहन और शहरी जल प्रबंधन, शहरी अर्थव्यवस्था सेम संबंधित पाठ्यक्रम तैयार करने का भी जिक्र किया है।
दूसरी ओर कांग्रेस ने पर्यावरण योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए स्वतंत्र पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन प्राधिकरण के गठन की बात की है। इसके अलावा कांग्रेस ने अक्षय ऊर्जा, और हरित नौकरियों के लिए ग्रीन न्यू डील निवेश कार्यक्रम शुरू करने की बात की है। इन सब के कांग्रेस ने मानव-जानवर संघर्ष के लिए क्षेत्र विशेष को ध्यान में रख कर समाधान निकालेगी।
कांग्रेस ने भी 2070 तक नेट जीरो के लक्ष्य का जिक्र किया है। कांग्रेस ने न्याय पत्र में वायु प्रदूषण नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम की बात की है। इसके अलावा कांग्रेस ने राज्य सरकारों के साथ मिल वन और वनावरण को फिर से परिभाषित करेगी और स्थानीय समुदायों को इसमें शामिल करने की बात की है। इन सब के अलावा कांग्रेस ने आपदा के दायरे का विस्तार करते हुए, इसमें मानवों के साथ साथ पशुओं, जंगली जानवरों, और वृक्षों को भी शामिल करने की बात की है।
कुल मिलाकर भाजपा के संकल्प पत्र के केंद्र में राम, इंफ्रास्ट्रक्चर और देश विदेश की बातें है तो कांग्रेस के न्याय पत्र में सर्वहारा और संवैधानिक संस्थाओं के मुद्दे केंद्र में दिखाई देते हैं। कांग्रेस का मैनिफेस्टो भाजपा की तुलना में काफी कांक्रीट और विस्तृत है। कई जरूरी पर्यवरणीय विषयों भाजपा ने सिर्फ एक लाइन लिख कर छोड़ दी है, कांग्रेस ने हर विषय पर विस्तार से बात की है।
हालाँकि ये दावे और वादे हैं, इनमे से कितने वादों पर अमल होता है, और कितना अपेक्षित नतीजा दे पाते हैं ये बाद की बात है। इन सब से इतर बड़ा सवाल यह भी है कि क्या पार्टियां इन मुद्दों को लेकर जनता से संवाद करती हैं? क्या जनता इस लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) में इन मुद्दों को ध्यान रख कर मतदान करती है?
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