Eid e Milad Un Nabi 2022 : ईद-ए-मिलादुन्नबी का पर्व इस साल भारत में 9 अक्टूबर को मनाया जाएगा। दुनियाभर के मुस्लमानों के लिय यह दिन बहुत अहमियत रखता है। मुस्लमान इस दिन अपने घरों-मोहल्लों को तरह-तरह की लाइटों और सजावट कर रोशनी करते हैं। अच्छे-अच्छे पकवान पकाते हैं और दूसरों को भी बांटते हैं। इस पर्व को जश्न-ए-चराग़ा भी कहा जाता है। आइये आपको बताते हैं इससे जुड़ी सभी ज़रूरी जानकारियां।
इस्लामिक यानी हिजरी कैलेंडर (Hijri calendar) में रबी अल-अव्वल (Rabi ul Awal) तीसरा महीना होता है। बिल्कुल वैसे ही जैसे अंग्रेज़ी कैलेंडर में मार्च का महीना। रबी अल-अव्वल (Rabi ul Awal) महीने की 12वीं तारीख को मुस्लमान ईद-ए- मिलादुन्नबी (Eid e Milad Un Nabi 2022) का त्यौहार मनाते हैं। इस साल भारत में 27 सितंबर 2022 को रबी अल-अव्वल (Rabi ul Awal) का चांद देखा गया था। यानी कि 28 सितंबर 2022 को रबी उल अव्वल (Rabi ul Awal) महीने की 1 तारीख थी। इस हिसाब से रबी उल अव्वल महीने की 12वीं तारीख 9 अक्टूबर को है।
मुस्लमान अपने घरों-मोहल्लों को क्यों सजाते हैं ?
मीलाद उन-नबी (Eid e Milad Un Nabi 2022 ) अरबी का एक शब्द है। भारत में इस पर्व को कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जश्न-ए-चराग़ा,रोशनी,बारावफात ईद-ए-मीलाद-उऩ-नबी जैसे नामों से लोग इसको पुकारते हैं। इस दिन (11 रबी अल-अव्वल ) को इस्लाम (Islam) के अंतिम पैगंबर मोहम्मद साहब (Muhammad Sahab) का जन्म हुआ था। पैगंबर मोहम्मद का जन्म 8 जून, 571 ई। को मक्का (Makka) शहर ( Saudi Arab) में हुआ था। मुस्लमान इस दिन को पाक दिन ( पवित्र ) मानते हैं। खुशियां मनाते हैं। पैगंबर की पैदाइश की खुशी में घरों-मोहल्लों को सजाते हैं। सुंदर-सुंदर लाइटों से रोशनी करते हैं। अच्छे-अच्छे पकवान बनाते हैं। जुलूस निकाल कर पैगंबर की शान में ‘नात’ (धार्मिक गीत) पढ़ते हैं।
कब से मनाया जा रहा है ईद-ए-मीलाद उन-नबी
एशिया के मुल्कों में इसको बड़ी हर्षों उल्लास के साथ मनाने का चलन है। भारत,पाकिस्तान,बांग्लादेश और श्रीलंका सहित अन्य देशों में बड़े पैमाने पर इसको मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले ईद-ए-मिलाद (Rabi ul Awal) का त्योहार मिस्त्र में मनाया गया था। वहीं 11 वीं शताब्दी के आने के साथ ही पूरी दुनिया में इसे मनाया जाने लगा। पैगंबर मोहम्मद साहब इस्लाम धर्म के संस्थापक हैं। इस्लाम को फैलाने में उनका सबसे बड़ा योगदान रहा है। इस कारण दुनिया भर के मुसलमान इस दिन को काफी उरूज के साथ मनाते हैं।
शिया मुसलमान अलग मनाते हैं पैगंबर के जन्म की तारीख़
यूं तो मुस्लमान कई पंतो में बंटा हुआ है। पैगंबर मोहम्म्द के अनुसार मुस्लमान 72 पंतों में बंट जाएंगे। शिया मुस्लमान पैगंबर को मानते हैं लेकिन उनकी जन्म की तारीख को अलग मानते हैं। शिया मुसलमान 17 रबी अल-अव्वल (Rabi ul Awal) को पैगंबर के जन्म का दिन मानते हैं और वफात ( देहांत) 28 सफर (अरबी महीना) को मनाते हैं।
गौरतलब है कि मोहम्मद पैगंबर साहब के जन्म से पूर्व ही उनके पिता अब्दुल्ला की मौत हो गई थी। पैगंबर साहब जब मात्र छह वर्ष के थे उनकी माँ बीबी आमिना की भी मृत्यु हो गई। तब उनकी परवरिश उनके दादा अबू तालिब और चाचा अबू तालिब ने अपने संरक्षण में की थी। मुस्लिम धर्म के अनुसार अल्लाह ताला ने सर्वप्रथम पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब को ही कुरान अता की थी, जिसे हज़रत साहब ने दुनिया के कोने-कोने में प्रसारित किया। इस्लाम फैलाने में सबसे अधिक योगदान भी पैगंबर साहब को ही माना जाता है।
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