टूटी है कश्ती, तेज है धारा, कभी ना कभी तो मिलेगा किनारा
बही जा रही ये समय की नदी है,इसे पार करने की आशा जगी है
तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है, अंधेरो से भी मिल रही रोशनी है…
इन पंक्तियों से कोरोना माहामारी से जूझती दिल्ली के हालात बयां होते हैं, फिल्म प्यासा सावन के इस गीत जिसके बोल संतोष आनंद ने लिखे, एक राजनीतिक घटना पर फिट बैठते हैं। तस्वीर देखकर आप समझ ही गए होंगे… दिल्ली में कोरोनावायरस के मामले देश में सबसे अधिक हो गए हैं। कोरोना से लड़ रही केजरीवाल सरकार जून के शुरुवात में लगातार बढ़ रही मरीज़ों की संख्या से बेहाल होती नज़र आने लगी थी। लोगों को अस्पताल में बेड न मिलने की शिकायतें आने लगी, अचानक दिल्ली में कोरोना से मरने वालों की संख्या भी बढ़ने लगी। इस आफत पर काबू पाने के लिए दिल्ली सरकार ने अजीब फरमान सुना दिया और कहा कि अब दिल्ली के अस्पतालों में केवल दिल्लीवासियों का ही इलाज होगा और केवल लक्षण वाले मरीज़ों का ही टेस्ट किया जाएगा। इस फैसले के बाद दिल्ली में राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई। दिल्ली सरकार चुपके-चुपके केंद्र सरकार से मदद न मिलने के भी इल्ज़ाम लगाने लगी। फिर शुरु हुई एलजी वर्सेस दिल्ली सरकार की सियासत। रातों रात उप राज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली सरकार के दोनों फैसले पलट दिए और कहा कि दिल्ली में सभी का इलाज होगा और ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग होगी।
दिल्ली में बढ़ते कोरोना संकट को संभालना केंद्र और राज्य दोनों की साझा ज़िम्मेदारी है। इस मामले पर राजनीति लोगों को भारी पड़ने लगी थी। शायद यह बात केंद्र सरकार को भी समझ आने लगी थी। तभी दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह खुद मैदान में उतर गए। अमित शाह ने अचानक दिल्ली के अस्पतालों का निरीक्षण शुरु कर दिया। केजरीवाल सरकार को केंद्र सरकार ने भरोसा दिलाया कि दिल्ली में कोरोना की लड़ाई सब साथ मिलकर लड़ेंगे। मुख्यमंत्री केजरीवाल पिछले 2 माह में कई बार केंद्र सरकार से मिल रही मदद और भरोसे का आभार जता चुके हैं।

हालिया घटना है राधा स्वामी सत्संग ब्यास में कोविड केयर सेंटर के निरीक्षण की, जहां केजरीवाल और अमित शाह साथ-साथ दिखाई दिए। अमित शाह और केजरीवाल ने दिल्ली वासियों के लिए बनाए गए 10 हज़ार बेड की क्षमता वाले कोविड केयर सेंटर का निरीक्षण किया। यह देश का सबसे बड़ा कोविड केयर सेंटर है। यहां से निकलने के बाद मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा-
कोरोना के खिलाफ लड़ाई में केंद्र सरकार ने हमें हाथ पकड़कर चलना सिखाया है।
–मुख्यमंत्री, अरविंद केजरीवाल
केजरीवाल के इस बयान को सुनकर लगा कि चलो देर से ही सही लेकिन एक अच्छी राजनीतिक पहल हुई है। कोरोना महामारी में राजनीतिक दलों को एक साथ आकर जनता कि सेवा करनी होगी। यह समय राजनीति से ऊपर उठकर जनसेवा करने का है। हो सकता है राज्य सरकारें अपनी क्षमता के हिसाब से कुछ ऐसा फैसला लें जो आम-जन के लिए ठीक न हो ऐसे में केंद्र सरकार को टोकना ज़रुरी है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में अब रोज़ाना 20 हज़ार कोरोना जांच हो रही हैं। पूरे देश में सबसे ज्यादा जांच अब दिल्ली में हो रही हैं। अब जांच न होने की शिकायत खत्म हो गई है। अरविंद केजरीवाल ने यह माना कि जून की शुरुवात में दिल्ली में हुई मौतों का काऱण मरीज़ों को समय पर बेड न मिल पाना रहा है। उस समय दिल्ली में हर रोज़ केवल 5000 जांच हो रही थी, और जांच के लिए लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ रहा था। दिल्ली में सर्वे के ज़रिए चिन्हित कर लोगों को नज़दीकी सेंटर लाकर जांच की जा रही है। संक्रमित लोगों को आइसोलेट किया जा रहा है। जिससे संक्रमण आगे ना बढ़े। केजरीवाल ने कहा जांच बढ़ाने में हमें केंद्र सरकार की खूब मदद मिल रही है। केंद्र ने एंटीजन जांच की मंजूरी के साथ जांच किट भी उपलब्ध करवाई है। दिल्ली में सीरोलॉजिकल सर्वे शुरु हो चुका है। पहले दिन 600 लोगों के नमूने लिए गए । इसके तहत 10 जुलाई तक 20 हज़ार लोगों के रक्त के नमूने लिए जाएंगे। इसके नतीज़ों के आधार पर कोरोना से लड़ने की रणनीति तैयार होगी।
दिल्ली में केंद्र और राज्य का साथ आना एक अच्छा संकेत है। राजनीति से ऊपर उठकर अगर राज्य और केंद्र दिल्ली में साथ काम करें तो कोरोना को हराने में ज़्यादा वक्त नहीं लगेगा। दिल्ली देश की राजधानी है। अगर यहां स्थिति बिगड़ी तो यह देश के लिए धब्बा साबित होगा। दिल्ली में लागू की जाने वाली रणनीति आने वाले समय में देश के लिए एक मॉडल की तरह प्रस्तुत की जा सकेगी। राजनीति तो खैर चलती रहेगी…
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