ग्राउंड रिपोर्ट । न्यूज़ डेस्क
दो केंद्र शासित प्रदेशों को विलय करने का उद्देश्य उनकी प्रशासनिक आसानी को बढ़ाना और विकास सुनिश्चित करना है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किशन रेड्डी के अनुसार, न्यूनतम सरकार और अधिकतम सुशासन की सरकार की नीति को ध्यान में रखते हुए और दोनों केंद्र शासित प्रदेशों की छोटी आबादी तथा सीमित क्षेत्र को ध्यान में रखकर अधिकारियों की सेवाओं के बेहतर उपयोग हेतु यह कदम उठाया गया है।
विलय की बड़ी बातें-
1.केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किशन रेड्डी ने दो केंद्र शासित प्रदेशों को एक साथ मिलाने के लिए सदन में विधेयक पेश किया।
2. दोनों केंद्र शासित प्रदेश एक-दूसरे से मात्र 35 किलोमीटर की दूरी पर हैं. लेकिन, दोनों का अलग बजट बनता है और अलग-अलग सचिवालय हैं।
3. दादरा और नगर हवेली में केवल एक जिला है, जबकि दमन एवं दीव में केवल दो जिले हैं।
4. दोनों के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद लोकसभा में दो सीटें होंगी। बांबे हाई कोर्ट पहले की तरह यहां के कानूनी मामले देखेगा।
5. इसके अलावा, दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी नये केंद्र शासित प्रदेश कैडर में ट्रांसफर होंगे. इसी तरह अन्य सभी कर्मचारी भी नये केंद्र शासित प्रदेश में चले जाएंगे।
6. केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर के विभाजन के बाद देश में 09 केंद्र शासित प्रदेश और 28 राज्य थे। अब, इस विधेयक के पारित होने से केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या आठ रह जाएगी। 08 केंद्र शासित प्रदेशों की सूची: लद्दाख, जम्मू और कश्मीर, पुदुचेरी, दिल्ली, चंडीगढ़, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव, लक्षद्वीप।
7. दोनों केंद्र शासित प्रदेशों पर बहुत लंबे समय तक पुर्तगालियों का शासन रहा। दोनों को दिसंबर 1961 में पुर्तगाली शासन से आजादी मिली।
8. दमन दीव साल 1987 तक गोवा केंद्र शासित प्रदेश का हिस्सा था, लेकिन गोवा के पूर्ण राज्य बनने पर यह अलग हो गया।
9. दादरा नगर हवेली 02 अगस्त 1954 को स्वतंत्र हुई। यह बाद में साल 1961 में भारत में केंद्र शासित प्रदेश के रूप में शामिल हुई।