आज जम्मू- कश्मीर ज़मीन घोटाले की सीबीआई जांच को लेकर चर्चा में है। सीबीआई (CBI) ने जम्मू –कश्मीर के विवादित रोशनी ज़मीन घोटाले(Roshni Act) की जांच शुरु कर दी। इस ज़मीन घोटाले को जम्मू – कश्मीर के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला(Roshni Act) बताया गया। मीडिया रिपोर्ट की माने तो यह लगभग 25 हजार करोड़ का ज़मीन घोटाला जिसमें कई नेताओं और अफ़सरों ने सरकारी ज़मीन का बंदरबांट किया।
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आपको बता दें कि जम्मू –कश्मीर हाईकोर्ट ने रोशनी एक्ट(Roshni Act) को रद्द करते हुए जांच सीबीआई को सौंप दी थी। सीबीआई (CBI) ने इस घोटाले में कई अफ़सरों को आरोपी बनाया है । 2011 में जम्मू –कश्मीर हाईकोर्ट में वकील अंकुर शर्मा ने रोशनी एक्ट के ख़िलाफ याचिका दायर की थी। कोर्ट ने याचिका पर इस साल अक्टूबर में अपने फैसले में रोशनी एक्ट(Roshni Act) को असंवैधानिक कहते हुए इसे रद्द कर दिया था और जांच सीबीआई (CBI) को दे दी थी । और हाईकोर्ट ने ज़मीन वापस लेने का भी आदेश दिया था।
आपकों बता दें कि जम्मू-कश्मीर के एंटी करप्शन डिपार्टमेंट ने पहले ही इस मामले में केस दर्ज किया था। बाद में कोर्ट के आदेश के बाद पूरी जांच सीबीआई (CBI) को दे दी गई थी। इस मामले में सीबीआई (CBI) ने 3 आपराधिक साज़िश और एफआईआर (FIR) दर्ज की।
क्या है रोशनी एक्ट और इसे रोशनी क्यों कहा गया ?
जम्मू –कश्मीर राज्य भूमि एक्ट को ही रोशनी एक्ट(Roshni Act) के नाम से जाना गया। जिसमें सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा करने वाले लोगों को मामूली कीमत लेकर वैध मालिकाना हक देना था। 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने इस एक्ट को लागू करते हुए कहा था कि इस एक्ट से जो भी पैसा आयेगा उसका इस्तेमाल राज्य के पावर प्रोजेक्ट्स पर किया जायेगा और तब से इस एक्ट को रोशनी एक्ट भी कहा जाने लगा । आपको बता दें कि इस योजना के दायरे 1990 से हुए सभी अवैध कब्जे को शामिल किया गया था। इस एक्ट के ज़रिए करीब ढाई लाख एकड़ को चंद पैसों में कानूनी ज़ामा पहना दिया गया था । और अब राज्य में होने वाले जिला विकास परिषद चुनाव में ये एक बड़ा मुद्दा हो सकता है ।
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