Bucha massacre: दुनिया आज एक महीने से भी अधिक समय से रूस-यूक्रेन जंग (Russia-Ukraine War) की तरह-तरह की ख़बरों से अवगत हो रही है। युद्ध जैसा छोटा शब्द सुनने में भले ही आपको हैरानी में न डालता हो। मगर हक़ीकत में युद्ध का सही मतलब युद्धभोगी ही समझ सकता है। युद्ध के कारण जन्में किसी देश में भयानक मंज़र (Bucha massacre) को देखकर ही लोगों की रूह कांप जाती है। तो ज़रा सोचिए जो लोग युद्धग्रत इलाकों में होते हैं उनपर क्या गुज़रती होगी।
रूस-यूक्रेन जारी युद्ध (Ukraine Russia War) के बीच अचानक एक ऐसी ख़बर निकल कर आई जिसने दुनिया को सोचने पर मजबूर कर दिया। ये ख़बर यूक्रेन के एक शहर बूचा की है। ख़बर है कि यहां पर रूस के सैनिकों ने हैवानिय की हदों को भी पार कर दिया है। सेना की मर्यादा और उसूलों को भी तार-तार कर दिया। रूसी मेडल से सम्मानित और ईश्वर को मानने वाले अजात्बेक ने सामूहिक रेप और नरसंहार के ऑर्डर दिए थे। कहा था- 50 साल से कम उम्र वाले सभी मर्दों को मार डालो।
Bucha Massacre को लेकर दुनियाभर में चर्चा
ब्रिटिश अख़बार डेली मेल ने अपनी रिपोर्ट में सेप्रेट मोटराइज्ड राइफल ब्रिगेड का कमांडर अजात्बेक को बूचा का कसाई बताया है। अब दुनिया भी उसे बूचा के कसाई के नाम से ही जान रही है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बेगुनाह लोगों पर गोली चलवाने के बाद अजात्बेक ने परिजनों को लाशें दफनाने के लिए सिर्फ 20 मिनट दिए थे।
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ब्रिटिश अख़बार डेली मेल ने छापा है कि बूचा के निवासी ने बताया कि- रूसी सैनिकों ने वहां पहुंचने पर दस्तावेज मांगे। अगर उन्हें थोड़ा भी ख़तरा नज़र आता तो नागरिकों को गोली मार दी जाती। रूसी सैनिकों ने आर्मी टैटू की तलाश में कई लोगों के जबरन कपड़े भी उतरवा दिए। हालांकि, रूस ने इन आरोपों से इनकार किया है। सैटेलाइट तस्वीरों को लेकर रूस का कहना है कि यूक्रेन लोगों की हत्या का नाटक कर रहा है।
ओमुरबेकोव की उम्र करीब 40 साल है। उसे 2014 में रूस के डिप्टी डिफेंस मिनिस्टर दिमित्री बुल्गाकोव ने बेहतरीन काम के लिए मिलिट्री मेडल से सम्मानित भी किया था। अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत, एक आर्मी कमांडर अपने सैनिकों की ओर से किए गए किसी भी वॉर क्राइम के लिए जिम्मेदार होता है।
बूचा नरसंहार पर भारत ने UNSC की बैठक में जांच की मांग की
भारत ने UNSC की बैठक में बूचा हत्याकांड के जांच की मांग की है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टी एस तिरुमूर्ति ने यहां नागरिकों के मारे जाने जुड़ी खबरों को बेहद परेशान करने वाला बताया। उन्होंने कहा- भारत बूचा हत्याओं की निंदा करता है और एक स्वतंत्र जांच के आह्वान का समर्थन करता है।
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि खून बहाकर और मासूमों को मारकर किसी भी समस्या का हल नहीं निकाला जा सकता। रूस और यूक्रेन को बातचीत के जरिए इस समस्या को हल निकालना चाहिए। उन्होंने कहा- अगर भारत इसमें मध्यस्थता करता है तो खुशी होगी।
दुनिया को भारत की ज़रूरत क्यों?
ओआरएफ हिंदी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ दिनों से भारत एक तरह से अंतरराष्ट्रीय रणनीति के केंद्र में है। एक तरफ यूरोपीय देशों के नेता भारत आए। चाहे ब्रिटिश फॉरेन सेक्रेट्री हों, जर्मन नेशनल सिक्यॉरिटी अडवाइजर हों, नीदरलैंड के फॉरेन मिनिस्टर हों या अमेरिका के डेप्युटी एनएसए या फिर रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव।
यह दिखाता है कि यूक्रेन युद्ध को लेकर अंतरराष्ट्रीय पटल पर जो उथल-पुथल मची हुई है, उसमें भारत का रुख़ क्या रहता है, इसे लेकर काफी दिलचस्पी बनी हुई है। यूक्रेन-रूस से जुड़े हर मुद्दे को बड़ी ही सरल भाषा में समझने के लिए जाने-माने प्रख्यात लेखक और प्रोफेसर हर्ष वी. पंत के लेखों को पढ़कर आप अचूक जानकारियों से अवगत हो सकते हैं।
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