न्यूज़ डेस्क।। मध्यप्रदेश के जूनियर डॉक्टर्स और सरकार के बीच का विवाद अब थमता दिख रहा है। सूत्रों की मानें तो स्टाइपेंड में बढ़ोतरी और स्वास्थ व्यवस्था में सुधार की जो मांगे जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने रखी थी, उन सभी मांगो पर सरकार राज़ी हो गई है।
ज्ञात हो की जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन स्टाइपेंड में बढ़ोतरी और स्वास्थ क्षेत्र की बदहाल स्थिति में सुधार की मांगों को लेकर हड़ताल पर था। मांगो पर ध्यान देने की जगह सरकार ने पांच कॉलेजेस के 20 डॉक्टर्स को निष्कासित कर दिया था, जिसके विरोध में कई जूनियर डॉक्टर्स ने एक साथ इस्तीफा दे दिया था। कई दिन बात बेनतीजा रहने के बाद अब प्रशासन जूनियर डॉक्टर्स की मांगों को लेकर झुकता नज़र आ रहा है । सूत्रों की माने तो जूनियर डॉक्टर्स के स्टाइपेंड में कुछ इस तरह बढ़ोतरी की जाएगी-
प्रथम वर्ष – ₹56,100
द्वितीय वर्ष – ₹57,800
तृतीय वर्ष – ₹59,500
सीनियर रेसिडेंट – ₹65,000
इन्टर्नस को ₹10 हज़ार का स्टाइपेंड दिया जाएगा। ग्रेजुएशन के बाद गांव में पोस्टिंग लेने वाले डॉक्टर को अब ₹26000 की जगह ₹56000 वेतन दिया जाएगा जो शहर की तुलना में अधिक है। इससे डॉक्टर्स को गांव में पोस्टिंग के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा।
सरकार ने जूनियर डॉक्टर्स की अन्य मांगे भी मान ली हैं, जिसमे मरीज़ों के लिए बेहतर चिकित्सीय उपकरण, दवाइयों की उपलब्धता, कार्यक्षेत्र की साफ सफाई और बेहतर वातावरण शामिल है।
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Groundreport.in ने सरकार द्वारा जूनियर डॉक्टर्स की मांगों की अनदेखी और विवाद को समय से न सुलझाने को लेकर सवाल उठाए थे। लोकतांत्रिक तरीके से प्रोटेस्ट कर रहे डॉक्टर्स की आवाज़ दबाने की लिए सरकार ने निष्कासन और अनुशासनात्मक कार्यवाही का सहारा लिया था, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। जो मांगे सरकार अभी मान रही है अगर उसको लेकर पहले ही हड़ताल पर गए डॉक्टर्स को आश्वासन दे दिया जाता तो इतना बखेड़ा नहीं होता। इस दौरान जो मरीज़ों को परेशानी हुई उसके लिए कौन जिम्मेदार है?