कोरोना वायरस (Coronavirus) के खिलाफ जंग में बच्चों को लगने वाला बीसीजी टीका कई देशों में गेमचेंजर बनकर सामने आया है । भारत में बचपन में दी जाने वाली ट्यूबरकुलोसिस (टीबी या तपेदिक) से बचाव की वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में उम्मीद की नई किरण बनकर सामने आई है । कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण दुनियाभर में अब तक 80 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है । एक नई रिपोर्ट में पता चला है कि जिन लोगों को BCG वैक्सीन दी गई है, उनमें मृत्य दर यह वैक्सीन न लेने वाले लोगों की तुलना में काफी कम है।
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इस टीके का उपयोग करने वाले देशों में कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण हो रही मौतों के मामले में अन्य के मुकाबले छह गुना तक की कमी देखी गई है। शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि अगर इस टीके का उपयोग किया गया होता तो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती जिससे मौत का आंकड़ा कम हो सकता था। वैज्ञानिक अब बीसीजी यानी Bacille Calmette-Guerin का टेस्ट यह देखने के लिए कर रहे हैं कि कोरोना सहित अन्य वायरस संक्रमण के असर को कम करने के लिए इम्यून सिस्टम को बढ़ाने का काम करता है ।
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बीसीजी यानी Bacille Calmette- Guerin का टीका जन्म के तुरंत बाद लगता है। बेसिलस कैलमेट-ग्यूरिन (BCG) वैक्सीन का अविष्कार लगभग 100 साल पहले किया गया था।’ विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस बात की पुष्टि करते हुए कहा है कि बीसीजी के टीके के कारण टीबी के अलावा सांस की कई बीमारियों से सुरक्षा मिलती है। स्टडी सामने आने के बाद ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड, जर्मनी और यूके ने कहा है कि वे कोरोनावायरस के मरीजों की देखभाल कर रहे हेल्थ वर्कर्स को बीसीजी का टीका लगाकर ह्यूमन ट्रायल शुरू करेंगे। वे यह देखेंगे कि क्या इस टीके से हेल्थ वर्कर्स का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। ऑस्ट्रेलिया ने भी बीते शुक्रवार कहा कि वह देश के करीब 4 हजार डॉक्टरों और नर्सों और बुजुर्गों पर बीसीजी वैक्सीन का ट्रायल शुरू करेगा।