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स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

By Charkha Feature

पटना के कुछ इलाके अभी भी ऐसे हैं जहां आज भी साफ़-सफाई बहुत अधिक नज़र नहीं आती है. इन्हीं में एक अदालतगंज स्थित स्लम बस्ती भी है. जहां स्वच्छता का विशेष प्रभाव नज़र नहीं आता है.

शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

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राजस्थान देश का दूसरा ऐसा राज्य है जहां इस योजना की रफ्तार बहुत कम है. यहां 01,07,04,126 घरों में से मात्र 53,63,522 घरों में नल का कनेक्शन पहुंच सका है. न केवल ग्रामीण क्षेत्रों बल्कि शहर में आबाद कच्ची बस्तियों में भी पीने के पानी की बहुत बड़ी समस्या है.

ग्राम समुदाय की सहभागिता से संभव है पर्यावरण संरक्षण

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दुनिया भर में पर्यावरण एक अहम मुद्दा बनता जा रहा है. यह वह मुद्दा है जिस पर क्रियान्वयन कम और संपूर्ण सृष्टि पर इसका प्रभाव अधिक नजर आ रहा है. थार (Thar) का पर्यावरण भी अति संवेदनशील है. जरा सी नकारात्मक छेड़छाड़ अथवा सकारात्मक पहल का प्रभाव बड़ा होता है.

मशरूम की खेती बनी महिला किसानों की नयी पहचान

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नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड के आंकड़ों से पता चलता है कि 2021-22 में बिहार (Bihar) में तकरीबन 28,000 मीट्रिक टन मशरूम (Mushroom) का उत्पादन हुआ है, जो देश मे उत्पादित कुल मशरूम का 10.82 फीसदी है.

स्वस्थ भारत की राह में रोड़ा है कुपोषण

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सरकारों की ओर जारी आंकड़ों में कुपोषण के विरुद्ध जबरदस्त जंग दर्शाया जाता है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि अभी भी हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती महिलाएं और 5 पांच तक की उम्र के अधिकतर बच्चे कुपोषण (Malnutrition) मुक्त नहीं हुए हैं.

महंगे सिलेंडर के कारण फिर से मिट्टी के चूल्हे जलाती महिलाएं

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ऐसा लगता है कि गरीब मजदूर-किसानों के घरों को धुंआ मुक्त चूल्हा उपलब्ध कराने के उद्देश्य केंद्र सरकार ने जिस उज्ज्वला योजना (Pradhan Mantri Ujjwala Yojana) की शुरुआत की थी वह महंगे गैस सिलेंडर की भेंट चढ़ती नजर आ रही है.

पर्याप्त सुविधाओं के अभाव से प्रभावित होती बालिका शिक्षा

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हाल ही में आईसीएसई समेत विभिन्न राज्यों के दसवीं और बारहवीं के परिणाम घोषित हुए हैं, जिनमें बड़ी संख्या में छात्राओं ने उम्मीद से कहीं अधिक बढ़कर प्रदर्शन किया है.

अव्यवस्थित सड़क निर्माण भी विकास को प्रभावित करता है

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क्या केवल गाँव गाँव तक पक्की सड़कों का जाल बिछा देने से विकास के अंतिम लक्ष्य तक पहुंचा जा सकता है? क्या गाँव में सड़क निर्माण के समय नालियों के निकासी की व्यवस्था को नजरंदाज कर कार्य को पूर्ण माना जा सकता है?

क्यों ठहर जाता है स्लम बस्तियों में विकास का पहिया?

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बस्तियां (Slum) केवल राजधानी दिल्ली या मुंबई जैसे महानगरों में ही नहीं होती हैं बल्कि बिहार की राजधानी पटना (Patna) समेत देश की लगभग सभी राज्यों की राजधानी में आबाद होती हैं. इन बस्तियों में अधिकतर आर्थिक रूप से बेहद कमजोर तबका निवास करता है.

बढ़ने लगी हैं पुंछ में भी केसर उत्पादन की संभावनाएं

By Charkha Feature

केसर (saffron) को दुनिया के सबसे महंगे मसालों में एक माना जाता है. इसे कश्मीरी में कोंग, उर्दू में जाफरान तथा हिंदी में केसर के रूप में जाना जाता है. यह एक सुगंधित फूलों का एक छोटा सा हिस्सा होता है.