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कुछ स्वास्थ्य केंद्रों ने ठान लिया है, कोई मरता हो तो मर जाए पर वे नहीं सुधरेंगे

भोपाल से चंद किलोमीटर दूर है अहमदपुर Ahmadpur का उप स्वास्थ्य केंद्र, यहां स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बेहाल स्थिति में है लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं

By Ground report
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Ahmedpur Health Centre

ग्राउंड रिपोर्ट । न्यूज़ डेस्क

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से चंद किलोमीटर दूर है अहमदपुर (Ahmadpur) का उप स्वास्थ्य केंद्र। यहां स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की बदहाली की खबर आए दिन अखबारों में छपती रहती है। लेकिन इससे न तो स्वास्थ्य केंद्र में काम करने वाले कर्मचारियों पर कोई प्रभाव पड़ता है न ही सरकार को इससे कोई फर्ख पड़ता है। हर बार अधिकारी यह कहकर सांत्वना दे देते हैं कि कार्यवाई की जाएगी। इस बार मामला है ग्राम सीलखेड़ा निवासी 24 वर्षीय संतोषी बाई के प्रसव का। जब संतोषी को प्रसव के लिए अहमदपुर के उप स्वास्थ्य केंद्र लाया गया तो पता चला मौके पर एक सफाई कर्मचारी के अलावा कोई मौजूद ही नहीं था। संतोषी के जुड़वा बच्चों की डिलीवरी होनी थी, जुड़वा बच्चों के मामले वैसे ही संवेदनशील होते हैं। संतोषी प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी लेकिन अहमदपुर के उप स्वास्थ्य केंद्र की बिल्डिंग लाचार खड़ी थी। करें तो करें क्या ? ऐसे में खुदा के बंदे साबित हुए 108 एंबुलेंस के कर्मचारी जिन्होंने अस्पताल में मौजूद सफाई कर्मी संगीता की मदद से संतोषी की डिलीवरी करवाई। संतोषी ने 2 बेटियों को जन्म दिया। यह बेटियां वाकई बहादुर हैं जिन्होंने इस देश की बदहाल स्वास्थ व्यवस्था की फिक्र न करते हुए भारत में जन्म लिया है।

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Santoshi with her Newborn Babies

मां-बेटी सुरक्षित और स्वस्थ हैं। अहमदपुर के मौके से गायब 17 कर्मचारी और डॉक्टर भी अभी तक सुरक्षित हैं। अधिकारियों ने उचित कार्यवाही का भरोसा दे दिया है। अचानक से अहमदपुर उपस्वास्थ केंद्र पर आया भूचाल अब थम सा गया है... अगली घटना होने तक...

मध्यप्रदेश के एक छोटे से गांव की यह घटना हमारे देश की स्वास्थ व्यवस्था की बदहाली बयान करती है। केंद्र और राज्य सरकारें करोंड़ों रुपए स्वास्थ सेवाओं की बेहतरी के लिए खर्च करती हैं लेकिन धरातल पर कोई बदलाव नज़र नहीं आता। प्राथमिक स्वास्थ केंद्रों की स्थापना उद्देश्य यह था कि लोगों को उनके घर के पास ही उपचार उपलब्ध हो उन्हें कई किलोमीटर दूर शहरों में जाकर इलाज न करवाना पड़े। स्वास्थ केंद्रों की बिल्डिंग का फासला तो घट गया लेकिन इन बिल्डिंगों में मिलने वाली सेवाओं का फासला बढ़ गया है। शहरों से दूर होने की वजह से नेताओं, मंत्रियों और अधिकारियों को भी इनकी सुध लेने की चिंता नहीं होती क्योंकि स्वास्थ और शिक्षा इस देश में चुनावी मुद्दे नहीं हैं।

इससे पहले भी अहमदपुर उप स्वास्थ केंद्र के कारनामों की खबरें वसीमुद्दीन आप तक पहुंचाते रहे हैं। यह खबरें आप नीचे दिए लिंक के माध्यम से पड़ सकते हैं।

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